जबलपुर। मध्यप्रदेश का खेल विभाग "पहले तोड़ो फिर बनाओ" की पद्धति में काम कर रहा है. दरअसल जबलपुर के रांझी इंजीनियरिंग कॉलेज के पीछे खेल विभाग सिंथेटिक एथलेटिक्स ट्रैक बना रहा है, जिसके लिए खेल विभाग ने उस मिनी स्टेडियम को तोड़ दिया जिसे 70 लाख रुपये की कीमत से बनाया गया था. खास बात यह है कि मिनी स्टेडियम का उद्घाटन भी नहीं हुआ था, अब खेल विभाग के अधिकारी और स्थानीय विधायक इसे जिले का विकास बता रहे हैं. (jabalpur mini stadium)
70 लाख रु के मिनी स्टेडियम की चढ़ गई बलि: "खेलो इंडिया योजना" के तहत जबलपुर शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज के पीछे बन रहे इस खेल अधोसंरचना का निर्माण करीब 6,92 लाख रुपये से किया जा रहा है, इसमें एथलीट और फुटबॉल खिलाड़ियों के लिए राष्ट्रीय स्तर की सुविधा मुहैया कराई जाएगी. रानीताल खेल परिसर से मध्य प्रदेश तीरंदाजी अकादमी को भी यहां पर शिफ्ट किया जाएगा, इन सब के बीच अच्छी बात यह है कि इतने बड़े प्रोजेक्ट से शहर का विकास होगा पर इस विकास के फेर में मध्य प्रदेश खेल विभाग ने 70 लाख रुपए की लागत से बने मिनी स्टेडियम की बलि ले ली. खास बात यह है कि इस बिल्डिंग का उद्घाटन तक नहीं हुआ और उसे गिरा दिया गया.
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सिंथेटिक एथलेटिक ट्रैक में होगी राष्ट्रीय स्तर की सुविधा: 70 लाख रुपए का मिनी स्टेडियम जिसका उद्घाटन तक नहीं हुआ था और उसे खेल विभाग ने नए प्रोजेक्ट के चलते गिरा दिया. बताया जा रहा है कि सिंथेटिक एथलेटिक ट्रैक 6.92 करोड़ रुपए से बनकर तैयार होगा, जिसका काम शुरू भी कर दिया गया है. इसके अलावा करीब 4 करोड़ से इंडोर हॉल और टेनिस कोर्ट भी इसी में बनाया जा रहा है, जिला खेल अधिकारी का कहना है कि निश्चित रूप से जब सिंथेटिक एथलेटिक ट्रैक बनकर तैयार हो जाएगा तो यह ना सिर्फ जबलपुर बल्कि पूरे प्रदेश के लिए भी एक बड़ी उपलब्धि होगा. इसके साथ ही खेलों का एक बड़ा केंद्र भी जबलपुर बन जाएगा, वहीं 70 लाख रु के मिनी स्टेडियम को तोड़े जाने पर जिला खेल अधिकारी का कहना था कि जब बड़ा प्रोजेक्ट आता है तो छोटे प्रोजेक्ट को हटाना भी पड़ता है.
पानी में मिल गया लाखों की लागत की स्टेडियम: करोड़ों रुपए की लागत से इंजीनियरिंग कॉलेज के पीछे एथलेटिक ट्रैक का निर्माण किया जा रहा है निश्चित रूप से यह ना सिर्फ जबलपुर बल्कि मध्यप्रदेश के लिए गौरव की बात है पर सवाल यह भी उठता है कि क्या करोड़ों रुपए के प्रोजेक्ट के लिए 70 लाख रु से बने मिनी स्टेडियम की बलि लेना जरूरी था, वह भी उस स्टेडियम की जिसका उद्घाटन तक नहीं हुआ था. बहरहाल स्थानीय विधायक और अधिकारी करोड़ों रुपए के विकास के आगे 70 लाख रु के मिनी स्टेडियम को मान नहीं रखा, और करोड़ों की लागत से बना स्टेडियम पानी में मिल गया.