जबलपुर। संस्कारधानी में पीने के पानी के खिलाफ हाईकोर्ट में दो याचिका दायर की गई थी. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के नए चीफ जस्टिस एके मित्तल ने इन दोनों याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए जबलपुर शहर के नगर निगम कमिश्नर और जिला कलेक्टर से एक एक्शन प्लान की मांग की है. जिसमें जबलपुर शहर के वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम ड्रेनेज सिस्टम वाटर सप्लाई सिस्टम सीवर लाइन जैसे मुद्दों पर जानकारी मांगी गई है.
बीते दिनों जबलपुर के दमोह नाका इलाके के एक परिवार में अजीब सी समस्या सामने आई थी. जहां परिवार के बच्चे को खूनी पेचिश हो गई. जिस पर डॉक्टरों का कहना था कि बच्चे ने जो पानी पिया है उसमें ईकोलाई और कॉलीफॉर्म बैक्टीरिया थे. इसी की वजह से बच्चे को यह तकलीफ हुई. उसके तुरंत बाद एक कांग्रेस नेता सौरभ शर्मा की मदद से इस परिवार ने पानी के सेंपल की जांच करवाई. पानी के इस सैंपल में कॉलीफॉर्म बैक्टीरिया 25 सौ गुना ज्यादा पाए गए.
इस घटना के बाद कांग्रेस नेता सौरभ शर्मा ने जबलपुर शहर के लगभग 150 पानी के सैंपल की जांच करवाई इनमें से 135 जगहों पर गंदा पानी पाया गया. इसके बाद कांग्रेस ने नगर निगम में हंगामा किया लेकिन पानी की स्थिति नहीं सुधरी इसके बाद जबलपुर हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई.
इसके अलावा 2017 में जबलपुर के हालात पर हाईकोर्ट ने एक सोमोटो पेटीशन भी दायर की गई थी. जिसमें कहा गया था कि जबलपुर का विकास जिस गति से होना चाहिए था. उस गति से हुआ नहीं था. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के नए चीफ जस्टिस ए के मित्तल ने दोनों मामलों में सुनवाई करते हुए जबलपुर नगर-निगम से पूरी जानकारी मांगी है. इस मामले में अगली सुनवाई 16 दिसंबर को तय की गई है जब जबलपुर के अधिकारी अपना जवाब लेकर हाई कोर्ट में पेश होंगे.