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पूरा नहीं हुआ मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण योजना का टारगेट, छोटे उद्यमियों को नहीं मिल रहा लाभ

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Published : Jun 2, 2020, 9:40 AM IST

छोटे उद्यमियों को मदद देने की लिए शुरु की गई मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण योजना का लाभ इस बार अब तक मिलना शुरु नहीं हुआ है. हर साल मार्च में ही इस योजना का लाभ मिलना शुरु हो जाता था. लेकिन इस अब तक इस योजना का लाभ नहीं मिल रहा. जबकि कोरोना संकटकाल में इस योजना की सबसे ज्यादा जरुरत थी.

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जबलपुर न्यूज

जबलपुर। मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण योजना के तहत मिलने वाली मदद छोटे कारोबारियों को अभी तक नहीं मिल पायी है. इस योजना के तहत स्थानीय निकायों के माध्यम से बैंको के जरिए छोटे कारोबारियों को दस हजार से दो लाख रुपए तक का लोन देने की घोषणा की थी. हर साल यह टारगेट मार्च में ही दे दिया जाता था. लेकिन इस साल जब इसकी सबसे ज्यादा जरुरत थी. ऐसे वक्त में यह टारगेट जून महीनें में भी पूरा नहीं हुआ है.

मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण योजना का टारगेट इस साल नहीं हुआ पूरा

लॉकडाउन की वजह से लोगों के उद्योग धंधे बंद हो गए हैं. खासतौर पर छोटी पूंजी वाले दर्जी, लकड़ी का काम करने वाले बढ़ई, वेल्डर, फास्ट फूड का काम करने वाले लोग और ऐसे छोटे-मोटे कई कारोबारी जिनकी पूंजी हजारों में थी, उन्हें लॉकडाउन की वजह से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. कारोबारियों को उम्मीद थी कि सरकार उनकी मदद करेगी. लेकिन अब तक उन्हें ऐसी कोई मदद नहीं मिली है.

आर्थिक सहायता की जमीनी हकीकत

जबलपुर के उद्योग भवन से पता चला कि राज्य सरकार की मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण योजना नाम से स्कीम चलाई जाती है, इसी के जरिए उन्हें लोन दिया जाता है जिसकी गारंटी सरकार लेती है. हालांकि सरकार कोई लोन नहीं देती लोन बैंक से ही मिलता है. नगर-निगम जिन लोगों के प्रोजेक्ट पास कर देती है उन लोगों को यह पैसा मिल पाता है.

अब तक नहीं आया टारगेट

जबलपुर नगर निगम की अपर आयुक्त अंजू सिंह बताती हैं योजना बड़ी सीधी और सरल है. नगर निगम में मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण योजना के तहत लोगों को आवेदन करना होता है. नगर निगम में स्कूटनी करके कैस बैंक को भेज देती है, लेकिन कितना पैसा भेजना यह राज्य सरकार निश्चित करती है. जितना टारगेट राज्य सरकार देती है उतना ही पैसा बैंकों के लिए भेजा जाता है. लेकिन इस साल यह टारगेट अब तक नगर निगम को सरकार की तरफ से नहीं भेजा गया है. जबकि सामान्य दिनों में यह टारगेट मार्च में ही आ जाता था और अब तक लोगों को पैसा मिलना शुरू हो जाता था.

छोटे कारोबारी निराश

मामले में जब लकड़ी के फर्नीचर बनाने वाले एक कारोबारी से बात की तो उनका कहना है कि बीते 2 महीने से इस सब लोग बैठ कर खा रहे थे. अब उनकी जमा पूंजी खत्म हो गई है और धीरे-धीरे वे काम शुरू करना चाहते हैं. अगर थोड़ा सा पैसा सरकार की ओर से मिल जाता है, तो जिंदगी दोबारा पटरी पर आ सकती है. लेकिन फिलहाल यह एक सपना ही नजर आ रहा है.

जबलपुर। मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण योजना के तहत मिलने वाली मदद छोटे कारोबारियों को अभी तक नहीं मिल पायी है. इस योजना के तहत स्थानीय निकायों के माध्यम से बैंको के जरिए छोटे कारोबारियों को दस हजार से दो लाख रुपए तक का लोन देने की घोषणा की थी. हर साल यह टारगेट मार्च में ही दे दिया जाता था. लेकिन इस साल जब इसकी सबसे ज्यादा जरुरत थी. ऐसे वक्त में यह टारगेट जून महीनें में भी पूरा नहीं हुआ है.

मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण योजना का टारगेट इस साल नहीं हुआ पूरा

लॉकडाउन की वजह से लोगों के उद्योग धंधे बंद हो गए हैं. खासतौर पर छोटी पूंजी वाले दर्जी, लकड़ी का काम करने वाले बढ़ई, वेल्डर, फास्ट फूड का काम करने वाले लोग और ऐसे छोटे-मोटे कई कारोबारी जिनकी पूंजी हजारों में थी, उन्हें लॉकडाउन की वजह से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. कारोबारियों को उम्मीद थी कि सरकार उनकी मदद करेगी. लेकिन अब तक उन्हें ऐसी कोई मदद नहीं मिली है.

आर्थिक सहायता की जमीनी हकीकत

जबलपुर के उद्योग भवन से पता चला कि राज्य सरकार की मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण योजना नाम से स्कीम चलाई जाती है, इसी के जरिए उन्हें लोन दिया जाता है जिसकी गारंटी सरकार लेती है. हालांकि सरकार कोई लोन नहीं देती लोन बैंक से ही मिलता है. नगर-निगम जिन लोगों के प्रोजेक्ट पास कर देती है उन लोगों को यह पैसा मिल पाता है.

अब तक नहीं आया टारगेट

जबलपुर नगर निगम की अपर आयुक्त अंजू सिंह बताती हैं योजना बड़ी सीधी और सरल है. नगर निगम में मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण योजना के तहत लोगों को आवेदन करना होता है. नगर निगम में स्कूटनी करके कैस बैंक को भेज देती है, लेकिन कितना पैसा भेजना यह राज्य सरकार निश्चित करती है. जितना टारगेट राज्य सरकार देती है उतना ही पैसा बैंकों के लिए भेजा जाता है. लेकिन इस साल यह टारगेट अब तक नगर निगम को सरकार की तरफ से नहीं भेजा गया है. जबकि सामान्य दिनों में यह टारगेट मार्च में ही आ जाता था और अब तक लोगों को पैसा मिलना शुरू हो जाता था.

छोटे कारोबारी निराश

मामले में जब लकड़ी के फर्नीचर बनाने वाले एक कारोबारी से बात की तो उनका कहना है कि बीते 2 महीने से इस सब लोग बैठ कर खा रहे थे. अब उनकी जमा पूंजी खत्म हो गई है और धीरे-धीरे वे काम शुरू करना चाहते हैं. अगर थोड़ा सा पैसा सरकार की ओर से मिल जाता है, तो जिंदगी दोबारा पटरी पर आ सकती है. लेकिन फिलहाल यह एक सपना ही नजर आ रहा है.

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