जबलपुर: एक महिला ने नौ साल पहले लापता हुए पति को हैदराबाद में बंधक बनाकर रखने का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका (Habeas corpus petition in jabalpur high court) दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि जानकारी देने के बावजूद भी पुलिस ने अनावेदक बनाए गए व्यक्ति से किसी प्रकार की पूछताछ तक नहीं की. याचिका की सुनवाई करते हुए जस्टिस विरेन्द्र सिंह तथा जस्टिस प्रकाश चंद्र गुप्ता की युगलपीठ (Justice Virendra Singh and Justice Prakash Chandra Gupta bench) ने पुलिस को लापता की तलाश में की गई कार्यवाई के संबंध में ब्यौरा पेश करने के निर्देश दिये हैं.
बालाघाट जिले की लांजी तहसील (Lanji Tehsil Balaghat ) निवासी सीता चौरबड़े (Sita Chowrabade Case) की तरफ से दायर की गयी याचिका (MP high court Jabalpur news) में कहा गया था कि उसका पति अनिल चौरबड़े फरवरी 2013 से लापता है. जिसके लापता होने की शिकायत उसने पुलिस में दर्ज करवाई थी. उसके मोबाइल फोन पर अंतिम कॉल अनावेदक लेख लाल का आया था. पति की तलाश में कार्यवाई के संबंध में उसने लगातार पुलिस विभाग के संबंधित अधिकारियों को पत्राचार कर जानकारी प्राप्त करने का प्रयास किया.
पुलिस विभाग द्वारा साल 2020 में सीता चौरबड़े (Shita Chowrabade Case) को सूचित किया गया कि उसके पति की तलाश जारी है. इस दौरान उसे सूचना मिली की उसके पति को अनावेदक झनक किरनापुर नामक होटल व्यापारी ने हैदराबाद में बंधक बना रखा है. जिसकी सूचना उसने पुलिस को दी थी लेकिन पुलिस ने उसे तथा लेख लाल से पूछताछ तक नहीं की. याचिका में गृह सचिव, सीबीई, एसपी बालाघाट (SP Balaghat) तथा लांची थाना प्रभारी को भी अनावेदक बनाया गया था. याचिका की सुनवाई के बाद युगलपीठ ने उक्त आदेश जारी किये. याकिचाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता मोनिष साहू तथा अधिवक्ता कांशी राम पटेल उपस्थित हुए.