जबलपुर। पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुये 41 जवानों में जबलपुर के कुडवाल गांव का लाल अश्विनी का नाम भी है. शुक्रवार को शहीद का पार्थिव शरीर गृह ग्राम लाया गया. अश्विनी के गांव से इससे पहले भी दो जवान शहीद हो चुके हैं. एक ओर जहां अश्विनी की शहदत के बाद गांवभर में शोक पसरा है तो वहीं इस गांव के बच्चे इन वीरों की तरह ही सेना में भर्ती होना चाहते हैं.
अश्विनी की शहादत से पहले इस गांव कुडवाल से छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में सन 2007 में हुई नक्सली मुठभेड़ के दौरान सीआरपीएफ के जवान राजेंद्र उपाध्याय भी शहीद हो चुके हैं. साथ ही 2016 में जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में हुये आतंकी हमले में सीआरपीएफ के जवान रामेश्वर पटेल ने अपनी जान देश पर न्यौछावर की थी और अब अश्विनी हाल ही में हुये आतंकी हमले में शहीद हो गये.
इस गांव के 40 और बेटे सेना में हैं और देश की सेवा कर रहे हैं. अश्विनी की शहादत की खबर के बाद से ही गांव में मातम पसरा हुया है, ग्रामीणों की आंखों में आंसू भी हैं और इस कायाराना हरकत पर आक्रोश भी दिखाई दे रहा है, यहां का बच्चा-बच्चा सेना में जाना चाहता है क्योंकि, इस गांव के शहीदों की कहानियां सुनकर ही ये बच्चे बड़े हुये हैं और उन्हें शहीदों की वीरगाथा मुंहजुबानी याद है.
इस गांव में रहने वाला बुजुर्ग, महिला, युवा और बच्चा हर कोई इन शहीदों के बारे में बात करते हुये गौरवान्वित महसूस करते हैं, इसी गौरव गाथा और जोश के चलते यहां का हर एक बच्चे का कहना है कि वे भी बड़े होकर सैनिक बनेंगे.