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सांसद का गांव से ग्राउंड रिपोर्ट: जबलपुर सांसद राकेश सिंह के गोद लिए गांव का हाल, पानी के लिए मीलों का सफर और किस्मत पर आंसू बहाते लोग

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने देश भर के गांवों को आदर्श बनाने के लिए सांसद आदर्श ग्राम योजना (एसएजीवाई) शुरु किया. इन गांवों को मॉडल के रुप में विकसित करने के सपने दिखाए गए जबकि हकीकत ठीक उलट है. मौजूदा सांसद आदर्श गांव को विकसित करने के लिए महज खानापूरी की गई और इससे ज्यादा कोई काम नहीं हुआ. (jabalpur water crisis) (village of mp reality check etv bharat)

jabalpur water crisis
जबलपुर सांसद राकेश सिंह का गांव
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Published : May 12, 2022, 12:51 PM IST

जबलपुर। भाजपा सरकार के सत्ता में आते ही प्रधानमंत्री मोदी ने सभी सांसदों को एक एक गांव गोद लेकर उसका विकास करने की बात की थी.पीएम ने 11 अक्टूम्बर 2014 को यह योजना भी लागू की, जिसके तहत सभी सांसदों को अपने संसदीय क्षेत्र के किसी एक गांव को गोद लेकर आदर्श गांव बनाना था. जबलपुर सांसद राकेश सिंह ने कोहला गांव को गोद लिया. लेकिन यहां के हालात नहीं बदले. सांसद गांव की सुध लेना सांसद ही भूल गए. गांव की जनता आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. आलम यह है कि, जनता सरकारी सुविधाओं के लिए त्राहिमाम कर रही है. कोहला का हाल जानने जब ETV भारत की टीम पहुंची तो सरकारी उदासीनता और सांसद की निरंकुशता की परत दर परत पोल खुलने लगी. (rakesh singh adopted kohla village mp)

जबलपुर सांसद राकेश सिंह के गांव की हकीकत

योजना चढ़ गई भ्रष्टाचार की भेंट: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना था कि हर सांसद एक साल में एक गांव गोद लेकर योजनाओं को धरातल पर उतारकर मॉडल गांव बनाएंगे. सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत गांव में बुनियादी सुविधा का विस्तार करेंगे. पानी, बिजली, सड़क, स्कूल, पंचायत भवन, चौपाल, गोबर गैस प्लांट, स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार इन गांवों में करने की योजना थी. सांसद और जिले के अफसरों को समय-समय पर गांव में कैंप लगाकर शिकायतों को दूर करने के निर्देश थे. मगर योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई. सांसद राकेश सिंह के गोद लेने से पहले आदिवासी बहुल गांव कोहला जैसा था, आज भी वैसा ही है. आलम यह है कि, एक हैंडपंप के भरोसे 2 हजार से अधिक की जनता पानी पी रही है. ना तो यहां पानी की टंकी बन पाई, ना ही घर-घर नल-जल पहुंच सका. दूर दराज क्षेत्रों से महिलाएं और बच्चियां तमाम कष्ट सहन कर काफी दूर से पानी लाती हैं. सांसद राकेश सिंह के आदर्श गांव कोहला में अगर कोई बीमार पड़ जाता है तो ना गांव मे कोई डाॅक्टर मिलेगा और ना ही जबलपुर ले जाने के लिए कोई वाहन.

jabalpur water crisis
कार से पानी का परिवहन

सांसद का गांव: सांसद जनार्दन मिश्रा ने लिया था गोद, कई सालों से सूखे पड़े हैं हैंडपंप, अब बूंद-बूंद पानी को तरस रहे ग्रामीण

