जबलपुर। जबलपुर में बड़ी तादाद में दुधारू पशु पाले जाते हैं. इसमें बहुत बड़ी संख्या भैंसों की भी है. जबलपुर में दूध का उत्पादन कई साल पहले उत्तर प्रदेश और हरियाणा से आए किसानों ने शुरू किया था. आज यह कारोबार बड़े पैमाने पर फल-फूल रहा है. यहां दूध उत्पादन कैसे बढ़ाया जाए इसको लेकर तमाम प्रयोग किए जाते रहे हैं. अब दुधारू पशुओं के आहार में आयुर्वेदिक औषधियां शामिल की गई हैं. जिससे वह शारीरिक रूप से तंदरुस्त रहते हैं, और दूध उत्पादन भी ज्यादा हो जाता है.
पशुओं को खिलाई जा रहीं आयुर्वेदिक औषधियां
जिस तरह से मनुष्य के बच्चे के लिए मां का दूध जरूरी होता है, ठीक उसी तरह पशुओं का दूध भी उनके बच्चों के लिए फायदेमंद होता है. बच्चों को दूध पिलाने के लिए जिस तरह महिलाओं को आयुर्वेदिक औषधियां खिलाई जाती हैं. अब उसी तरह दुधारू पशुओं को भी आयुर्वेदिक औषधियां खिलाई जा रही हैं, ताकि वह दूध ज्यादा दें, और उत्पादन बढ़ सके.
इन औषधियों से पशु हो जाते हैं तंदरुस्त
सतावर, कमरकस, सफेद मूसली, चिरायता, लेडी पीपल, अजवाइन, सूखा अदरक, गोंद, गुड और सोया मिलाकर एक नुस्खा तैयार किया जाता है. जिसे भैंस या गाय के बछड़े के जन्म के ठीक बाद देना होता है. इससे जानवर में दूध उत्पादन बढ़ जाता है. यदि इसे कम मात्रा में लगातार दिया जाए तो गाय या भैंस का स्वास्थ्य भी ठीक रहता है, और वे लगातार अच्छा उत्पादन देते हैं. इस तरीके से तैयार किया हुआ दूध भी अमृत समान होता है, इसमें आयुर्वेदिक गुण होते हैं.
दूसरी ओर कुछ रासायनिक पदार्थ भी दूध उत्पादन में बढ़ोतरी ले आते हैं. लेकिन इन एलोपैथिक दवाओं का जानवर के शरीर पर बुरा असर भी पड़ता है. इन से उत्पादित दूध भी आम आदमी के लिए हानिकारक है, इसलिए इनका इस्तेमाल सोच समझ कर करना चाहिए.
दुधारू पशु रोजगार का जरिया
दुधारू पशु रोजगार का एक बड़ा जरिया है, लेकिन इनके ऊपर होने वाले प्रयोग बहुत कम है. अभी तक हमारी ज्यादातर दुधारू जानवरों की किस्में विदेशों से आयात की गई हैं. हमारे पास बहुत अच्छे देसी जानवर हैं, लेकिन वह व्यवसायिक नहीं बन पाए यदि आयुर्वेद के जरिए इन जानवरों के दूध का उत्पादन बढ़ाया जा सके तो आम आदमी को भी बड़ी सहूलियत मिल जाएगी.