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हाईकोर्ट की केन्द्र को अंतिम चेतावनी, भोपाल गैस पीड़ितों का हो सही इलाज, वर्ना केबिनेट सचिव को करेंगे तलब

भोपाल गैस पीड़ितों को समुचित इलाज की सुविधा नहीं मिलने पर हाईकोर्ट ने केन्द्र को अंतिम चेतावनी दी है. कोर्ट के निर्देश पर केन्द्र ने परिपालन रिपोर्ट पेश की थी. (bhopal gas victims hc jabalpur warns center )इस रिपोर्ट को देखने के बाद हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है.

bhopal gas victims hc jabalpur warns center
हाईकोर्ट की केन्द्र को अंतिम चेतावनी
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Published : Dec 21, 2021, 7:50 PM IST

Updated : Dec 21, 2021, 8:01 PM IST

जबलपुर। भोपाल गैस त्रासदी मामले में केन्द्र सरकार ने हाईकोर्ट में परिपालन रिपोर्ट पेश की. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ और जस्टिस विजय शुक्ला की युगलपीठ ने रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद नाराजगी जाहिर की. हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार को जमकर फटकार लगाई गयी. केन्द्र सरकार के आग्रह पर युगलपीठ ने अंतिम अवसर प्रदान करते हुए संतोषजनक रिपोर्ट पेश नहीं करने पर केबिनेट सचिव को तलब करने (bhopal gas victims hc jabalpur warns center )की चेतावनी दी है. याचिका पर अगली सुनवाई 10 जनवरी को निर्धारित की गयी है.

भोपाल गैस पीड़ित केस में केन्द्र को हाईकोर्ट की कड़ी फटकार

सर्वाेच्च न्यायालय ने साल 2012 में भोपाल गैस पीडित महिला उद्योग संगठन सहित (warning to center on treatment of bhopal gas victims )अन्य की ओर से दायर की गई याचिका की सुनवाई करते हुए भोपाल गैस पीडितों के उपचार और पुनार्वास के संबंध में 20 निर्देश जारी किये थे. इन बिंदुओं का क्रियान्वयन सुनिश्चित कर मॉनिटरिंग कमेटी का गठन करने के निर्देश भी जारी किये थे. मॉनिटरिंग कमेटी को हर तीन माह में अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट के समक्ष पेश करने के निर्देश दिए थे. रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट द्वारा राज्य सरकार को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करेगी. जिसके बाद उक्त याचिका पर हाईकोर्ट द्वारा सुनवाई की जा रही थी. याचिका के लंबित रहने के दौरान मॉनिटरिंग कमेटी की अनुशंसाओं का राज्य सरकार द्वारा परिपालन नहीं किये जाने के खिलाफ भी अवमानना याचिका दायर की गयी थी.

दायर अवमानना में कहा गया था कि सर्वाेच्चय न्यायालय द्वारा जारी निदेर्शों का परिपालन केन्द्र और राज्य सरकार द्वारा नहीं किया जा रहा है. गैस त्रासदी के पीड़ितों के हेल्थ कार्ड तक नहीं बने हैं. इसके अलावा अस्पतालों में अवश्यकता अनुसार उपकरण और दवाएं उपलब्ध नहीं हैं. (jabalpur hc last chance to center on bhopal gas victims)बीएमएचआरसी के भर्ती नियम निर्धारित होने के कारण डॉक्टर, पैरा मेडिकल स्टॉफ स्थाई तौर पर अपनी सेवाएं प्रदान नहीं करते हैं.

केन्द्र को चेतावनी के साथ अंतिम मौका

पिछली सुनवाई के दौरान पेश की गयी परिपान रिपोर्ट पर युगलपीठ ने नाराजगी व्यक्त की थी. कैंसर के अलावा अन्य बीमारियों का समुचित उपचार नहीं मिलने पर युगपीठ ने तल्ख टिप्पणी करने हुए कहा है कि मजबूरन हमें यह आदेश पारित कर दें कि पीड़ित अपनी मर्जी से किसी भी अस्पताल में उपचार करवाएं,उनका खर्च सरकार उठायेगी. याचिका पर सुनवाई के दौरान पेश की गयी परिपालन रिपोर्ट संतोष जनक नहीं पाते हुए युगलपीठ ने केन्द्र सरकार को जमाकर फटकार लगाई. केन्द्र सरकार के आग्रह पर युगलपीठ ने चेतावनी के साथ अंतिम अवसर प्रदान किया है.

अधीनस्थ न्यायालयों में न्यायाधीशों के व्यवहार पर बहस

अधिवक्ताओं के बीच अधीनस्थ न्यायालयों के न्यायाधीशों के प्रति मिल रहीं दुर्व्यवहार की शिकायत और उनके आचरण, अनुशासन को लकर आचरण संहित बननी चाहिए. इस बारे में मध्य प्रदेश राज्य अधिवक्ता परिषद ने भारत के प्रधान न्यायधीश, हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सहित सभी न्यायधीशों को पत्र भेजकर मांग की है.