एक नजर गांव की ओर:
- ग्राम पंचायत में 1900 की आबादी है.
- 90 फीसदी आदिवासी और 10 फीसदी अन्य जाति के लोग निवास करते हैं.
- वर्तमान में यहां 350 कच्चे और पक्के मकानों की संख्या 100 है.
- 24 घंटे बिजली का दावा है, मिलता सिर्फ 8 घंटे है.
- हाई स्कूल है लेकिन, शिक्षकों की कमी
- मिडिल और प्राथमिक स्कूल में 1, हाईस्कूल में 2 शिक्षक हैं.
- कक्षा 1 से 8 तक 183 छात्र छात्राएं अध्ययनरत है. हाईस्कूल में 200 छात्र छात्राएं हैं.
- पानी के नाम पर गांव में 3 हैण्डपंप लेकिन एक ही चालू है.
- नल जल योजना के नाम पर पाइपलाइन डाली गई, लेकिन बंद है.
- शौचालय का हाल बद से बदतर, जानवर भी जाने मे कतराते हैं.
- घरों में बने व्यक्तिगत शौचालय भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए.
- ODF घोषित होने के बावजूद खुले मे शौच के लिए जनता जा रही है.
- सांसद निधी से क्या काम हुए किसी को पता नहीं.
- स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर सिर्फ एक स्वास्थ्य केन्द्र जिसमें ताला लटका रहता है.

आदर्श ग्राम योजना के तहत गांव को गोद लेकर सांसदों ने दिखाए विकास के सपने, अब बूंद-बूंद पानी को तरस रहे लोग

सांसद को नहीं पहचानते गांव के लोग: वाहन में पानी लेकर आ रहे युवक मनोहर यादव ने गांव के विकास के बारे कहा कि, "गांव में पानी की बड़ी समस्या है. पानी के लिए दूर तक जाना पड़ता है. इसके बाद भी पानी नहीं मिलता. इसलिए दूसरे गांव से पानी लेकर आना पड़ता है. सांसद ने इस गांव को गोद तो लिया है. लेकिन गांव की तस्वीर आज तक नहीं बदल सकी. सहायक सचिव रेवाराम के मुताबिक आदिवासी बहुल ग्राम कोहला में 300 से ज्यादा कच्चे पक्के मकान थे. अब पक्के मकानों की संख्या बढ़कर 155 हो गई है. जबकि, प्रधानमंत्री आवास योजना के एक दर्जन मकान निर्माणाधीन हैं. यहां के लोगों को यह तक नही पता कि, इस गांव को किसी ने गोद लिया है. किसी ने सांसद को आज तक देखा नहीं.

jabalpur water crisis
जबलपुर पानी की समस्या से लोग परेशान

सांसद का गांव: राज बहादुर के प्यासे 'सागर' पर ईटीवी भारत की खबर का असर, कलेक्टर और सांसद ने लिया संज्ञान, पानी के इंतजाम में जुटा प्रशासन

बिजली का इंतजार: पानी को लेकर उमा बाई का दर्द छलकने लगा. उमाबाई कहती है कि, वह पानी के लिए रात भर नहीं सोती. पानी के लिए इन्हें बहुत दूर तक जाना पड़ता है. इसमें भी अगर बिजली चली जाए तो उन्हें घंटों तक वहीं बैठ कर बिजली का इंतजार करना पड़ता है. दो-तीन दिन तक स्टोर किए गए पानी को पीती रहती हैं. सांसद ने इस गांव को गोद लिया लेकिन इस गांव का कायाकल्प नहीं हो सका. गांव की सरपंच मुन्नीबाई से भी कई बार इस बात की शिकायत की गई. उन्होंने भी पानी की समस्या का कोई भी निराकरण नहीं किया. उमाबाई बताती है कि, इनके बच्चों को दो-दो दिनों तक पानी नहीं मिलने के कारण नहाते तक नहीं हैं. इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि गांव में पानी की कितनी किल्लत है.

jabalpur water crisis
जबलपुर पानी की समस्या

सांसद का गांव: प्यासा 'सागर' नल-जल योजना के बाद भी ग्रामीण पानी खरीद कर पीने को मजबूर, पानी की जगह मिलते हैं सिर्फ आश्वासन

पीने का नहीं मिल रहा पानी: कोहला गांव में पानी की भारी समस्या बनी हुई है. महिलाएं बच्चे काम करने की बजाय पानी की जद्दोजहद में जुटे रहते हैं. गौरा बाई बताती है की हमारे गांव की बहुत सी महिलाएं ऐसी हैं, जो अकेली हैं उनके साथ छोटे-छोटे बच्चे हैं. वह महिलाएं पानी के लिए तरस जाती हैं. अगर किसानों के बोरवेल में पानी भरने के लिए जाते हैं तो वहां का भी जलस्तर कम हो जाता है. इस कारण पीने का भी पानी नही मिल पाता. कई बार अधिकारियों से भी शिकायत की गई है. लेकिन इसका आज तक कोई हल नहीं निकल सका है.

