ETV Bharat / city

जबलपुर: इंजीनियर दुष्यंत दुबे को जल संरक्षण के लिए मिला अवॉर्ड, देशभर में मिला तीसरा स्थान - जबलपुर

जल संरक्षण के लिए जबलपुर के एक इंजीनियर के योगदान को देखते हुए केन्द्र सरकार ने उन्हें अवॉर्ड देकर सम्मानित किया.

इंजीनियर दुष्यंत दुबे
author img

By

Published : Mar 5, 2019, 9:43 AM IST

जबलपुर। पूरे देश में जल संरक्षण एक अहम और गंभीर मुद्दा है. जल को बचाने और सरंक्षित करने के लिए सरकार ने लगातार कई प्रयास करने के साथ-साथ करोड़ों रुपए खर्च किए. अब जल संरक्षण के लिए जबलपुर के एक इंजीनियर के योगदान को देखते हुए केन्द्र सरकार ने उन्हें अवॉर्ड देकर सम्मानित किया है.

jabalpur, mp
इंजीनियर दुष्यंत दुबे

संस्कारधानी जबलपुर के इंजीनियर दुष्यंत दुबे को जल संरक्षण के लिए हाल ही में दिल्ली में हुए एक कार्यक्रम में केन्द्रीय राज्य मंत्री अर्जुन मेघवाल ने पुरुस्कृत करते हुए अवॉर्ड दिया. देशभर से जल संरक्षण को लेकर आए इंजीनियरों में जबलपुर के दुष्यन्त दुबे को तीसरा स्थान मिला है. जल संरक्षण को लेकर कर रहे अपने कामों को साझा करते हुए दुष्यन्त दूबे ने बताया कि कैसे वेस्टेज पानी को सहेज कर उसका उपयोग दोबारा कर सकते हैं. सेप्टिक टैंक के पानी जिसे की फीकल कहते हैं, उसे सहेजकर फिर से पानी का उपयोग किया जा सकता है.

इंजीनियर दुष्यंत दुबे

इंजीनियर दुष्यन्त दूबे का कहना है कि इस समय सरकार फीकल (सेप्टिक टैंक का पानी) में काम कर रहा है. सेप्टिक टैंक से निकला पानी जिसे स्लज कहा जाता है, उस पानी को नगरीय निकाय सक कर निकालती थी और कहीं भी डाल देती थी, जिससे कई तरह की बीमारी फैलती थी. इंजीनयर दूबे की मानें तो उस स्लज को डिग्रेड कर पानी को फिर से उपयोग में लाकर गॉर्डनिंग-वॉशिंग में उपयोग कर सकते हैं. स्लज से पानी तक के सफर के लिए इंजीनियर ने खुद का अपना एक पेटेंट भी करवाया है.

अभी तक छत्तीसगढ़ के अम्बिकापुर और मध्यप्रदेश के उज्जैन में लग चुका है. फीकल को खुले में फेंकने से हैजा-कालरा जैसी कई गंभीर बीमारी होती है. वहीं नदियों में हो रहे प्रदूषण को लेकर इंजीनियर दुष्यन्त ने कहा कि किसी भी सभ्यता का विकास नदियों से जुड़ा होता है और नदी-नालों से प्रदूषित होती है. नदियों को प्रदूषण मुक्त करने के लिए सरकार अगर इस तरह के प्लांट लगाने में दिलचस्पी दिखाए, तो निश्चितरूप से काफी हद तक नदियों को प्रदूषण रहित किया जा सकता है. खास बात ये है कि फीकल से जुड़े प्लांट को लगाने के लिए बहुत कम पैसे लगते हैं.

undefined

जबलपुर। पूरे देश में जल संरक्षण एक अहम और गंभीर मुद्दा है. जल को बचाने और सरंक्षित करने के लिए सरकार ने लगातार कई प्रयास करने के साथ-साथ करोड़ों रुपए खर्च किए. अब जल संरक्षण के लिए जबलपुर के एक इंजीनियर के योगदान को देखते हुए केन्द्र सरकार ने उन्हें अवॉर्ड देकर सम्मानित किया है.

jabalpur, mp
इंजीनियर दुष्यंत दुबे

संस्कारधानी जबलपुर के इंजीनियर दुष्यंत दुबे को जल संरक्षण के लिए हाल ही में दिल्ली में हुए एक कार्यक्रम में केन्द्रीय राज्य मंत्री अर्जुन मेघवाल ने पुरुस्कृत करते हुए अवॉर्ड दिया. देशभर से जल संरक्षण को लेकर आए इंजीनियरों में जबलपुर के दुष्यन्त दुबे को तीसरा स्थान मिला है. जल संरक्षण को लेकर कर रहे अपने कामों को साझा करते हुए दुष्यन्त दूबे ने बताया कि कैसे वेस्टेज पानी को सहेज कर उसका उपयोग दोबारा कर सकते हैं. सेप्टिक टैंक के पानी जिसे की फीकल कहते हैं, उसे सहेजकर फिर से पानी का उपयोग किया जा सकता है.

इंजीनियर दुष्यंत दुबे

इंजीनियर दुष्यन्त दूबे का कहना है कि इस समय सरकार फीकल (सेप्टिक टैंक का पानी) में काम कर रहा है. सेप्टिक टैंक से निकला पानी जिसे स्लज कहा जाता है, उस पानी को नगरीय निकाय सक कर निकालती थी और कहीं भी डाल देती थी, जिससे कई तरह की बीमारी फैलती थी. इंजीनयर दूबे की मानें तो उस स्लज को डिग्रेड कर पानी को फिर से उपयोग में लाकर गॉर्डनिंग-वॉशिंग में उपयोग कर सकते हैं. स्लज से पानी तक के सफर के लिए इंजीनियर ने खुद का अपना एक पेटेंट भी करवाया है.

अभी तक छत्तीसगढ़ के अम्बिकापुर और मध्यप्रदेश के उज्जैन में लग चुका है. फीकल को खुले में फेंकने से हैजा-कालरा जैसी कई गंभीर बीमारी होती है. वहीं नदियों में हो रहे प्रदूषण को लेकर इंजीनियर दुष्यन्त ने कहा कि किसी भी सभ्यता का विकास नदियों से जुड़ा होता है और नदी-नालों से प्रदूषित होती है. नदियों को प्रदूषण मुक्त करने के लिए सरकार अगर इस तरह के प्लांट लगाने में दिलचस्पी दिखाए, तो निश्चितरूप से काफी हद तक नदियों को प्रदूषण रहित किया जा सकता है. खास बात ये है कि फीकल से जुड़े प्लांट को लगाने के लिए बहुत कम पैसे लगते हैं.

undefined
Intro:Body:Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.