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Jabalpur Tribal Power Problem: अजब-गजब, गांव में 6 महीने से बिजली नहीं, फिर भी हो रही है बिल की वसूली - डिंडोरी के ग्रामीण 6 माह से बिना बिजली के रह रहे हैं

डिंडोरी के एक गांव में बिजली का कनेक्शन तो है, लेकिन लगभग 6 माह से पूरे गांव में बिजली नहीं है. गांव के लोग अंधेरे में रहने को मजबूर है. लेकिन गांव में बिजली का बिल ना सिर्फ आ रहा है बल्कि वसूला भी जा रहा है. (Jabalpur Tribal Power Problem)

Jabalpur Tribal Power Problem
जबलपुर आदिवासी बिजली समस्या
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Published : Jun 17, 2022, 6:39 PM IST

जबलपुर। मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार भले ही अपने आप को आदिवासियों का मसीहा बताने का लाख दावा करे, लेकिन आज भी आदिवासी बैगा समाज अपने हक के लिए जंगल में रहने और भटकने को मजबूर हैं. डिंडोरी जिला मुख्यालय से 150 किलोमीटर दूर छत्तीसगढ़ की सीमा से लगे वन गांव बोयरहा पूरी तरह से नक्सल प्रभावित है. यहां बैगा जनजाति के लोग निवास करते हैं. लगभग 100 घरों की बस्ती में बिजली का कनेक्शन तो है, लेकिन लगभग 6 माह से पूरे गांव में बिजली नहीं है. गांव के लोग अंधेरे में रहने को मजबूर हैं, लेकिन उनसे बिजल बिल की वसूली की जा रही है.

जबलपुर आदिवासी बिजली समस्या

शिकायत के बाद भी नहीं हुआ निराकरण: बिजली न होने पर भी जब बिजली के बिल आए तो गांव वालों ने इसका विरोध किया, लेकिन विद्युत वितरण कंपनी ग्रामीणों पर दबाव बनाकर और डर दिखाकर बिल वसूल रही है. ग्रामीण इस बात की शिकायत जिले के जिम्मेदार अधिकारियों से लेकर सीएम हेल्पलाइन तक कर चुके है. इसके बाद भी अभी तक इस बात पर अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया है और ना ही गांव वालों की समस्या का कोई निराकरण किया गया है.

बिजली न होने से बच्चों के पढ़ाई पर असर: पंचन बाई तेकाम बताती है की घने जंगलों के बीच बसे इस गांव के लोगों को रात के अंधेरे में एक जगह से दूसरे जगह जाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. पढ़ाई करने वाले बच्चों को पढ़ाई लिखाई करने में काफी समस्या आ रही है. हाथियों का एक दल भी रात के समय गांव के आसपास दिखाई देता है, जिससे गांव में डर का माहौल हमेशा बना रहता है. (Dindori Villagers living without electricity from 6 months)

jp group thermal power plant seized: जेपी ग्रुप के थर्मल पॉवर प्लांट पर कुर्की की कार्रवाई, 254 करोड़ का बिजली का बिल बकाया, प्रशासन ने किया सीज

सरकार की योजनाओं का नहीं मिल रहा लाभ: स्थानीय बैगा घासीराम तेकाम ने बताया कि जिस तरह से सरकार आदिवासियों के लिए बिजली को लेकर कई तरह की योजनाएं चला रही. वो योजनाएं धारातल में बेअसर होती दिखाई दे रही है. मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ के सीमा में बसे इस गांव में आए दिन नक्सली गतिविधि होती ही रहती है. सघन वन क्षेत्र होने की वजह से विकास की गंगा इस गांव तक नहीं पहुंची है. बिजली विभाग को मामले की कई बार सूचना दी गई, लेकिन विभाग के अधिकारी कर्मचारियों हमारी समस्या पर कोई ध्यान नहीं देते. बिजली न होने पर भी बिल वसूली के लिए दबाव बनाया जाता है. (Tribal Power Problem Dindori)

जबलपुर। मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार भले ही अपने आप को आदिवासियों का मसीहा बताने का लाख दावा करे, लेकिन आज भी आदिवासी बैगा समाज अपने हक के लिए जंगल में रहने और भटकने को मजबूर हैं. डिंडोरी जिला मुख्यालय से 150 किलोमीटर दूर छत्तीसगढ़ की सीमा से लगे वन गांव बोयरहा पूरी तरह से नक्सल प्रभावित है. यहां बैगा जनजाति के लोग निवास करते हैं. लगभग 100 घरों की बस्ती में बिजली का कनेक्शन तो है, लेकिन लगभग 6 माह से पूरे गांव में बिजली नहीं है. गांव के लोग अंधेरे में रहने को मजबूर हैं, लेकिन उनसे बिजल बिल की वसूली की जा रही है.

जबलपुर आदिवासी बिजली समस्या

शिकायत के बाद भी नहीं हुआ निराकरण: बिजली न होने पर भी जब बिजली के बिल आए तो गांव वालों ने इसका विरोध किया, लेकिन विद्युत वितरण कंपनी ग्रामीणों पर दबाव बनाकर और डर दिखाकर बिल वसूल रही है. ग्रामीण इस बात की शिकायत जिले के जिम्मेदार अधिकारियों से लेकर सीएम हेल्पलाइन तक कर चुके है. इसके बाद भी अभी तक इस बात पर अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया है और ना ही गांव वालों की समस्या का कोई निराकरण किया गया है.

बिजली न होने से बच्चों के पढ़ाई पर असर: पंचन बाई तेकाम बताती है की घने जंगलों के बीच बसे इस गांव के लोगों को रात के अंधेरे में एक जगह से दूसरे जगह जाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. पढ़ाई करने वाले बच्चों को पढ़ाई लिखाई करने में काफी समस्या आ रही है. हाथियों का एक दल भी रात के समय गांव के आसपास दिखाई देता है, जिससे गांव में डर का माहौल हमेशा बना रहता है. (Dindori Villagers living without electricity from 6 months)

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सरकार की योजनाओं का नहीं मिल रहा लाभ: स्थानीय बैगा घासीराम तेकाम ने बताया कि जिस तरह से सरकार आदिवासियों के लिए बिजली को लेकर कई तरह की योजनाएं चला रही. वो योजनाएं धारातल में बेअसर होती दिखाई दे रही है. मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ के सीमा में बसे इस गांव में आए दिन नक्सली गतिविधि होती ही रहती है. सघन वन क्षेत्र होने की वजह से विकास की गंगा इस गांव तक नहीं पहुंची है. बिजली विभाग को मामले की कई बार सूचना दी गई, लेकिन विभाग के अधिकारी कर्मचारियों हमारी समस्या पर कोई ध्यान नहीं देते. बिजली न होने पर भी बिल वसूली के लिए दबाव बनाया जाता है. (Tribal Power Problem Dindori)

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