village of mp reality check etv bharat
आदिवासी बहुल गांव कोहला

सांसद का गांव: फग्गन सिंह कुलस्ते के गोद लिए ददर गांव में कई साल से सूखे पड़े हैं हैंडपंप, बूंद-बूंद पानी को तरस रहे ग्रामीण

सरकार पर विधायक का आरोप: मामले को लेकर जिम्मेदारों से जब जानकारी ली गई तो वो गांव की समस्या दूर करने की जगह नेतागीरी करते नजर आने लगे. बरगी विधायक संजय यादव का कहना है कि, "पानी प्रोजेक्ट योजना के तहत 194 गांव हैं. इसके तहत गांव में काम शुरू किया गया था. लेकिन आजतक काम पूरा नहीं हुआ. इसी बात से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि आने वाले 2 वर्षों तक ग्रामीणों को पानी नहीं मिलेगा. वर्तमान में मुख्यमंत्री नल जल योजना आ रही है. इसमें हमने मांग की है कि, आदिवासी क्षेत्र बरगी और चरगवां को भी इस योजना को तहत जोड़ना चाहिए. क्योंकि जहां पर पायली प्रोजेक्ट योजना शुरू हो चुकी है. वहां पर मुख्यमंत्री नल जल योजना का लाभ नहीं मिलेगा. इसके लिए हमने प्रमुख सचिव से भी बात की है. 2 माह पहले मंत्री को ज्ञापन सौंपकर बरगी के 14 और चकवा के 12 गांव के नाम सहित लिस्ट मंत्री जी को सौंपी है. लिस्ट में वह नाम हैं जहां पर लोगों को पानी नहीं मिल पाता जिस कारण से लोग पलायन कर जाते हैं. ऐसे गांव में आप इस योजना का लाभ दें जिससे लोगों का जनजीवन सुचारू रूप से चलता रहे. कांग्रेस के शासनकाल में हमने शहपुरा ब्लॉक के 137 गांव के लिए नर्मदा जल योजना बनवाई. भाजपा सरकार आते ही उस योजना को बंद कर दिया गया. भाजपा सरकार ने योजना का नाम बदल दिया."

village of mp reality check etv bharat
जबलपुर सांसद राकेश सिंह का गांव

सांसद का गांव: नकुलनाथ ने लिया था गोद, अब बूंद-बूंद पानी को तरस रहे लोग

जनता परेशान, सरपंच कर रहीं गुणगान: जब ग्रामीणों के मुद्दे को लेकर ETV भारत की टीम गांव की सरपंच मुन्नी बाई के घर पहुंची तो पहले उन्होंने घर में नहीं होने का हवाला देकर मना कर दिया. कुछ देर इंतजार करने के बाद सरपंच मुन्नी बाई घर के बाहर निकलीं. उन्होंने ETV भारत से बात करते हुए गांव में पानी की समस्या को खुद स्वीकार किया. सरपंच का कहना है कि "गांव की समस्या को हम कैसे हल कर रहे हैं, सिर्फ हम ही जानते हैं. जनता की सेवा करने के लिए हम दिन रात यहां वहां से पानी की व्यवस्था कर रहे हैं." शिक्षा को लेकर किए गए सवाल पर उनका जवाब आश्चर्यजनक था. उनका कहना था, कि "जब गांव के स्कूलों में शिक्षक ही नहीं होंगे तो शिक्षा का स्तर तो गिरा ही होगा. क्योंकि, दूर बसाहट और आदिवासी एरिया होने के कारण यहां पर शिक्षक ही नहीं आते. बच्चे भी स्कूल जाकर आखिर क्या करेंगे. इन्होंने कहा सांसद के गोद लेने के बाद गांव की तस्वीर ही बदल गई. गांव में रोड बनी, हॉस्टल खुले, अस्पताल बना. लोगों की जितनी समस्या थी वह सब खत्म हो गई. रही बात ग्रामीणों की तो इनके लिए अपना सिर भी कटा दो कभी अच्छा नहीं कहेंगे. क्योंकि, यह काले सिर के इंसान की अजब ही कहानी है. यह गांव की सरपंच मुन्नी बाई हैं जो अपने विकास कार्यों का खुद गुणगान कर रही हैं. और गांव की जनता विकास के नाम पर आंसू बहा रही हैं.

