जबलपुर। सुप्रीम कोर्ट ने एक केस की सुनवाई के दौरान आरक्षण के नियमों में स्पष्ट किया है, कि यदि किसी को कोई आरक्षण मिला हुआ है, तो उसकी प्रतिस्पर्धा केवल उसी श्रेणी के प्रतिभागियों से होगी जिस श्रेणी में उसे आरक्षण मिला हुआ है. भले ही उसने अनारक्षित श्रेणी के लोगों से ज्यादा नंबर प्राप्त किया हो. सुप्रीम कोर्ट की इस गाइडलाइन को आधार बनाकर मध्यप्रदेश में असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती के रिजल्ट को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है.
2 दिन पहले असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती का रिजल्ट निकाला गया, जिसमें 10 महिलाओं को उनके प्राप्त अंकों की वजह से अनारक्षित श्रेणी में चयन में पात्र माना गया, जबकि वे महिलाएं ओबीसी श्रेणी की हैं चुनौती देने वाली प्रतियोगी महिला का कहना है कि जब उन्हें आरक्षण मिला हुआ है, तो उन्हें आरक्षित श्रेणी में ही रखा जाना चाहिए था और उसी के आधार पर मैरिट तय होनी थी, उन्हें अनारक्षित श्रेणी में रखकर मैरिट बनाना कानून के हिसाब से गलत है.
कोर्ट ने महिला वर्ग के पदों की नियुक्ति पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है. अगली सुनवाई नवंबर में रखी गई है, इसमें पीएससी से जवाब मांगा गया है कि आखिर उन्होंने आरक्षण के नियमों का पालन क्यों नहीं किया.