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Ganesha Utsava Special: क्या आपने देखी है 10वीं शताब्दी की 'नृत्य गणेश' प्रतिमा, कलचुरी काल से है संबंध

संस्कारधानी जबलपुर में भगवान गणेश की 1000 साल पुरानी प्रतिमा रखी हुई है. ईटीवी भारत की रिपोर्ट में जाने कलचुरी काल की इस प्रतिमा के बारे में.

Ganesha Utsava Special
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Published : Sep 16, 2021, 11:00 PM IST

जबलपुर। ईटीवी भारत आज आपको गणेश पूजा का 1000 साल पुराना इतिहास बताने जा रहा है. दरअसल संस्कारधानी जबलपुर के संग्राहलय में 10वीं शताब्दी की गणेश प्रतिमाएं रखी हुई हैं. 1000 साल पुरानी नृत्य गणेश की यह अद्भुत प्रतिमा, कलचुरी कालीन की बताई जाती है. जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जबलपुर के आसपास के इलाकों में 10वीं शताब्दी से भगवान गणेश की पूजा होती आ रही है. ईटीवी भारत की यह खास रिपोर्ट पढ़ें और जानें 1000 हजार साल पुरानी इस प्रतिमा के बारे में.

'नृत्य गणेश' प्रतिमा

पूरे भारत में नृत्य गणेश प्रतिमा मिलना मुश्किल

जबलपुर के संग्रहालय में एक नृत्य गणेश की प्रतिमा रखी हुई है. कैमोरी पत्थर से बनी इस अद्भुत प्रतिमा को कटनी से लाया गया था. इस प्रतिमा में भगवान गणेश नृत्य की मुद्रा में दिखते हैं, और उनकी आठ भुजाएं हैं. पुरातत्व के जानकार रामकुमार बताते हैं कि गणेश की यह प्रतिमा अद्भुत है, इसमें गजब का सौंदर्य है और धार्मिक नजरिए से भी इसका अलग महत्व है. रामकुमार ने कहा कि भगवान गणेश को सामान्य तौर पर विराजित मुद्रा में बताया गया है, लेकिन 10वीं शताबदी के कलाकार ने प्रतिमा में गणेश को नृत्य मुद्रा में दर्शाया.

तेवर ग्राम में भी मिले थे 10वीं शताब्दी के गणेश

जबलपुर के पास कलचुरी काल में तेवर गांव में भी भगवान गणेश की पूजा की जाती थी. यहां भगवान गणेश की कई अद्भुत प्रतिमाएं उस दौरान बनाई गई थी. एक प्रतिमा जबलपुर के संग्रहालय में भी रखी हुई है. हालांकि इसकी स्थापना पहले कही की गई थी, लेकिन लोगों ने पूजा कर इस प्रतिमा की नक्काशी को खराब कर दिया. तेवर गांव के चौपाल पर एक गणेश प्रतिमा अभी भी रखी हुई है, जो 10 वीं शताब्दी की है.

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10वीं शताब्दी में होती थी भगवान गणेश की पूजा

इन प्रतिमाओं की देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि 10वीं शताब्दी में भी भगवान गणेश पूज्य थे. लोग इनकी स्थापना कर पूजा करते थे. भगवान गणेश के बारे में हमने जो पढ़ा-सुना है, वह इन प्रतिमाओं में देखा जा सकता है. भगवान गणेश के साथ ही वह कलाकार भी गजब थे, जिन्होंने इन प्रतिमाओं को बनाया था.

जबलपुर। ईटीवी भारत आज आपको गणेश पूजा का 1000 साल पुराना इतिहास बताने जा रहा है. दरअसल संस्कारधानी जबलपुर के संग्राहलय में 10वीं शताब्दी की गणेश प्रतिमाएं रखी हुई हैं. 1000 साल पुरानी नृत्य गणेश की यह अद्भुत प्रतिमा, कलचुरी कालीन की बताई जाती है. जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जबलपुर के आसपास के इलाकों में 10वीं शताब्दी से भगवान गणेश की पूजा होती आ रही है. ईटीवी भारत की यह खास रिपोर्ट पढ़ें और जानें 1000 हजार साल पुरानी इस प्रतिमा के बारे में.

'नृत्य गणेश' प्रतिमा

पूरे भारत में नृत्य गणेश प्रतिमा मिलना मुश्किल

जबलपुर के संग्रहालय में एक नृत्य गणेश की प्रतिमा रखी हुई है. कैमोरी पत्थर से बनी इस अद्भुत प्रतिमा को कटनी से लाया गया था. इस प्रतिमा में भगवान गणेश नृत्य की मुद्रा में दिखते हैं, और उनकी आठ भुजाएं हैं. पुरातत्व के जानकार रामकुमार बताते हैं कि गणेश की यह प्रतिमा अद्भुत है, इसमें गजब का सौंदर्य है और धार्मिक नजरिए से भी इसका अलग महत्व है. रामकुमार ने कहा कि भगवान गणेश को सामान्य तौर पर विराजित मुद्रा में बताया गया है, लेकिन 10वीं शताबदी के कलाकार ने प्रतिमा में गणेश को नृत्य मुद्रा में दर्शाया.

तेवर ग्राम में भी मिले थे 10वीं शताब्दी के गणेश

जबलपुर के पास कलचुरी काल में तेवर गांव में भी भगवान गणेश की पूजा की जाती थी. यहां भगवान गणेश की कई अद्भुत प्रतिमाएं उस दौरान बनाई गई थी. एक प्रतिमा जबलपुर के संग्रहालय में भी रखी हुई है. हालांकि इसकी स्थापना पहले कही की गई थी, लेकिन लोगों ने पूजा कर इस प्रतिमा की नक्काशी को खराब कर दिया. तेवर गांव के चौपाल पर एक गणेश प्रतिमा अभी भी रखी हुई है, जो 10 वीं शताब्दी की है.

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10वीं शताब्दी में होती थी भगवान गणेश की पूजा

इन प्रतिमाओं की देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि 10वीं शताब्दी में भी भगवान गणेश पूज्य थे. लोग इनकी स्थापना कर पूजा करते थे. भगवान गणेश के बारे में हमने जो पढ़ा-सुना है, वह इन प्रतिमाओं में देखा जा सकता है. भगवान गणेश के साथ ही वह कलाकार भी गजब थे, जिन्होंने इन प्रतिमाओं को बनाया था.

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