जबलपुर। भाजपा सरकार के सत्ता में आते ही प्रधानमंत्री मोदी ने सभी सांसदों को एक एक गांव गोद लेकर उसका विकास करने की बात की थी.पीएम ने 11 अक्टूम्बर 2014 को यह योजना भी लागू की, जिसके तहत सभी सांसदों को अपने संसदीय क्षेत्र के किसी एक गांव को गोद लेकर आदर्श गांव बनाना था. जबलपुर सांसद राकेश सिंह ने कोहला गांव को गोद लिया. लेकिन यहां के हालात नहीं बदले. सांसद गांव की सुध लेना सांसद ही भूल गए. गांव की जनता आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. आलम यह है कि, जनता सरकारी सुविधाओं के लिए त्राहिमाम कर रही है. कोहला का हाल जानने जब ETV भारत की टीम पहुंची तो सरकारी उदासीनता और सांसद की निरंकुशता की परत दर परत पोल खुलने लगी. (rakesh singh adopted kohla village mp)

जबलपुर सांसद राकेश सिंह के गांव की हकीकत

योजना चढ़ गई भ्रष्टाचार की भेंट: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना था कि हर सांसद एक साल में एक गांव गोद लेकर योजनाओं को धरातल पर उतारकर मॉडल गांव बनाएंगे. सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत गांव में बुनियादी सुविधा का विस्तार करेंगे. पानी, बिजली, सड़क, स्कूल, पंचायत भवन, चौपाल, गोबर गैस प्लांट, स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार इन गांवों में करने की योजना थी. सांसद और जिले के अफसरों को समय-समय पर गांव में कैंप लगाकर शिकायतों को दूर करने के निर्देश थे. मगर योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई. सांसद राकेश सिंह के गोद लेने से पहले आदिवासी बहुल गांव कोहला जैसा था, आज भी वैसा ही है. आलम यह है कि, एक हैंडपंप के भरोसे 2 हजार से अधिक की जनता पानी पी रही है. ना तो यहां पानी की टंकी बन पाई, ना ही घर-घर नल-जल पहुंच सका. दूर दराज क्षेत्रों से महिलाएं और बच्चियां तमाम कष्ट सहन कर काफी दूर से पानी लाती हैं. सांसद राकेश सिंह के आदर्श गांव कोहला में अगर कोई बीमार पड़ जाता है तो ना गांव मे कोई डाॅक्टर मिलेगा और ना ही जबलपुर ले जाने के लिए कोई वाहन.

jabalpur water crisis
कार से पानी का परिवहन

सांसद का गांव: सांसद जनार्दन मिश्रा ने लिया था गोद, कई सालों से सूखे पड़े हैं हैंडपंप, अब बूंद-बूंद पानी को तरस रहे ग्रामीण

एक नजर गांव की ओर:
- ग्राम पंचायत में 1900 की आबादी है.
- 90 फीसदी आदिवासी और 10 फीसदी अन्य जाति के लोग निवास करते हैं.
- वर्तमान में यहां 350 कच्चे और पक्के मकानों की संख्या 100 है.
- 24 घंटे बिजली का दावा है, मिलता सिर्फ 8 घंटे है.
- हाई स्कूल है लेकिन, शिक्षकों की कमी
- मिडिल और प्राथमिक स्कूल में 1, हाईस्कूल में 2 शिक्षक हैं.
- कक्षा 1 से 8 तक 183 छात्र छात्राएं अध्ययनरत है. हाईस्कूल में 200 छात्र छात्राएं हैं.
- पानी के नाम पर गांव में 3 हैण्डपंप लेकिन एक ही चालू है.
- नल जल योजना के नाम पर पाइपलाइन डाली गई, लेकिन बंद है.
- शौचालय का हाल बद से बदतर, जानवर भी जाने मे कतराते हैं.
- घरों में बने व्यक्तिगत शौचालय भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए.
- ODF घोषित होने के बावजूद खुले मे शौच के लिए जनता जा रही है.
- सांसद निधी से क्या काम हुए किसी को पता नहीं.
- स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर सिर्फ एक स्वास्थ्य केन्द्र जिसमें ताला लटका रहता है.

