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ऑनलाइन क्लास बनी परेशानी का डबल डोज, कंप्यूटर-लैपटॉप की डिमांड से बिगड़ रहा घर का बजट

बाहर निकले तो कोरोना, घर के अंदर घर को चलाने के लिए बजट मेनटेन करने का तनाव इतने में ही लोगों की हालत पस्त पड़ चुकी है, और अब ऐसे हालातों के बीच स्मार्टफोन और लैपटॉप खरीदने की मजबूरी परिजनों के लिए स्ट्रेस और परेशानी का डबल डोज बन रही है.

Budget deteriorating due to online class
ऑनलाइन क्लास से बिगड़ रहा बजट
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Published : Jul 24, 2020, 7:20 PM IST

जबलपुर। कोविड-19 के कारण शिक्षा व्यवस्था तक ठप्प हो गई है, मार्च के बाद से स्कूलों में ताला लगा हुआ है, ऐसे में शिक्षा विभाग के निर्देश पर स्कूल संचालक छात्रों को घर पर ही रह कर ऑनलाइन क्लास लगाकर शिक्षा दे रहे हैं, एक तरह से जहां ऑनलाइन क्लास से बच्चों की शिक्षा सुचारू रूप से चल रही है तो वहीं दूसरी और बच्चों के परिजनों पर इस कोरोना कॉल में एक अतिरिक्त भार और बढ़ गया है जो कि है स्मार्ट फोन और कंप्यूटर का

ऑनलाइन क्लास से बिगड़ रहा बजट

घर पर ही रह कर छात्रों को स्कूल प्रबंधन ऑनलाइन शिक्षा दे रहे हैं, इस ऑनलाइन शिक्षा का उद्देश्य है कि कोरोना काल में फैला संक्रमण स्कूल के माध्यम से बच्चों तक ना पहुंचे और बच्चों की शिक्षा भी जारी रहे, यही वजह है कि स्कूल बंद कर प्रबंधन छात्रों को घर पर रहकर ऑनलाइन क्लास दे रहा है. हालांकि इसके लिए स्कूल प्रबंधन बकायदा बच्चों के परिजनों से ट्यूशन फीस भी ले रहा है.

छात्रों की पढ़ाई के लिए परिजन कर रहे हैं गैजेट्स की व्यवस्था

एक तो कोरोना काल में चौपट व्यापार और नौकरी तो वहीं स्कूल प्रबंधन की ऑनलाइन क्लास के लिए की जा रही डिमांड से मध्यम वर्गीय परिवार पर एक अतिरिक्त भार पड़ गया है. बच्चों के परिजन बताते हैं कि स्कूल से कंप्यूटर, लैपटॉप, स्मार्टफोन खरीदने के लिए बोला जा रहा है, जिसकी व्यवस्था करने में परिजन जुटे हैं. परिजनों का ये भी कहना है कि ऑनलाइन क्लास के लिए कंप्यूटर, लैपटॉप और स्मार्टफोन ही एक माध्यम है, जिसकी फिलहाल हम व्यवस्था कर रहे हैं.

बाजार से गायब हुए लैपटॉप और डेस्कटॉप

इधर कंप्यूटर विक्रेताओं का कहना है कि ऑनलाइन क्लास के शुरू होने से डेस्कटॉप, लैपटॉप और स्मार्टफोन की मांग में गजब का इजाफा हुआ है. आलम यह है कि अब तो बाजार में लैपटॉप बड़ी मुश्किल से ही मिल रहा है. कंप्यूटर विक्रेता संदीप का कहना है कि अगर हमें 100 लैपटॉप की आवश्यकता है तो कंपनी से सिर्फ 10 ही उपलब्ध हो पा रहे हैं.

मार्केट में कंप्यूटर स्मार्टफोन की शॉर्टेज

लैपटॉप विक्रेता संदीप की माने तो ज्यादातर कंपनी के लैपटॉप चाइना से ही आते हैं, लेकिन हाल ही में केंद्र सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक चाइना के सामानों के आयात को बंद कर दिया गया है, इसका एक बड़ा कारण यह भी है कि बाजार में लैपटॉप की शॉर्टेज आ गई है.

बच्चों की आंखों पर पड़ता है असर

ऑनलाइन पढ़ाई से परिजन की एक और परेशानी का कारण नेत्र विशेषज्ञ डॉक्टर बता रहे हैं.डॉक्टर डीपी गुर्जर कहते हैं, कम उम्र में ही बच्चे लैपटॉप और मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं तो उनकी आंखों में कमजोरी आ सकती है, इतना ही नहीं बच्चों को दृष्टि दोष भी हो सकता है. डॉ डी.पी गुर्जर बताते हैं, बच्चे कई घंटे तक कंप्यूटर व मोबाइल का उपयोग करते हैं तो उन्हें कम उम्र में ही चश्मा लगाना पड़ सकता है, यही वजह है कि ऑनलाइन क्लास को नेत्र विशेषज्ञ डॉक्टर सही नहीं मान रहे हैं.

आज पढ़ाई हर समय है जरूरी

माता-पिता चाहते हैं, कि भले बच्चे स्कूल ना जाए पर अपनी पढ़ाई को सुचारू रूप से जारी रखें, ऐसे में स्कूल प्रबंधन जहां ऑनलाइन क्लास को बढ़ावा दे रहा हैं तो बच्चों के परिजन भी चाहते हैं कि वह अपने बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई से ही अच्छी तालीम दें पर इस पढ़ाई की जद्दोजहद में परिजन यह भी भूल जाते हैं कि अगर बच्चे लगातार कंप्यूटर, मोबाइल का घंटों तक पढ़ाई में इस्तेमाल करते हैं तो उनके बच्चों की आंखों में दृष्टि दोष भी आ सकता है.

