जबलपुर। कोरोना काल में कोविड-19 संक्रमण से लोग ठीक हो रहे हैं, लेकिन इस बीमारी के बाद दूसरे संक्रमण भी शरीर के भीतर घर करते हुए इंसानों को घेर रहे हैं. कोरोना संक्रमण के बाद एक और बीमारी जिसे फंगस कहा जाता है, उस बीमारी ने लोगों को परेशान करना शुरू कर दिया है. कोरोना के साथ-साथ ब्लैक, व्हाइट जैसे कई फंगस फैल रहा है. इस बीच अच्छी खबर ये है कि मध्यप्रदेश के जबलपुर में फंगस बीमारी से निपटने के लिए इंजेक्शन बनाने की मंजूरी राज्य सरकार ने दे दी है.
ब्लैक, व्हाइट या फिर कोई भी फंगस हो अब डरने की जरूरत नही है क्योकि इस बीमारी की दवा मध्यप्रदेश के जबलपुर में बनेगी, जिसके लिए राज्य सरकार ने मंजूरी दे दी है. मध्यप्रदेश नर्सिंग होम एसोसिएशन के अध्यक्ष की पहल पर यह सफलता जबलपुर को मिली है, जिसके बाद अब औद्योगिक क्षेत्र उमरिया-डूंगारिया में स्थित लैब में फंगस बीमारी से निदान के लिए इंजेक्शन बनाने की मंजूरी मिलने के बाद कंपनी ने तैयारी शुरू कर दी है.
मध्यप्रदेश नर्सिंग होम एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ जितेंद्र जामदार ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि इस संक्रमण काल में मध्यप्रदेश सरकार ने बीमारी से पीड़ित लोगों को जो सौगात दी है, वह तारीफ के लायक है. उन्होंने बताया कि अनुमति मिलने के बाद अब जल्द ही जबलपुर में फंगस से निपटने के लिए इंजेक्शन बनाना शुरू कर दिया जाएगा.
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न्योकोर माइकोसिस है बीमारी का नाम
मध्यप्रदेश नर्सिंग होम एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ जितेंद्र जामदार ने बताया कि आज पूरा देश कोरोना के बाद अब न्यूकोर माइकोसिस बीमारी से ग्रसित है और इसी बीमारी को आम भाषा में फंगस कहते हैं, जो कि अभी तक कई रंग में सामने आई है. इस आपातकाल की स्थिति में मध्यप्रदेश सरकार ने जबलपुर की रेवा क्योर लाइफ साइंस नाम की कंपनी को फंगस से बचाव में उपयोग होने वाले इंजेक्शन बनाने का काम दिया है जो कि बहुत ही खुशी की बात है. उंन्होने कहा कि निश्चित रूप से ये जबलपुर के लिए सौगात है, क्योंकि अगर जबलपुर में एम्फोटरिसन बी इंजेक्शन बनने लगा तो सिर्फ जबलपुर ही नहीं बल्कि समूचे महाकोशल-विंध्य और बुंदेलखंड में इस बीमारी से ग्रसित मरीजों के लिए आसानी से यह दवा उपलब्ध हो जाएगी.
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दाम में भी पड़ेगा बहुत असर
फंगस से ग्रसित मरीज को एम्फोटरिसन बी इंजेक्शन रोजाना 4 लगाए जाते हैं जो कि करीब 30 से 40 दिन तक लगते हैं. अभी बाजार में जो एम्फोटरिसन बी इंजेक्शन की कीमत करीब 4500 से 5000 रुपये है. अगर यही इंजेक्शन जबलपुर में बनने लगेगा तो न सिर्फ इसकी कीमत तकरीबन आधी हो जाएगी बल्कि यह आसानी से उपलब्ध भी हो जाएगा.