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'आधार' बना मिलन का आधार! 5 साल पहले परिवार से बिछड़ा था मानसिक विकलांग, जाने परिजनों को कैसे मिला लालू

5 साल पहले अपने परिवार से बिछड़कर मानसिक विकलांग महाराष्ट्र के जलगांव से मध्यप्रदेश के जबलपुर पहुंच गया था, जिसके बाद अब आधार कार्ड के जरिए वह अपने परिवार से दोबारा मिल पाया. जानिए पूरी कहानी.(aadhar became support for disabled of jabalpur)

aadhar became support for disabled of jabalpur
जबलपुर के मानसिक विकलांग का आधार कार्ड बना सहारा
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Published : Apr 12, 2022, 5:15 PM IST

Updated : Apr 12, 2022, 6:52 PM IST

जबलपुर। आधार कार्ड केवल एक कार्ड नहीं है बल्कि एक ऐसी पहचान बन चुका है, जिसके जरिए आप कहीं भी हो आपकी पहचान कभी भी खत्म नहीं हो सकती. जबलपुर में आधार कार्ड ने 5 साल से पहले बिछड़े एक मासूम दिव्यांग बच्चे को अपने परिजनों से मिलाने में एक बहुत बड़े आधार का काम किया है. 5 साल पहले अपने परिवार से बिछड़कर जबलपुर पहुंचे मानसिक दिव्यांग लालू को आधार कार्ड ने उसके परिवार से दोबारा मिलवा दिया.

'आधार' बना मिलन का आधार

लालू की कहानी: बीते 5 सालों से जबलपुर के शासकीय मानसिक अविकसित बालगृह में लालू नामक बालक रह रहा था, यह बालक 10 जून 2017 को महाराष्ट्र के जलगांव से गुमशुदा हो गया था, जो ट्रेन में बैठकर जबलपुर पहुंच गया और विजय नगर क्षेत्र में भटक रहा था. 23 जून 2017 को चाइल्ड हेल्पलाइन के सदस्यों ने उसे बालगृह पहुंचाया, जहां उसकी देखरेख की गई. बालगृह अधीक्षक रामनरेश पटेल की मानें तो जब लालू उन्हें मिला तो उसकी उम्र करीब 13 वर्ष थी और वह काफी बीमार था. कई दिनों से उसने खाना पीना भी नहीं खाया था, जिसके कारण उसकी हालत बहुत खराब हो गई थी. फिर बाद में बालगृह में उसकी देखरेख की गई, पढ़ाया लिखाया गया और दूसरे बच्चों के साथ उसे विभिन्न एक्टिविटीज सिखाई गईं.

aadhar became support for disabled of jabalpur
जबलपुर के मानसिक विकलांग का आधार कार्ड बना सहारा

ऐसे परिवार से मिला लालू: बच्चे का असली नाम अनस शेख है, जिसे बालगृह में लालू नाम दिया गया. अब लालू की उम्र 17 वर्ष के लगभग हो चुकी है और वह काफी कुछ सीख गया है. कुछ समय पहले जब बच्चे का आधार कार्ड बनवाने के लिए प्रक्रिया शुरू की गई तो पोर्टल पर उसका पहले से आधार कार्ड रिकॉर्ड में दिखाई दिया. जिसके बाद यूआईडी विभाग से संपर्क करके उसकी पूरी जानकारी निकाली गई और परिजनों से संपर्क किया गया. आधार कार्ड सर्विस के जबलपुर प्रभारी चित्रांशु त्रिपाठी और बालगृह अधीक्षक रामनरेश ने बच्चे के परिवार की तलाश करने के लिए हर स्तर पर प्रयास किया और आखिरकार उनका पता एवं मोबाइल नंबर मिल गया, जिसके बाद उनसे संपर्क किया गया.

aadhar became support for disabled of jabalpur
जबलपुर के मानसिक विकलांग का आधार कार्ड बना सहारा

आधार कार्ड पर लिखा 'मधु का पांचवां बच्चा', नाम देख स्कूल प्रबंधन हैरान

लालू से मिलकर खुश हुए परिजन: सोमवार को बच्चे के परिवार के सदस्य जबलपुर पहुंचे जहां वह लालू से मिलकर वे बेहद खुश हुए. दरअसल, लालू के माता-पिता की बहुत पहले ही मृत्यु हो चुकी है, करीब 2 साल की उम्र से वह अपने दीदी-जीजाजी के पास रह रहा था. मानसिक रूप से दिव्यांग होने के बावजूद शेरखान ने उसकी देखरेख की, लेकिन 10 जून 2017 को वह जलगांव के रेलवे स्टेशन से गायब हो गया था. उसके गुमशुदा हो जाने से पूरा परिवार दुखी था, लेकिन आधार कार्ड सर्विस प्रभारी चित्रांशु त्रिपाठी एवं बालगृह अधीक्षक के प्रयासों से लालू अब अपने घर जा सकेगा.

aadhar became support for disabled of jabalpur
जबलपुर के मानसिक विकलांग का आधार कार्ड बना सहारा

परिजनों ने आधार कार्ड सर्विस और बालगृह अधिकारियों का दिया धन्यवाद: फिलहाल, लालू को उनके परिजनों के सुपुर्द करने के पहले चाइल्ड वेलफेयर कमिटी में पूरा मामला रखा जाएगा और उसके परिजन होने का दावा करने वालों के साथ उसकी पुरानी पहचान वेरीफाई की जाएगी जिसके बाद परिवार के सदस्य लालू को अपने साथ घर ले जा सकेंगे. इसके साथ ही लालू के परिजनों ने न सिर्फ आधार कार्ड सर्विस के लिए सरकार का धन्यवाद दिया, बल्कि बालगृह के अधिकारियों का भी आभार जताया.

