जबलपुर। इस समय पूरा देश कोरोना वायरस के दौर से गुजर रहा है और कोरोना वायरस के लिए अभी तक कोई प्रभावी दवाई नहीं बनी है. जिससे कोरोना वायरस को रोका जा सके, लेकिन यदि कोरोना वायरस किसी वातावरण में है, इसको रोकने के लिए सोडियम हाइपोक्लोराइट नाम का एक सैनिटाइजर इस्तेमाल किया जाता है. सोडियम हाइपोक्लोराइट का इस्तेमाल हर उस सरफेस को संगठित करने के लिए किया जाता है, जहां से कोविड-19 मरीज का आना जाना हुआ हो. यदि किसी के घर में कोरोना वायरस का पॉजिटिव कोई मरीज पाया जाता है, तो उस घर को सोडियम हाइपोक्लोराइट से सैनिटाइज किया जाता है. इसके साथ ही सार्वजनिक उपयोग की जगहों को भी नगर निगम सोडियम हाइपोक्लोराइट से सैनिटाइज कर रहा है.
वहीं जिन लोगों की मृत्यु कोरोना वायरस की वजह से हो रही है, उनके शरीर को शमशान घाट तक पहुंचाने और इसके बीच में जहां-जहां से सेवर बॉडी गुजरी है, उस पूरी जगह को सोडियम हाइपोक्लोराइट से सैनिटाइज किया जाता है. ये एक महत्वपूर्ण रसायन है और इसकी आपूर्ति बहुत जरूरी है. जबलपुर में इस समय लगभग 700 लीटर सोडियम हाइपोक्लोराइट नगर निगम के पास में है, नगर निगम का कहना है कि उन्हें रोज लगभग 50 से 60 लीटर सोडियम हाइपोक्लोराइट की जरूरत पड़ रही है.
लेकिन इसमें चौंकाने वाली बात ये है कि नगर निगम को सैनिटाइजर की उपलब्धता और सैनिटाइजेशन करने के लिए राज्य सरकार से कोई मदद अब तक नहीं मिली है. नगर निगम अपने स्वास्थ्य के बजट से ही ये काम कर रहा है. जबकि राज्य सरकार ने कोरोना वायरस को कंट्रोल करने के लिए बहुत प्रचार प्रसार किया है, लेकिन इसके लिए नगर निगम जैसी संस्थाओं को कोई बजट नहीं दिया गया है.
जबलपुर नगर निगम के कर्मचारी भी अब निजी संस्था की मदद से कोरोना प्रभावित मरीजों के मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार का काम करने में लगे हैं, लेकिन इन्हें भी अभी बुनियादी चीजों की जरूरत के लिए परेशान होना पड़ रहा है. फिलहाल जब तक कोरोना वायरस का कोई स्थाई समाधान निकलकर नहीं आता है. तब तक इस कैमिकल की जरूरत बड़े पैमाने पर नगर निगम को पड़ती रहेगी.