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कुक के पालतू 'पक्षी': रोजाना शाम 5 बजे भोजन करने आती हैं सैकड़ों चील, फिर हो जाती हैं गायब

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Published : Oct 2, 2021, 11:05 PM IST

जबलपुर में एक रेस्टोरेंट के कुक ने चील पाल रखी हैं. रोजाना शाम 5 बजे सैकड़ों चील रेस्टोरेंट के पास आती हैं और भोजन करके चली जाती हैं. रिपोर्ट पढ़ें.

कुक के पालतू 'पक्षी'
कुक के पालतू 'पक्षी'

जबलपुर। आपने अब तक लोगों को कुत्ता-बिल्ली पालते तो देखा होगा. लेकिन संस्कारधानी में एक होटल के कुक ने सौकड़ों चील पाल रखी हैं. ये चील रोजाना शाम 5 बजे रसल चौक स्थित एक रेस्टोरेंट के बाहर आती हैं, और भोजन-पानी करके वापस लौट जाती हैं. विलुप्त होती इन चीलों का इतनी बड़ी संख्या में नजर आना काफी हैरान करता है. ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट पढ़ें.

कुक के पालतू 'पक्षी'

रेस्टोरेंट का कुक पाल रहा चील

जबलपुर के रसल चौक पर एक रेस्टोरेंट के कुछ कर्मचारी बीते कुछ सालों से खाना बनाते समय सड़क पर खड़े हुए कुत्तों को मांस के टुकड़े फेंक देते थे. इसी दौरान उन्होंने देखा कि आसमान में काफी ऊंचाई पर बैठा चील कुत्तों के खाने के बाद उस भोजन को उठाने नीचे आने की कोशिश करने लगता है. लेकिन चलती सड़क पर वह नीचे नहीं उतर पाता. इस दौरान एक कुक ने मांस के टुकड़े को आसमान में उछाल दिया. भूख से परेशान पक्षी ने हवा में ही मांस के टुकड़े को पकड़ लिया और इसके बाद देखते देखते सैकड़ों चील आसपास मंडराने लगे.

महामारी के बाद कम हुई चील की संख्या

कुक का कहना है कि कोरोना महामारी की वजह से रेस्टोरेंट बंद हुए तो चील ने आना भी बंद कर दिया था. लेकिन धीरे-धीरे दोबारा गतिविधियां शुरू होने के बाद यह पक्षी भी आसमान में दिखने लगे हैं. हालांकि इनकी तादाद पहले के मुकाबले कम नजर आ रही है.

साफ सफाई का दुष्परिणाम

प्रकृति का एक सिस्टम है, जिसमें जानवरों की अपनी भूमिका है. सामान्य तौर पर जब कोई जानवर मरता है तो वह मुर्दा खोर जानवरों के लिए भोजन होता है. वह इसकी सफाई करते हैं. अब हमारे व्यवस्थित शहरों में मांस के टुकड़े होटलों से तो निकल आते हैं. लेकिन सामान्य तौर उसे व्यवस्थित कचरा घर में फेंक दिया जाता है. जिस वजह से इन मुर्दाखोर जानवरों को भोजन नहीं मिल पाता है. यहही वजह है कि साफ-सफाई की वजह से अब धीरे-धीरे इन जानवरों की संख्या घटने लगी है.

गांधी जयंती पर अनोखी पहल, नर्मदा में एक लाख मछलियां छोड़ीं, नदी की सफाई के लिए सराहनीय कार्य

'चील' क्या होती है ?

कौवा से थोड़ा बड़ा काला सा पक्षी है. इसे चील के नाम से भी जाना जाता है. सामान्य तौर पर यह मांसाहारी होता है, और यह पक्षी आदमियों से थोड़ा सा दूर रहता है. आसमान में भी यह काफी ऊंचाई पर मंडराता हुआ नजर आता है, और यदि बैठता भी है तो ऊंचे पेड़ों पर. प्रकृति में जीवन और मृत्यु का चक्कर चलता रहता है, इसमें मुर्दा खोर पक्षी एक महत्वपूर्ण कड़ी थे. चील इसी कड़ी का एक हिस्सा हैं, लेकिन इसका अस्तित्व अब खतरे में है.

जबलपुर। आपने अब तक लोगों को कुत्ता-बिल्ली पालते तो देखा होगा. लेकिन संस्कारधानी में एक होटल के कुक ने सौकड़ों चील पाल रखी हैं. ये चील रोजाना शाम 5 बजे रसल चौक स्थित एक रेस्टोरेंट के बाहर आती हैं, और भोजन-पानी करके वापस लौट जाती हैं. विलुप्त होती इन चीलों का इतनी बड़ी संख्या में नजर आना काफी हैरान करता है. ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट पढ़ें.

कुक के पालतू 'पक्षी'

रेस्टोरेंट का कुक पाल रहा चील

जबलपुर के रसल चौक पर एक रेस्टोरेंट के कुछ कर्मचारी बीते कुछ सालों से खाना बनाते समय सड़क पर खड़े हुए कुत्तों को मांस के टुकड़े फेंक देते थे. इसी दौरान उन्होंने देखा कि आसमान में काफी ऊंचाई पर बैठा चील कुत्तों के खाने के बाद उस भोजन को उठाने नीचे आने की कोशिश करने लगता है. लेकिन चलती सड़क पर वह नीचे नहीं उतर पाता. इस दौरान एक कुक ने मांस के टुकड़े को आसमान में उछाल दिया. भूख से परेशान पक्षी ने हवा में ही मांस के टुकड़े को पकड़ लिया और इसके बाद देखते देखते सैकड़ों चील आसपास मंडराने लगे.

महामारी के बाद कम हुई चील की संख्या

कुक का कहना है कि कोरोना महामारी की वजह से रेस्टोरेंट बंद हुए तो चील ने आना भी बंद कर दिया था. लेकिन धीरे-धीरे दोबारा गतिविधियां शुरू होने के बाद यह पक्षी भी आसमान में दिखने लगे हैं. हालांकि इनकी तादाद पहले के मुकाबले कम नजर आ रही है.

साफ सफाई का दुष्परिणाम

प्रकृति का एक सिस्टम है, जिसमें जानवरों की अपनी भूमिका है. सामान्य तौर पर जब कोई जानवर मरता है तो वह मुर्दा खोर जानवरों के लिए भोजन होता है. वह इसकी सफाई करते हैं. अब हमारे व्यवस्थित शहरों में मांस के टुकड़े होटलों से तो निकल आते हैं. लेकिन सामान्य तौर उसे व्यवस्थित कचरा घर में फेंक दिया जाता है. जिस वजह से इन मुर्दाखोर जानवरों को भोजन नहीं मिल पाता है. यहही वजह है कि साफ-सफाई की वजह से अब धीरे-धीरे इन जानवरों की संख्या घटने लगी है.

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'चील' क्या होती है ?

कौवा से थोड़ा बड़ा काला सा पक्षी है. इसे चील के नाम से भी जाना जाता है. सामान्य तौर पर यह मांसाहारी होता है, और यह पक्षी आदमियों से थोड़ा सा दूर रहता है. आसमान में भी यह काफी ऊंचाई पर मंडराता हुआ नजर आता है, और यदि बैठता भी है तो ऊंचे पेड़ों पर. प्रकृति में जीवन और मृत्यु का चक्कर चलता रहता है, इसमें मुर्दा खोर पक्षी एक महत्वपूर्ण कड़ी थे. चील इसी कड़ी का एक हिस्सा हैं, लेकिन इसका अस्तित्व अब खतरे में है.

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