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कोरोना काल में इंदौर के निजी डायग्नोस्टिक सेंटर की मनमानी ! जांच और सीटी स्कैन के नाम पर वसूली

इंदौर के निजी डायग्नोस्टिक सेंटर मरीजों से कोरोना की जांच और सीटी स्कैन के नाम पर भारी रकम वसूल रहे हैं. इस तरह की शिकायतों के बाद जिला प्रशासन अब संबंधित डायग्नोस्टिक सेंटर के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी में है.

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जांच और सीटी स्कैन के नाम पर वसूली
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Published : Sep 2, 2020, 11:06 AM IST

Updated : Sep 2, 2020, 11:52 AM IST

इंदौर। कोरोना महामारी के दौर में इलाज के नाम पर निजी अस्पतालों में जारी लूट पर लगाम कसने के बाद अब शहर के निजी डायग्नोस्टिक सेंटर कोरोना की जांच और सिटी स्कैन के नाम पर वसूली करने में लग गए हैं. आरोप है कि इन सेंटरों में जांच का आलम ये है कि कमाई के लिए नेगेटिव मरीजों को भी कोरोना पॉजिटिव बताकर तरह-तरह की वसूली की जा रही है. हाल ही में इस तरह की शिकायतों के बाद जिला प्रशासन अब संबंधित डायग्नोस्टिक सेंटर के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी में है.

इंदौर में निजी डायग्नोस्टिक सेंटर की मनमानी

लंबे समय से कमाई की राह देख रहे इंदौर के ऐसे तमाम निजी डायग्नोस्टिक सेंटर अब कोरोना मरीजों के अलावा संभावित मरीजों से लूट का केंद्र बन चुके हैं. मार्च माह में जब प्रदेश में संक्रमण फैला तो राज्य सरकार के चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग के पास मरीजों की जांच के सीमित संसाधन थे, लिहाजा राज्य सरकार ने इंदौर और भोपाल के कुछ चुनिंदा निजी डायग्नोस्टिक सेंटर को कोरोना जांच करने की अनुमति दी थी.

आरोपी है कि राज्य सरकार की अनुमति मिलते ही जांच की दरों का निर्धारण राज्य शासन के स्तर पर नहीं होने के कारण इन डायग्नोस्टिक सेंटर के संचालकों ने कोरोना जांच के नाम पर मार्च से लेकर अब तक मुंह मांगी राशि वसूली. ऐसी स्थिति में पीड़ित मरीज संक्रमण के डर से बड़े पैमाने पर इन सेंटरों की वसूली का शिकार हुए. अब जबकि कोरोना मरीजों के डिस्चार्ज होने की दर संतोषजनक है तो इन लैब में जांच कराने वाले मरीज जांच के नाम पर हो रही वसूली की शिकायतें भी कर रहे हैं.

हाल ही में एप्पल हॉस्पिटल की शिकायत के बाद जिला प्रशासन को अस्पताल के कारनामों की जांच शुरु करानी पड़ी. इसके अलावा अन्य निजी अस्पतालों को भी निर्देशित किया गया है कि कोरोना की निजी स्तर पर जांच की राशि अधिकतम 2500 रुपए से ज्यादा ना वसूली जाए. इस स्थिति के बाद निजी अस्पतालों में कोरोना की जांच कराने वाले संभावित मरीजों को राहत मिल सकी है. यही आदेश अब निजी लोगों के लिए भी प्रभावसील किया गया है.

मरीजों की सुरक्षा के लिए आईसीएमआर के निर्देश

आईसीएमआर के निर्देशन के मुताबिक पॉजिटिव मरीज इलाज के बाद नेगेटिव आए हैं. उनके फेफड़ों में स्थाई रूप से कोरोना वायरस ने नुकसान पहुंचाया है. भविष्य में ऐसे मरीज परेशानी से बच सकें, इसलिए आईसीएमआर ने इस तरह के मरीजों के लिए उच्च रेजोल्यूशन के सीटी स्कैन के जरिए जांच कराने की सलाह दी है. हालांकि ये जांच मरीजों पर निर्भर है, लेकिन मेडिक्लेम और बीमा पॉलिसी के जो मरीज इलाज कराने पहुंच रहे हैं, उनकी बिलिंग में सीटी स्कैन की भी राशि जोड़ी जा रही है.