बड़ा खुलासा! 5 साल में MP में 68 हज़ार नवजात शिशुओं की अस्पतालों में मौत, सरकार ने सदन में दी जानकारी

राज्य अधिवक्ता परिषद के सभागार में आयोजित पत्रवार्ता में एसबीसी के चेयरमेन शैलेन्द्र वर्मा, सदस्य अहदुल्ला उस्मानी व प्रवक्ता राधेलाल गुप्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि हाईकोर्ट व सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का व्यवहार अधिवक्ताओं के प्रति अच्छा और सम्मानजनक है. इसके विपरीत अधीनस्थ अदालतों में ऐसा नहीं है. अधीनस्थ न्यायालयों के न्यायाधीश समय पर नहीं पहुंचते और मोबाइल का प्रयोग करते रहते हैं. इतना ही नहीं एक कोर्ट में अलग-अलग काम चलते रहते हैं, जो कि स्वस्थ न्याय में बाधा है.

बिजली दर बढ़ाने के खिलाफ कोर्ट में याचिका

बिजली दर में बढ़ोतरी के प्रस्ताव को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी है. याचिका में आरोप लगाते हुए कहा गया है कि प्रदेश सरकार अपने संवैधानिक कर्तव्य को भूल गई है. नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के अध्यक्ष डॉ पी जी नाजपांडे औरा रजत भार्गव की तरफ से याचिका दायर की गई है. याचिका में कहा गया है कि नागरिकों को संकट से उबार कर जीवन बिताने में सहायता प्रदान करना सरकार का संवैधानिक कर्तव्य है. कोरोना काल में लाखों परिवार आर्थिक समस्या से जूझ रहे हैं. ऐसे में बिजली दर बढ़ाना संविधान का उल्लंघन माना जायेगा. इस पर जल्द सुनवाई होने की संभावना है.

1 महीने बाद बताया, क्यों गिरफ्तार किया

14 सितंबर 2020 को कृषि कानूनों के खिलाफ हुए आंदोलन में मध्यप्रदेश किसान कांग्रेस के 28 सदस्य भोपाल में रोशनपुरा से राज्यपाल को ज्ञापन देने निकले थे. लेकिन उन्हें एक साथ गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था. लगभग एक महीने बाद भोपाल के थाना अरेरा हिल्स ने नोटिस जारी कर 28 लोगों को सूचना दी ,कि उनके खिलाफ क्यों केस दर्ज किया गया. जिस पर 28 लोग जिला न्यायालय भोपाल में जमानत के लिये न्यायालय पहुंचे. मध्य प्रदेश किसान कांग्रेस के अध्यक्ष दिनेश गुर्जर ने बताया कि लोकतंत्र की हत्या कर, जिस तरह मध्यप्रदेश किसान कांग्रेस के सदस्यों के खिलाफ मामला दर्ज किए गए वो बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

जबलपुर। भोपाल गैस त्रासदी मामले में केन्द्र सरकार ने हाईकोर्ट में परिपालन रिपोर्ट पेश की. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ और जस्टिस विजय शुक्ला की युगलपीठ ने रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद नाराजगी जाहिर की. हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार को जमकर फटकार लगाई गयी. केन्द्र सरकार के आग्रह पर युगलपीठ ने अंतिम अवसर प्रदान करते हुए संतोषजनक रिपोर्ट पेश नहीं करने पर केबिनेट सचिव को तलब करने (bhopal gas victims hc jabalpur warns center )की चेतावनी दी है. याचिका पर अगली सुनवाई 10 जनवरी को निर्धारित की गयी है.

भोपाल गैस पीड़ित केस में केन्द्र को हाईकोर्ट की कड़ी फटकार

सर्वाेच्च न्यायालय ने साल 2012 में भोपाल गैस पीडित महिला उद्योग संगठन सहित (warning to center on treatment of bhopal gas victims )अन्य की ओर से दायर की गई याचिका की सुनवाई करते हुए भोपाल गैस पीडितों के उपचार और पुनार्वास के संबंध में 20 निर्देश जारी किये थे. इन बिंदुओं का क्रियान्वयन सुनिश्चित कर मॉनिटरिंग कमेटी का गठन करने के निर्देश भी जारी किये थे. मॉनिटरिंग कमेटी को हर तीन माह में अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट के समक्ष पेश करने के निर्देश दिए थे. रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट द्वारा राज्य सरकार को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करेगी. जिसके बाद उक्त याचिका पर हाईकोर्ट द्वारा सुनवाई की जा रही थी. याचिका के लंबित रहने के दौरान मॉनिटरिंग कमेटी की अनुशंसाओं का राज्य सरकार द्वारा परिपालन नहीं किये जाने के खिलाफ भी अवमानना याचिका दायर की गयी थी.

