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कोरोना के बहाने किसान आंदोलन को कुचलने पर तुली मोदी सरकार- मेधा पाटकर

कृषि उपज और वाणिज्य विधेयक के खिलाफ किसान दिल्ली में आंदोलन कर रहे हैं, राष्ट्रव्यापी जमावड़े के बीच नर्मदा बचाओ आंदोलन की प्रमुख मेधा पाटकर भी इस आंदोलन में शामिल हैं, उन्होंने मोदी सरकार पर आंदोलन को कुचलने का आरोप लगाया है.

kisan andolan megha patkar
मेधा पाटकर
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Published : Dec 1, 2020, 5:29 PM IST

Updated : Dec 1, 2020, 8:03 PM IST

इंदौर। दिल्ली में कृषि उपज और वाणिज्य विधेयक के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है. दिल्ली में राष्ट्रव्यापी जमावड़े के बीच नर्मदा बचाओ आंदोलन की प्रमुख मेधा पाटकर ने मोदी सरकार पर आंदोलन को कुचलने का आरोप लगाया है, उन्होंने कहा, कृषि उपज और वाणिज्य विधेयक के कारण आगामी दौर में किसानों को उनकी ही उपज का वास्तविक मूल्य मिलना मुश्किल हो जाएगा और किसानों के साथ धोखाधड़ी और जमाखोरी बढ़ेगी.

मेधा पाटकर , नर्मदा बचाओ आंदोलन

मेधा पाटकर ने कहा, यही वजह है कि विभिन्न राज्यों में मोदी सरकार के किसान विरोधी कानून का विरोध हो रहा है. उन्होंने कहा, देशभर के करीब 500 जन संगठन लोकतांत्रिक तरीके से दिल्ली में विरोध प्रदर्शन करने पहुंचे थे, लेकिन कोरोना के नाम पर मोदी सरकार ने आंदोलन को कुचलने का काम किया है. उन्होंने, कहा इस मुद्दे पर सभी एकजुट हैं. इसलिए जन संगठनों के अलावा विरोध करने वाले किसान पीछे नहीं हटेंगे.

हालांकि पारित किए गए कानूनों को लेकर केंद्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया है, कि इस कानून को वापस नहीं लिया जाएगा, लेकिन किसानों की शंका को दूर किया जाएगा.

गौरतलब है, केंद्र सरकार ने कृषि उपज व्यापार, वाणिज्य विधेयक और कृषक सशक्तिकरण व संरक्षण विधेयक संसद में पारित किया है. इधर इस केंद्र सरकार के खिलाफ देश के 500 से अधिक किसान संगठन विरोध कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि केंद्र सरकार ने बिना किसानों से पूछे ये बिल उनपर थोप दिया है, जिससे उनका नुकसान होगा, ऐसे में केंद्र सरकार इस कानून को वापस ले, इसके साथ ही प्रस्तावित बिजली बिल को तत्काल रद्द किया जाए और एनसीआर के प्रदूषण के कानून से किसानों को बाहर किया जाए.

इंदौर। दिल्ली में कृषि उपज और वाणिज्य विधेयक के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है. दिल्ली में राष्ट्रव्यापी जमावड़े के बीच नर्मदा बचाओ आंदोलन की प्रमुख मेधा पाटकर ने मोदी सरकार पर आंदोलन को कुचलने का आरोप लगाया है, उन्होंने कहा, कृषि उपज और वाणिज्य विधेयक के कारण आगामी दौर में किसानों को उनकी ही उपज का वास्तविक मूल्य मिलना मुश्किल हो जाएगा और किसानों के साथ धोखाधड़ी और जमाखोरी बढ़ेगी.

मेधा पाटकर , नर्मदा बचाओ आंदोलन

मेधा पाटकर ने कहा, यही वजह है कि विभिन्न राज्यों में मोदी सरकार के किसान विरोधी कानून का विरोध हो रहा है. उन्होंने कहा, देशभर के करीब 500 जन संगठन लोकतांत्रिक तरीके से दिल्ली में विरोध प्रदर्शन करने पहुंचे थे, लेकिन कोरोना के नाम पर मोदी सरकार ने आंदोलन को कुचलने का काम किया है. उन्होंने, कहा इस मुद्दे पर सभी एकजुट हैं. इसलिए जन संगठनों के अलावा विरोध करने वाले किसान पीछे नहीं हटेंगे.

हालांकि पारित किए गए कानूनों को लेकर केंद्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया है, कि इस कानून को वापस नहीं लिया जाएगा, लेकिन किसानों की शंका को दूर किया जाएगा.

गौरतलब है, केंद्र सरकार ने कृषि उपज व्यापार, वाणिज्य विधेयक और कृषक सशक्तिकरण व संरक्षण विधेयक संसद में पारित किया है. इधर इस केंद्र सरकार के खिलाफ देश के 500 से अधिक किसान संगठन विरोध कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि केंद्र सरकार ने बिना किसानों से पूछे ये बिल उनपर थोप दिया है, जिससे उनका नुकसान होगा, ऐसे में केंद्र सरकार इस कानून को वापस ले, इसके साथ ही प्रस्तावित बिजली बिल को तत्काल रद्द किया जाए और एनसीआर के प्रदूषण के कानून से किसानों को बाहर किया जाए.

Last Updated : Dec 1, 2020, 8:03 PM IST
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