जबलपुर। आधार कार्ड केवल एक कार्ड नहीं है बल्कि एक ऐसी पहचान बन चुका है, जिसके जरिए आप कहीं भी हो आपकी पहचान कभी भी खत्म नहीं हो सकती. जबलपुर में आधार कार्ड ने 5 साल से पहले बिछड़े एक मासूम दिव्यांग बच्चे को अपने परिजनों से मिलाने में एक बहुत बड़े आधार का काम किया है. 5 साल पहले अपने परिवार से बिछड़कर जबलपुर पहुंचे मानसिक दिव्यांग लालू को आधार कार्ड ने उसके परिवार से दोबारा मिलवा दिया.

'आधार' बना मिलन का आधार

लालू की कहानी: बीते 5 सालों से जबलपुर के शासकीय मानसिक अविकसित बालगृह में लालू नामक बालक रह रहा था, यह बालक 10 जून 2017 को महाराष्ट्र के जलगांव से गुमशुदा हो गया था, जो ट्रेन में बैठकर जबलपुर पहुंच गया और विजय नगर क्षेत्र में भटक रहा था. 23 जून 2017 को चाइल्ड हेल्पलाइन के सदस्यों ने उसे बालगृह पहुंचाया, जहां उसकी देखरेख की गई. बालगृह अधीक्षक रामनरेश पटेल की मानें तो जब लालू उन्हें मिला तो उसकी उम्र करीब 13 वर्ष थी और वह काफी बीमार था. कई दिनों से उसने खाना पीना भी नहीं खाया था, जिसके कारण उसकी हालत बहुत खराब हो गई थी. फिर बाद में बालगृह में उसकी देखरेख की गई, पढ़ाया लिखाया गया और दूसरे बच्चों के साथ उसे विभिन्न एक्टिविटीज सिखाई गईं.

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जबलपुर के मानसिक विकलांग का आधार कार्ड बना सहारा

ऐसे परिवार से मिला लालू: बच्चे का असली नाम अनस शेख है, जिसे बालगृह में लालू नाम दिया गया. अब लालू की उम्र 17 वर्ष के लगभग हो चुकी है और वह काफी कुछ सीख गया है. कुछ समय पहले जब बच्चे का आधार कार्ड बनवाने के लिए प्रक्रिया शुरू की गई तो पोर्टल पर उसका पहले से आधार कार्ड रिकॉर्ड में दिखाई दिया. जिसके बाद यूआईडी विभाग से संपर्क करके उसकी पूरी जानकारी निकाली गई और परिजनों से संपर्क किया गया. आधार कार्ड सर्विस के जबलपुर प्रभारी चित्रांशु त्रिपाठी और बालगृह अधीक्षक रामनरेश ने बच्चे के परिवार की तलाश करने के लिए हर स्तर पर प्रयास किया और आखिरकार उनका पता एवं मोबाइल नंबर मिल गया, जिसके बाद उनसे संपर्क किया गया.

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जबलपुर के मानसिक विकलांग का आधार कार्ड बना सहारा

आधार कार्ड पर लिखा 'मधु का पांचवां बच्चा', नाम देख स्कूल प्रबंधन हैरान

लालू से मिलकर खुश हुए परिजन: सोमवार को बच्चे के परिवार के सदस्य जबलपुर पहुंचे जहां वह लालू से मिलकर वे बेहद खुश हुए. दरअसल, लालू के माता-पिता की बहुत पहले ही मृत्यु हो चुकी है, करीब 2 साल की उम्र से वह अपने दीदी-जीजाजी के पास रह रहा था. मानसिक रूप से दिव्यांग होने के बावजूद शेरखान ने उसकी देखरेख की, लेकिन 10 जून 2017 को वह जलगांव के रेलवे स्टेशन से गायब हो गया था. उसके गुमशुदा हो जाने से पूरा परिवार दुखी था, लेकिन आधार कार्ड सर्विस प्रभारी चित्रांशु त्रिपाठी एवं बालगृह अधीक्षक के प्रयासों से लालू अब अपने घर जा सकेगा.

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जबलपुर के मानसिक विकलांग का आधार कार्ड बना सहारा

परिजनों ने आधार कार्ड सर्विस और बालगृह अधिकारियों का दिया धन्यवाद: फिलहाल, लालू को उनके परिजनों के सुपुर्द करने के पहले चाइल्ड वेलफेयर कमिटी में पूरा मामला रखा जाएगा और उसके परिजन होने का दावा करने वालों के साथ उसकी पुरानी पहचान वेरीफाई की जाएगी जिसके बाद परिवार के सदस्य लालू को अपने साथ घर ले जा सकेंगे. इसके साथ ही लालू के परिजनों ने न सिर्फ आधार कार्ड सर्विस के लिए सरकार का धन्यवाद दिया, बल्कि बालगृह के अधिकारियों का भी आभार जताया.

Last Updated : Apr 12, 2022, 6:52 PM IST
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