दायर अवमानना में कहा गया था कि सर्वाेच्चय न्यायालय द्वारा जारी निदेर्शों का परिपालन केन्द्र और राज्य सरकार द्वारा नहीं किया जा रहा है. गैस त्रासदी के पीड़ितों के हेल्थ कार्ड तक नहीं बने हैं. इसके अलावा अस्पतालों में अवश्यकता अनुसार उपकरण और दवाएं उपलब्ध नहीं हैं. (jabalpur hc last chance to center on bhopal gas victims)बीएमएचआरसी के भर्ती नियम निर्धारित होने के कारण डॉक्टर, पैरा मेडिकल स्टॉफ स्थाई तौर पर अपनी सेवाएं प्रदान नहीं करते हैं.

केन्द्र को चेतावनी के साथ अंतिम मौका

पिछली सुनवाई के दौरान पेश की गयी परिपान रिपोर्ट पर युगलपीठ ने नाराजगी व्यक्त की थी. कैंसर के अलावा अन्य बीमारियों का समुचित उपचार नहीं मिलने पर युगपीठ ने तल्ख टिप्पणी करने हुए कहा है कि मजबूरन हमें यह आदेश पारित कर दें कि पीड़ित अपनी मर्जी से किसी भी अस्पताल में उपचार करवाएं,उनका खर्च सरकार उठायेगी. याचिका पर सुनवाई के दौरान पेश की गयी परिपालन रिपोर्ट संतोष जनक नहीं पाते हुए युगलपीठ ने केन्द्र सरकार को जमाकर फटकार लगाई. केन्द्र सरकार के आग्रह पर युगलपीठ ने चेतावनी के साथ अंतिम अवसर प्रदान किया है.

अधीनस्थ न्यायालयों में न्यायाधीशों के व्यवहार पर बहस

अधिवक्ताओं के बीच अधीनस्थ न्यायालयों के न्यायाधीशों के प्रति मिल रहीं दुर्व्यवहार की शिकायत और उनके आचरण, अनुशासन को लकर आचरण संहित बननी चाहिए. इस बारे में मध्य प्रदेश राज्य अधिवक्ता परिषद ने भारत के प्रधान न्यायधीश, हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सहित सभी न्यायधीशों को पत्र भेजकर मांग की है.

बड़ा खुलासा! 5 साल में MP में 68 हज़ार नवजात शिशुओं की अस्पतालों में मौत, सरकार ने सदन में दी जानकारी

राज्य अधिवक्ता परिषद के सभागार में आयोजित पत्रवार्ता में एसबीसी के चेयरमेन शैलेन्द्र वर्मा, सदस्य अहदुल्ला उस्मानी व प्रवक्ता राधेलाल गुप्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि हाईकोर्ट व सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का व्यवहार अधिवक्ताओं के प्रति अच्छा और सम्मानजनक है. इसके विपरीत अधीनस्थ अदालतों में ऐसा नहीं है. अधीनस्थ न्यायालयों के न्यायाधीश समय पर नहीं पहुंचते और मोबाइल का प्रयोग करते रहते हैं. इतना ही नहीं एक कोर्ट में अलग-अलग काम चलते रहते हैं, जो कि स्वस्थ न्याय में बाधा है.

बिजली दर बढ़ाने के खिलाफ कोर्ट में याचिका

बिजली दर में बढ़ोतरी के प्रस्ताव को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी है. याचिका में आरोप लगाते हुए कहा गया है कि प्रदेश सरकार अपने संवैधानिक कर्तव्य को भूल गई है. नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के अध्यक्ष डॉ पी जी नाजपांडे औरा रजत भार्गव की तरफ से याचिका दायर की गई है. याचिका में कहा गया है कि नागरिकों को संकट से उबार कर जीवन बिताने में सहायता प्रदान करना सरकार का संवैधानिक कर्तव्य है. कोरोना काल में लाखों परिवार आर्थिक समस्या से जूझ रहे हैं. ऐसे में बिजली दर बढ़ाना संविधान का उल्लंघन माना जायेगा. इस पर जल्द सुनवाई होने की संभावना है.

1 महीने बाद बताया, क्यों गिरफ्तार किया

14 सितंबर 2020 को कृषि कानूनों के खिलाफ हुए आंदोलन में मध्यप्रदेश किसान कांग्रेस के 28 सदस्य भोपाल में रोशनपुरा से राज्यपाल को ज्ञापन देने निकले थे. लेकिन उन्हें एक साथ गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था. लगभग एक महीने बाद भोपाल के थाना अरेरा हिल्स ने नोटिस जारी कर 28 लोगों को सूचना दी ,कि उनके खिलाफ क्यों केस दर्ज किया गया. जिस पर 28 लोग जिला न्यायालय भोपाल में जमानत के लिये न्यायालय पहुंचे. मध्य प्रदेश किसान कांग्रेस के अध्यक्ष दिनेश गुर्जर ने बताया कि लोकतंत्र की हत्या कर, जिस तरह मध्यप्रदेश किसान कांग्रेस के सदस्यों के खिलाफ मामला दर्ज किए गए वो बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

Last Updated : Dec 21, 2021, 8:01 PM IST

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