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शहीद अश्विनी कुमार के गांव का बच्चा-बच्चा बनना चाहता सैनिक, यहां के कई जवान दे चुके हैं देश के लिए शहादत

शुक्रवार को शहीद अश्विनी का पार्थिव शरीर गृह ग्राम कुडवाला लाया गया. अश्विनी के गांव से इससे पहले भी दो जवान शहीद हो चुके हैं, यहां का बच्चा बच्चा सैनिक बनना चाहता है.

शहीद के गांव पहुंचे लोग
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Published : Feb 16, 2019, 8:20 PM IST

जबलपुर। पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुये 41 जवानों में जबलपुर के कुडवाल गांव का लाल अश्विनी का नाम भी है. शुक्रवार को शहीद का पार्थिव शरीर गृह ग्राम लाया गया. अश्विनी के गांव से इससे पहले भी दो जवान शहीद हो चुके हैं. एक ओर जहां अश्विनी की शहदत के बाद गांवभर में शोक पसरा है तो वहीं इस गांव के बच्चे इन वीरों की तरह ही सेना में भर्ती होना चाहते हैं.

अश्विनी की शहादत से पहले इस गांव कुडवाल से छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में सन 2007 में हुई नक्सली मुठभेड़ के दौरान सीआरपीएफ के जवान राजेंद्र उपाध्याय भी शहीद हो चुके हैं. साथ ही 2016 में जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में हुये आतंकी हमले में सीआरपीएफ के जवान रामेश्वर पटेल ने अपनी जान देश पर न्यौछावर की थी और अब अश्विनी हाल ही में हुये आतंकी हमले में शहीद हो गये.

इस गांव के 40 और बेटे सेना में हैं और देश की सेवा कर रहे हैं. अश्विनी की शहादत की खबर के बाद से ही गांव में मातम पसरा हुया है, ग्रामीणों की आंखों में आंसू भी हैं और इस कायाराना हरकत पर आक्रोश भी दिखाई दे रहा है, यहां का बच्चा-बच्चा सेना में जाना चाहता है क्योंकि, इस गांव के शहीदों की कहानियां सुनकर ही ये बच्चे बड़े हुये हैं और उन्हें शहीदों की वीरगाथा मुंहजुबानी याद है.

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अश्विनी की अंतिम यात्रा में पहुंच लोग
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इस गांव में रहने वाला बुजुर्ग, महिला, युवा और बच्चा हर कोई इन शहीदों के बारे में बात करते हुये गौरवान्वित महसूस करते हैं, इसी गौरव गाथा और जोश के चलते यहां का हर एक बच्चे का कहना है कि वे भी बड़े होकर सैनिक बनेंगे.

जबलपुर। पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुये 41 जवानों में जबलपुर के कुडवाल गांव का लाल अश्विनी का नाम भी है. शुक्रवार को शहीद का पार्थिव शरीर गृह ग्राम लाया गया. अश्विनी के गांव से इससे पहले भी दो जवान शहीद हो चुके हैं. एक ओर जहां अश्विनी की शहदत के बाद गांवभर में शोक पसरा है तो वहीं इस गांव के बच्चे इन वीरों की तरह ही सेना में भर्ती होना चाहते हैं.

अश्विनी की शहादत से पहले इस गांव कुडवाल से छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में सन 2007 में हुई नक्सली मुठभेड़ के दौरान सीआरपीएफ के जवान राजेंद्र उपाध्याय भी शहीद हो चुके हैं. साथ ही 2016 में जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में हुये आतंकी हमले में सीआरपीएफ के जवान रामेश्वर पटेल ने अपनी जान देश पर न्यौछावर की थी और अब अश्विनी हाल ही में हुये आतंकी हमले में शहीद हो गये.

इस गांव के 40 और बेटे सेना में हैं और देश की सेवा कर रहे हैं. अश्विनी की शहादत की खबर के बाद से ही गांव में मातम पसरा हुया है, ग्रामीणों की आंखों में आंसू भी हैं और इस कायाराना हरकत पर आक्रोश भी दिखाई दे रहा है, यहां का बच्चा-बच्चा सेना में जाना चाहता है क्योंकि, इस गांव के शहीदों की कहानियां सुनकर ही ये बच्चे बड़े हुये हैं और उन्हें शहीदों की वीरगाथा मुंहजुबानी याद है.

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अश्विनी की अंतिम यात्रा में पहुंच लोग
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इस गांव में रहने वाला बुजुर्ग, महिला, युवा और बच्चा हर कोई इन शहीदों के बारे में बात करते हुये गौरवान्वित महसूस करते हैं, इसी गौरव गाथा और जोश के चलते यहां का हर एक बच्चे का कहना है कि वे भी बड़े होकर सैनिक बनेंगे.

Intro:कुडवाल गांव का बच्चा सैनिक इस गांव से पहले ही दो सैनिक शहीद हो चुके है अस्वनी ने एक बार फिर बढ़ाया गांव का नाम
गांव के 40 जवान अभी भी सेना


Body:कुडवाल गांव शहीदों के गांव के नाम से जाना जाता है इस गांव से राजेंद्र उपाध्याय सीआरपीएफ 2007 छत्तीसगढ़ में नक्सलियों से मोटिवेट करते हुए दंतेवाड़ा में शहीद हुए थे और
रामेश्वर पटेल सीआरपीएफ2016 जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों से देश को बचाते हुए कुपवाडा मैं शहीद हुए थे अब इस सूची में अश्विनी का नाम भी शामिल हो गया है अश्विनी इस गांव से शहीद होने वाले तीसरे जवान है इस गांव से 40 नौजवान अभी भी अलग-अलग सेनाओं में है और देश की सेवा कर रहे हैं गांव के सैकड़ों बच्चे सैन्य और अर्धसैनिक बलों में शामिल होने के लिए तैयारी कर रहे हैं

गांव के बच्चे बच्चे को इन शहीदों की वीरगाथा याद है और बच्चे इन शहीदों के बारे में बात करते हुए गौरवान्वित महसूस करते हैं बच्चों का कहना है कि वे भी बड़े होकर सैनिक बनेंगे


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