आदर्श ग्राम योजना के तहत गांव को गोद लेकर सांसदों ने दिखाए विकास के सपने, अब बूंद-बूंद पानी को तरस रहे लोग

सांसद को नहीं पहचानते गांव के लोग: वाहन में पानी लेकर आ रहे युवक मनोहर यादव ने गांव के विकास के बारे कहा कि, "गांव में पानी की बड़ी समस्या है. पानी के लिए दूर तक जाना पड़ता है. इसके बाद भी पानी नहीं मिलता. इसलिए दूसरे गांव से पानी लेकर आना पड़ता है. सांसद ने इस गांव को गोद तो लिया है. लेकिन गांव की तस्वीर आज तक नहीं बदल सकी. सहायक सचिव रेवाराम के मुताबिक आदिवासी बहुल ग्राम कोहला में 300 से ज्यादा कच्चे पक्के मकान थे. अब पक्के मकानों की संख्या बढ़कर 155 हो गई है. जबकि, प्रधानमंत्री आवास योजना के एक दर्जन मकान निर्माणाधीन हैं. यहां के लोगों को यह तक नही पता कि, इस गांव को किसी ने गोद लिया है. किसी ने सांसद को आज तक देखा नहीं.

jabalpur water crisis
जबलपुर पानी की समस्या से लोग परेशान

सांसद का गांव: राज बहादुर के प्यासे 'सागर' पर ईटीवी भारत की खबर का असर, कलेक्टर और सांसद ने लिया संज्ञान, पानी के इंतजाम में जुटा प्रशासन

बिजली का इंतजार: पानी को लेकर उमा बाई का दर्द छलकने लगा. उमाबाई कहती है कि, वह पानी के लिए रात भर नहीं सोती. पानी के लिए इन्हें बहुत दूर तक जाना पड़ता है. इसमें भी अगर बिजली चली जाए तो उन्हें घंटों तक वहीं बैठ कर बिजली का इंतजार करना पड़ता है. दो-तीन दिन तक स्टोर किए गए पानी को पीती रहती हैं. सांसद ने इस गांव को गोद लिया लेकिन इस गांव का कायाकल्प नहीं हो सका. गांव की सरपंच मुन्नीबाई से भी कई बार इस बात की शिकायत की गई. उन्होंने भी पानी की समस्या का कोई भी निराकरण नहीं किया. उमाबाई बताती है कि, इनके बच्चों को दो-दो दिनों तक पानी नहीं मिलने के कारण नहाते तक नहीं हैं. इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि गांव में पानी की कितनी किल्लत है.

jabalpur water crisis
जबलपुर पानी की समस्या

सांसद का गांव: प्यासा 'सागर' नल-जल योजना के बाद भी ग्रामीण पानी खरीद कर पीने को मजबूर, पानी की जगह मिलते हैं सिर्फ आश्वासन

पीने का नहीं मिल रहा पानी: कोहला गांव में पानी की भारी समस्या बनी हुई है. महिलाएं बच्चे काम करने की बजाय पानी की जद्दोजहद में जुटे रहते हैं. गौरा बाई बताती है की हमारे गांव की बहुत सी महिलाएं ऐसी हैं, जो अकेली हैं उनके साथ छोटे-छोटे बच्चे हैं. वह महिलाएं पानी के लिए तरस जाती हैं. अगर किसानों के बोरवेल में पानी भरने के लिए जाते हैं तो वहां का भी जलस्तर कम हो जाता है. इस कारण पीने का भी पानी नही मिल पाता. कई बार अधिकारियों से भी शिकायत की गई है. लेकिन इसका आज तक कोई हल नहीं निकल सका है.

