जबलपुर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने बेंगलुरु में बंधक बनाकर रखी गई नाबालिग को मुक्त कराकर पेश करने के निर्देश दिए हैं (Jabalpur High Court). इसके लिए पुलिस को एक सप्ताह का समय दिया गया है. इसी के साथ डीजीपी, जबलपुर एसपी और ग्वारीघाट टीआई सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब-तलब कर लिया गया है. पढ़ाई के लिए नाबालिग लड़की को बेंगलुरु ले जाकर बंधक बनाये रखने का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की गई थी. हाईकोर्ट के जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है.
नाबालिग बेटी को बंधक बनाने का आरोप: मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ और न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की युगलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई. इस दौरान बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाकर्ता जबलपुर निवासी अशोक सेन की तरफ से अधिवक्ता ब्रह्मानंद पांडे और विपुलवर्धन जैन ने पक्ष रखा. उन्होंने दलील दी कि बंदीप्रत्यक्षीकरण याचिकाकर्ता ने अपनी नाबालिग बेटी को बंधक बनाने का आरोप लगाया है. उसका इंद्रपुरी कॉलोनी, ग्वारीघाट निवासी सतेंद्र शर्मा से परिचय हुआ. इस दौरान आरोपी ने खुद को निजी कंपनी में मैनेजर होने का दावा किया. (Jabalpur petitioner daughter kept hostage)
गरीब होने की वजह से अपनी बेटी की दी थी जिम्मेदारी: याचिकाकर्ता अशोक सेन की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि उसकी सिविल लाईन में नाई की दुकान है. ग्वारीघाट थानान्तर्गत इंद्रपुरी कॉलोनी निवासी सत्येन्द्र शर्मा के घर पर कटिंग और सेविंग के लिए जाता था. याचिकाकर्ता ने बातचीत के दौरान सतेंद्र को बताया कि उसकी छह बेटियां हैं. उसकी आमदनी बेहद कम है. इस पर सतेंद्र ने उसे कहा कि वह उसकी एक बच्ची को पढ़ा सकता है. यह वादा कर सतेंद्र याचिकाकर्ता की 15 वर्षीय बेटी को अपने घर ले आया. कुछ दिनों तक यहां रखने के बाद उसने बच्ची को अपनी बेटी नीलम और दामाद वीके शर्मा के पास इंद्रप्रस्थ रोड बेंगलुरु भेज दिया. (petitioner daughter kept hostage in Bengaluru)
पुलिस ने नहीं की कोई कार्रवाई: याचिकाकर्ता ने बताया कि, शुरुआत में सब ठीक था और फरवरी माह में उसकी बेटी जबलपुर आई थी. मई माह में उसकी बेटी ने चौकीदार के फोन से विडियों कॉल कर बताया कि उसके साथ मारपीट की जाती है और स्कूल में एडमिशन भी नहीं करवाया है. इसके अलावा उसके घर में दो-तीन दिन बंद कर नीलम बाहर चली जाती है. इसके बाद उसने सत्येन्द्र से संपर्क करने का प्रयास किया तो उसे भगा दिया गया. ग्वारीघाट थाने में शिकायत करने पर पुलिस सिर्फ पूछताछ कर लौट आई. उसने 29 मई को पुलिस अधीक्षक से शिकायत की थी, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. इसकी वजह से ये याचिका दायर की गई है.
Jabalpur High Court : नाबालिग लड़की चाईल्ड केयर सेंटर से निकालकर माता-पिता के सुपुर्द किया जाए
अगली सुनवाई 22 जुलाई को निर्धारित: याचिका की सुनवाई के बाद युगलपीठ ने एसपी जबलपुर, टीआई ग्वारीघाट सहित पिता-बेटी को नोटिस जारी कर जबाव मांगा है. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता ब्रम्हानंद पांडे और अधिवक्ता विपुल वर्धन जैन ने पैरवी की. सुनवाई के बाद कोर्ट ने बंधक को मुक्त कराकर प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं. मामले की अगली सुनवाई 22 जुलाई को निर्धारित की गई है.