जबलपुर। कोविड-19 के कारण शिक्षा व्यवस्था तक ठप्प हो गई है, मार्च के बाद से स्कूलों में ताला लगा हुआ है, ऐसे में शिक्षा विभाग के निर्देश पर स्कूल संचालक छात्रों को घर पर ही रह कर ऑनलाइन क्लास लगाकर शिक्षा दे रहे हैं, एक तरह से जहां ऑनलाइन क्लास से बच्चों की शिक्षा सुचारू रूप से चल रही है तो वहीं दूसरी और बच्चों के परिजनों पर इस कोरोना कॉल में एक अतिरिक्त भार और बढ़ गया है जो कि है स्मार्ट फोन और कंप्यूटर का

ऑनलाइन क्लास से बिगड़ रहा बजट

घर पर ही रह कर छात्रों को स्कूल प्रबंधन ऑनलाइन शिक्षा दे रहे हैं, इस ऑनलाइन शिक्षा का उद्देश्य है कि कोरोना काल में फैला संक्रमण स्कूल के माध्यम से बच्चों तक ना पहुंचे और बच्चों की शिक्षा भी जारी रहे, यही वजह है कि स्कूल बंद कर प्रबंधन छात्रों को घर पर रहकर ऑनलाइन क्लास दे रहा है. हालांकि इसके लिए स्कूल प्रबंधन बकायदा बच्चों के परिजनों से ट्यूशन फीस भी ले रहा है.

छात्रों की पढ़ाई के लिए परिजन कर रहे हैं गैजेट्स की व्यवस्था

एक तो कोरोना काल में चौपट व्यापार और नौकरी तो वहीं स्कूल प्रबंधन की ऑनलाइन क्लास के लिए की जा रही डिमांड से मध्यम वर्गीय परिवार पर एक अतिरिक्त भार पड़ गया है. बच्चों के परिजन बताते हैं कि स्कूल से कंप्यूटर, लैपटॉप, स्मार्टफोन खरीदने के लिए बोला जा रहा है, जिसकी व्यवस्था करने में परिजन जुटे हैं. परिजनों का ये भी कहना है कि ऑनलाइन क्लास के लिए कंप्यूटर, लैपटॉप और स्मार्टफोन ही एक माध्यम है, जिसकी फिलहाल हम व्यवस्था कर रहे हैं.

बाजार से गायब हुए लैपटॉप और डेस्कटॉप

इधर कंप्यूटर विक्रेताओं का कहना है कि ऑनलाइन क्लास के शुरू होने से डेस्कटॉप, लैपटॉप और स्मार्टफोन की मांग में गजब का इजाफा हुआ है. आलम यह है कि अब तो बाजार में लैपटॉप बड़ी मुश्किल से ही मिल रहा है. कंप्यूटर विक्रेता संदीप का कहना है कि अगर हमें 100 लैपटॉप की आवश्यकता है तो कंपनी से सिर्फ 10 ही उपलब्ध हो पा रहे हैं.

मार्केट में कंप्यूटर स्मार्टफोन की शॉर्टेज

लैपटॉप विक्रेता संदीप की माने तो ज्यादातर कंपनी के लैपटॉप चाइना से ही आते हैं, लेकिन हाल ही में केंद्र सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक चाइना के सामानों के आयात को बंद कर दिया गया है, इसका एक बड़ा कारण यह भी है कि बाजार में लैपटॉप की शॉर्टेज आ गई है.

बच्चों की आंखों पर पड़ता है असर

ऑनलाइन पढ़ाई से परिजन की एक और परेशानी का कारण नेत्र विशेषज्ञ डॉक्टर बता रहे हैं.डॉक्टर डीपी गुर्जर कहते हैं, कम उम्र में ही बच्चे लैपटॉप और मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं तो उनकी आंखों में कमजोरी आ सकती है, इतना ही नहीं बच्चों को दृष्टि दोष भी हो सकता है. डॉ डी.पी गुर्जर बताते हैं, बच्चे कई घंटे तक कंप्यूटर व मोबाइल का उपयोग करते हैं तो उन्हें कम उम्र में ही चश्मा लगाना पड़ सकता है, यही वजह है कि ऑनलाइन क्लास को नेत्र विशेषज्ञ डॉक्टर सही नहीं मान रहे हैं.

आज पढ़ाई हर समय है जरूरी

माता-पिता चाहते हैं, कि भले बच्चे स्कूल ना जाए पर अपनी पढ़ाई को सुचारू रूप से जारी रखें, ऐसे में स्कूल प्रबंधन जहां ऑनलाइन क्लास को बढ़ावा दे रहा हैं तो बच्चों के परिजन भी चाहते हैं कि वह अपने बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई से ही अच्छी तालीम दें पर इस पढ़ाई की जद्दोजहद में परिजन यह भी भूल जाते हैं कि अगर बच्चे लगातार कंप्यूटर, मोबाइल का घंटों तक पढ़ाई में इस्तेमाल करते हैं तो उनके बच्चों की आंखों में दृष्टि दोष भी आ सकता है.

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