village of mp reality check etv bharat
आदिवासी बहुल गांव कोहला

सांसद का गांव: फग्गन सिंह कुलस्ते के गोद लिए ददर गांव में कई साल से सूखे पड़े हैं हैंडपंप, बूंद-बूंद पानी को तरस रहे ग्रामीण

सरकार पर विधायक का आरोप: मामले को लेकर जिम्मेदारों से जब जानकारी ली गई तो वो गांव की समस्या दूर करने की जगह नेतागीरी करते नजर आने लगे. बरगी विधायक संजय यादव का कहना है कि, "पानी प्रोजेक्ट योजना के तहत 194 गांव हैं. इसके तहत गांव में काम शुरू किया गया था. लेकिन आजतक काम पूरा नहीं हुआ. इसी बात से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि आने वाले 2 वर्षों तक ग्रामीणों को पानी नहीं मिलेगा. वर्तमान में मुख्यमंत्री नल जल योजना आ रही है. इसमें हमने मांग की है कि, आदिवासी क्षेत्र बरगी और चरगवां को भी इस योजना को तहत जोड़ना चाहिए. क्योंकि जहां पर पायली प्रोजेक्ट योजना शुरू हो चुकी है. वहां पर मुख्यमंत्री नल जल योजना का लाभ नहीं मिलेगा. इसके लिए हमने प्रमुख सचिव से भी बात की है. 2 माह पहले मंत्री को ज्ञापन सौंपकर बरगी के 14 और चकवा के 12 गांव के नाम सहित लिस्ट मंत्री जी को सौंपी है. लिस्ट में वह नाम हैं जहां पर लोगों को पानी नहीं मिल पाता जिस कारण से लोग पलायन कर जाते हैं. ऐसे गांव में आप इस योजना का लाभ दें जिससे लोगों का जनजीवन सुचारू रूप से चलता रहे. कांग्रेस के शासनकाल में हमने शहपुरा ब्लॉक के 137 गांव के लिए नर्मदा जल योजना बनवाई. भाजपा सरकार आते ही उस योजना को बंद कर दिया गया. भाजपा सरकार ने योजना का नाम बदल दिया."

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जबलपुर सांसद राकेश सिंह का गांव

सांसद का गांव: नकुलनाथ ने लिया था गोद, अब बूंद-बूंद पानी को तरस रहे लोग

जनता परेशान, सरपंच कर रहीं गुणगान: जब ग्रामीणों के मुद्दे को लेकर ETV भारत की टीम गांव की सरपंच मुन्नी बाई के घर पहुंची तो पहले उन्होंने घर में नहीं होने का हवाला देकर मना कर दिया. कुछ देर इंतजार करने के बाद सरपंच मुन्नी बाई घर के बाहर निकलीं. उन्होंने ETV भारत से बात करते हुए गांव में पानी की समस्या को खुद स्वीकार किया. सरपंच का कहना है कि "गांव की समस्या को हम कैसे हल कर रहे हैं, सिर्फ हम ही जानते हैं. जनता की सेवा करने के लिए हम दिन रात यहां वहां से पानी की व्यवस्था कर रहे हैं." शिक्षा को लेकर किए गए सवाल पर उनका जवाब आश्चर्यजनक था. उनका कहना था, कि "जब गांव के स्कूलों में शिक्षक ही नहीं होंगे तो शिक्षा का स्तर तो गिरा ही होगा. क्योंकि, दूर बसाहट और आदिवासी एरिया होने के कारण यहां पर शिक्षक ही नहीं आते. बच्चे भी स्कूल जाकर आखिर क्या करेंगे. इन्होंने कहा सांसद के गोद लेने के बाद गांव की तस्वीर ही बदल गई. गांव में रोड बनी, हॉस्टल खुले, अस्पताल बना. लोगों की जितनी समस्या थी वह सब खत्म हो गई. रही बात ग्रामीणों की तो इनके लिए अपना सिर भी कटा दो कभी अच्छा नहीं कहेंगे. क्योंकि, यह काले सिर के इंसान की अजब ही कहानी है. यह गांव की सरपंच मुन्नी बाई हैं जो अपने विकास कार्यों का खुद गुणगान कर रही हैं. और गांव की जनता विकास के नाम पर आंसू बहा रही हैं.

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