इंदौर। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने आध्यात्मिक गुरु भय्यू महाराज की आत्महत्या और ब्लैकमेलिंग के मामले में दो दोषियों को दी गई सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार वर्मा ने दोषी पलक पौरानिक की अर्जी खारिज कर दी और शरद देशमुख को जिला अदालत ने 6 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है. मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद बचाव पक्ष के वकील धर्मेंद्र गुर्जर ने कहा कि, सजा पर रोक लगाने के मुद्दे पर उच्च न्यायालय के फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी जाएगी.
शादी करने का दबाव: न्यायाधीश ने कहा कि, मामले के तथ्यों और परिस्थितियों, अपराध की गंभीरता और प्रकृति, आरोप और अपीलकर्ताओं के कृत्य को देखते हुए जेल से निलंबन का कोई मामला नहीं बनता है. अदालत ने 29 जून की दोषियों की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. जिला अदालत ने 28 जनवरी को आध्यात्मिक गुरु के एक अन्य सहायक पौराणिक देशमुख और विनायक दुधाड़े को 6 साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई थी. अदालत ने अपने फैसले में कहा कि, पुलिस जांच के बाद यह साबित हुआ है कि, अभियोजन पक्ष के गवाहों के बयान में कहा गया है कि पौरानिक, दूधाडे और देशमुख ने साजिश रची थी और भय्यू महाराज पर पौरानिक से शादी करने का दबाव बनाकर उनसे पैसे की मांग कर मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहे थे.
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12 जून को की थी आत्महत्या: पुलिस के अनुसार, पौरानिक भय्यू महाराज पर आपत्तिजनक चैट और अन्य निजी चीजों के माध्यम से उससे शादी करने का दबाव बना रहा था, इस तथ्य के बावजूद 50 वर्षीय आध्यात्मिक गुरु की पहली पत्नी माधवी की मृत्यु के बाद डॉ आयुषी शर्मा से शादी हुई थी. भय्यू महाराज ने 12 जून, 2018 को अपने आवास पर लाइसेंसी रिवॉल्वर से खुद को लाइसेंसी रिवॉल्वर से गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी.
-पीटीआई