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जानें इंदौर हाईकोर्ट का अहम फैसला, मुस्लिम धर्म गुरु के बारे में क्या कहा? - Indore Latest News

इंदौर हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी, जिसकी सुनवाई में फैसला लेते हुए हाईकोर्ट (Indore High Court) ने कहा कि, अब काजी किसी भी मामले में एक मध्यस्थ की भूमिका तो निभा सकते हैं लेकिन अदालत की तरह आदेश पारित नहीं कर सकते.

Indore High Court
मुस्लिम धर्म गुरु के बारे में हाईकोर्ट का फैसला
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Published : Jan 26, 2022, 8:05 PM IST

इंदौर। हाईकोर्ट ने एक मामले में सुनवाई करते हुए अहम फैसला सुनाया है. इस फैसले के अनुसार अब से मुस्लिम धर्मगुरु किसी मामले में सुनवाई करते हुए मध्यस्था तो कर सकते हैं लेकिन फैसला नहीं सुना सकते.

मुस्लिम धर्म गुरु के बारे में हाईकोर्ट का अहम फैसला

दरअसल, इंदौर हाईकोर्ट (Indore High Court) में एक याचिका दाखिल की गई थी, जिसकी सुनवाई में कहा गया कि, मुस्लिम समुदाय के लोगों के आपसी विवाद सुलझाने के लिए कोई काजी एक मध्यस्थ की भूमिका तो निभा सकता है लेकिन वह किसी मामले में अदालत की तरह आदेश पारित नहीं कर सकता. इसके साथ ही कहा गया कि, कोई अन्य समाज के धर्म गुरु भी इस तरह के फैसले नही सुना सकते है.

यह है पूरा मामला

बता दें कि, यह फैसला इंदौर हाईकोर्ट बेंच के जस्टिस विवेक रुसिया और जस्टिस राजेंद्र कुमार वर्मा ने उस व्यक्ति की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान लिया, जिसमें मुस्लिम समुदाय के दारुल-कजा छावनी के मुख्य काजी के एक आदेश को चुनौती दी थी. इस याचिका में काजी पर आरोप लगाया गया था कि, मुख्य काजी ने उसकी पत्नी की 'खुला' (किसी मुस्लिम महिला द्वारा अपने शौहर से तलाक मांगे जाने की इस्लामी प्रक्रिया) के लिए दायर अर्जी पर सुनवाई करते हुए तलाक का फरमान सुना दिया था.

मामले पर एडव्होकेट हरीश शर्मा ने कहा कि, इंदौर हाईकोर्ट की डबल बेंच ने इस पूरे मामले में माना है कि, अगर कोई काजी अपने समुदाय के लोगों के आपसी विवाद हल करने के लिए एक मध्यस्थ की भूमिका निभाता है वहां तक तो उसका अधिकार क्षेत्र विधि सम्मत है, लेकिन वह किसी अदालत की तरह ऐसे विवादों में निर्णय नहीं कर सकता. वह अदालत की तरह आदेश नहीं जारी कर सकता.

इंदौर। हाईकोर्ट ने एक मामले में सुनवाई करते हुए अहम फैसला सुनाया है. इस फैसले के अनुसार अब से मुस्लिम धर्मगुरु किसी मामले में सुनवाई करते हुए मध्यस्था तो कर सकते हैं लेकिन फैसला नहीं सुना सकते.

मुस्लिम धर्म गुरु के बारे में हाईकोर्ट का अहम फैसला

दरअसल, इंदौर हाईकोर्ट (Indore High Court) में एक याचिका दाखिल की गई थी, जिसकी सुनवाई में कहा गया कि, मुस्लिम समुदाय के लोगों के आपसी विवाद सुलझाने के लिए कोई काजी एक मध्यस्थ की भूमिका तो निभा सकता है लेकिन वह किसी मामले में अदालत की तरह आदेश पारित नहीं कर सकता. इसके साथ ही कहा गया कि, कोई अन्य समाज के धर्म गुरु भी इस तरह के फैसले नही सुना सकते है.

यह है पूरा मामला

बता दें कि, यह फैसला इंदौर हाईकोर्ट बेंच के जस्टिस विवेक रुसिया और जस्टिस राजेंद्र कुमार वर्मा ने उस व्यक्ति की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान लिया, जिसमें मुस्लिम समुदाय के दारुल-कजा छावनी के मुख्य काजी के एक आदेश को चुनौती दी थी. इस याचिका में काजी पर आरोप लगाया गया था कि, मुख्य काजी ने उसकी पत्नी की 'खुला' (किसी मुस्लिम महिला द्वारा अपने शौहर से तलाक मांगे जाने की इस्लामी प्रक्रिया) के लिए दायर अर्जी पर सुनवाई करते हुए तलाक का फरमान सुना दिया था.

मामले पर एडव्होकेट हरीश शर्मा ने कहा कि, इंदौर हाईकोर्ट की डबल बेंच ने इस पूरे मामले में माना है कि, अगर कोई काजी अपने समुदाय के लोगों के आपसी विवाद हल करने के लिए एक मध्यस्थ की भूमिका निभाता है वहां तक तो उसका अधिकार क्षेत्र विधि सम्मत है, लेकिन वह किसी अदालत की तरह ऐसे विवादों में निर्णय नहीं कर सकता. वह अदालत की तरह आदेश नहीं जारी कर सकता.

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