इंदौर। कोरोना महामारी के दौर में इलाज के नाम पर निजी अस्पतालों में जारी लूट पर लगाम कसने के बाद अब शहर के निजी डायग्नोस्टिक सेंटर कोरोना की जांच और सिटी स्कैन के नाम पर वसूली करने में लग गए हैं. आरोप है कि इन सेंटरों में जांच का आलम ये है कि कमाई के लिए नेगेटिव मरीजों को भी कोरोना पॉजिटिव बताकर तरह-तरह की वसूली की जा रही है. हाल ही में इस तरह की शिकायतों के बाद जिला प्रशासन अब संबंधित डायग्नोस्टिक सेंटर के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी में है.

इंदौर में निजी डायग्नोस्टिक सेंटर की मनमानी

लंबे समय से कमाई की राह देख रहे इंदौर के ऐसे तमाम निजी डायग्नोस्टिक सेंटर अब कोरोना मरीजों के अलावा संभावित मरीजों से लूट का केंद्र बन चुके हैं. मार्च माह में जब प्रदेश में संक्रमण फैला तो राज्य सरकार के चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग के पास मरीजों की जांच के सीमित संसाधन थे, लिहाजा राज्य सरकार ने इंदौर और भोपाल के कुछ चुनिंदा निजी डायग्नोस्टिक सेंटर को कोरोना जांच करने की अनुमति दी थी.

आरोपी है कि राज्य सरकार की अनुमति मिलते ही जांच की दरों का निर्धारण राज्य शासन के स्तर पर नहीं होने के कारण इन डायग्नोस्टिक सेंटर के संचालकों ने कोरोना जांच के नाम पर मार्च से लेकर अब तक मुंह मांगी राशि वसूली. ऐसी स्थिति में पीड़ित मरीज संक्रमण के डर से बड़े पैमाने पर इन सेंटरों की वसूली का शिकार हुए. अब जबकि कोरोना मरीजों के डिस्चार्ज होने की दर संतोषजनक है तो इन लैब में जांच कराने वाले मरीज जांच के नाम पर हो रही वसूली की शिकायतें भी कर रहे हैं.

हाल ही में एप्पल हॉस्पिटल की शिकायत के बाद जिला प्रशासन को अस्पताल के कारनामों की जांच शुरु करानी पड़ी. इसके अलावा अन्य निजी अस्पतालों को भी निर्देशित किया गया है कि कोरोना की निजी स्तर पर जांच की राशि अधिकतम 2500 रुपए से ज्यादा ना वसूली जाए. इस स्थिति के बाद निजी अस्पतालों में कोरोना की जांच कराने वाले संभावित मरीजों को राहत मिल सकी है. यही आदेश अब निजी लोगों के लिए भी प्रभावसील किया गया है.

मरीजों की सुरक्षा के लिए आईसीएमआर के निर्देश

आईसीएमआर के निर्देशन के मुताबिक पॉजिटिव मरीज इलाज के बाद नेगेटिव आए हैं. उनके फेफड़ों में स्थाई रूप से कोरोना वायरस ने नुकसान पहुंचाया है. भविष्य में ऐसे मरीज परेशानी से बच सकें, इसलिए आईसीएमआर ने इस तरह के मरीजों के लिए उच्च रेजोल्यूशन के सीटी स्कैन के जरिए जांच कराने की सलाह दी है. हालांकि ये जांच मरीजों पर निर्भर है, लेकिन मेडिक्लेम और बीमा पॉलिसी के जो मरीज इलाज कराने पहुंच रहे हैं, उनकी बिलिंग में सीटी स्कैन की भी राशि जोड़ी जा रही है.

Last Updated : Sep 2, 2020, 11:52 AM IST
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