ETV Bharat / city

इंदौर की 'गेर' में नजर नहीं आता राजा और रंक का फर्क, तैयारियों का दौर शुरू

मध्य प्रदेश के इंदौर में बीते दो साल से कोरोना के कारण 'गेर' नहीं निकली जा रही थी. इस बार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस साल रंगपंचमी पर गेर निकाले जाने की घोषणा की. इसको लेकर तैयारियां शुरु हो गई हैं, रास्ता तय किया जा रहा है. यह आयोजन बगैर किसी दिक्कत के हो जाए इस पर प्रशासन का खास जोर हैं.

After two years people will come out in Indore with enthusiasm
इंदौर में दो साल बाद निकलेगी गेर उत्साह में लोग
author img

By

Published : Mar 6, 2022, 10:54 PM IST

इंदौर। मालवा और निमांड के होलिकोत्सव की बात चले तो वह इंदौर की 'गेर' के बिना अधूरी है. यह ऐसा आयोजन है, जो इस इलाके को उत्साह और मस्ती के रंग से सराबोर कर देता है. साथ ही सामाजिक समरसता का संदेश देने के साथ राजा और रंक, गरीब और अमीर का फर्क कहीं नजर नहीं आता. इंदौर में बीते दो साल का होलिकोत्सव गुप-चुप गुजर गया, क्योंकि कोरोना महामारी के चलते 'गेर' नहीं निकली थी. यही कारण रहा कि यहां को लोगों को 'गेर' के बगैर लगा ही नहीं जैसे होली मना ली हो. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इस बार रंगपंचमी के मौके पर 'गेर' निकालने के ऐलान के साथ लोगों का उत्साह हिलौरें मारने लगा है. तैयारियों का दौर शुरू हो गया है, हो भी क्यों ना. क्योंकि यह ऐसा आयोजन है जो दूरियों को खत्म कर देता है. उंच-नीच के भेद को मिटा देता है और कहीं भी 'गैर' का भाव नजर नहीं आता.

दो साल बाद निकलेगी गेर, उत्साह में लोग

दो साल बाद गेर निकाले जाने को लेकर हर कोई उत्साहित है. क्योंकि दो साल से होली बेरंग रही और वह इस बार बीते दो साल की कसर भी पूरी कर लेना चाहता है. संगम कॉर्नर रंगपंचमी महोत्सव समिति के अध्यक्ष कमलेश खंडेलवाल कहते है, 'हमारा संगठन पिछले 68 साल से रंगपंचमी पर गेर निकाल रहा है, लेकिन इस बार गेर का आनंद कुछ अलग होगा. क्योंकि यह दो साल के अंतराल के बाद निकलेगी.' वहीं प्रशासन भी इस आयोजन की पूरी तैयारियां में लगा हुआ है, रास्ता तय किया जा रहा है. यह आयोजन बगैर किसी दिक्कत के हो जाए इस पर प्रशासन का खास जोर हैं. प्रशासनिक अधिकारियों और राजनेताओं के दल उस रुट का भी जायजा ले रहे है, जहां से यह गेर निकलेंगी.

सीएम ने इंदौर को दी खुशखबरी! 2 साल बाद निकलेगी होली की गेर, शिवरात्रि में उज्जैन में जलाए जाएंगे 21 लाख दीप

काफी पुराना है गेर का इतिहास

इंदौर की गेर का इतिहास काफी पुराना है. इस परंपरा की शुरूआत होलकर वंश के दौर में हुई. तब इस राजवंश के लोग अपनी प्रजा के साथ होली खेलने के लिए रंगपंचमी के मौके पर सड़कों पर निकलते थे. उस समय बैलगाड़ियों में फूलों और हर्बल सामग्री के रंग और गुलाल होता था. जो भी उन्हें रास्ते में मिलता था, उसको रंग लगा देते थे. इतना ही नहीं पिचकारियों में रंग भर लोगों के ऊपर फेंकते थे. कुल मिलाकर होली के इस पर्व पर कोई बड़ा और कोई छोटा नहीं होता था, वही अब भी है.

गेर को 'फाग यात्रा' के रूप में भी जाना जाता है

वक्त बदलने के साथ गेर में कुछ बदलाव आए हैं. वर्तमान दौर में गेर में बड़े वाहनों पर रंग और गुलाल होता है. साथ ही पानी के टेंकर भी चलते है, बड़ी-बड़ी मोटर पंपों के जरिए रंग और गुलाल को आसमान की तरफ उछाला जाता है. आलम यह होता है कि हर सड़क रंगीन हो जाती है और मोटर पंपों के जरिए उछाले जाने वाले रंग और गुलाल से कई मंजिल वाले मकानों की छत पर खड़े लोग भी नहीं बच पाते. हर तरफ होता है तो सिर्फ रंग और गुलाल. गेर को 'फाग यात्रा' के रूप में भी जाना जाता है. यह गेर रंगपंचमी के मौके पर अलग-अलग हिस्सों से निकलकर राजबाड़ा वह स्थान जहां होलकर शासकों के महल है, उसके सामने पहुंचती है और यह स्थान रंग-गुलाल की बौछारों में बदल जाता है. गीत और संगीत की धुनों पर थिरकते हुरियारे पूरे माहौल को रंगीन बना देते है. यह नजारा मनभावन और सामाजिक समरसता का संदेश देता नजर आता है.

इनपुट - आईएएनएस

इंदौर। मालवा और निमांड के होलिकोत्सव की बात चले तो वह इंदौर की 'गेर' के बिना अधूरी है. यह ऐसा आयोजन है, जो इस इलाके को उत्साह और मस्ती के रंग से सराबोर कर देता है. साथ ही सामाजिक समरसता का संदेश देने के साथ राजा और रंक, गरीब और अमीर का फर्क कहीं नजर नहीं आता. इंदौर में बीते दो साल का होलिकोत्सव गुप-चुप गुजर गया, क्योंकि कोरोना महामारी के चलते 'गेर' नहीं निकली थी. यही कारण रहा कि यहां को लोगों को 'गेर' के बगैर लगा ही नहीं जैसे होली मना ली हो. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इस बार रंगपंचमी के मौके पर 'गेर' निकालने के ऐलान के साथ लोगों का उत्साह हिलौरें मारने लगा है. तैयारियों का दौर शुरू हो गया है, हो भी क्यों ना. क्योंकि यह ऐसा आयोजन है जो दूरियों को खत्म कर देता है. उंच-नीच के भेद को मिटा देता है और कहीं भी 'गैर' का भाव नजर नहीं आता.

दो साल बाद निकलेगी गेर, उत्साह में लोग

दो साल बाद गेर निकाले जाने को लेकर हर कोई उत्साहित है. क्योंकि दो साल से होली बेरंग रही और वह इस बार बीते दो साल की कसर भी पूरी कर लेना चाहता है. संगम कॉर्नर रंगपंचमी महोत्सव समिति के अध्यक्ष कमलेश खंडेलवाल कहते है, 'हमारा संगठन पिछले 68 साल से रंगपंचमी पर गेर निकाल रहा है, लेकिन इस बार गेर का आनंद कुछ अलग होगा. क्योंकि यह दो साल के अंतराल के बाद निकलेगी.' वहीं प्रशासन भी इस आयोजन की पूरी तैयारियां में लगा हुआ है, रास्ता तय किया जा रहा है. यह आयोजन बगैर किसी दिक्कत के हो जाए इस पर प्रशासन का खास जोर हैं. प्रशासनिक अधिकारियों और राजनेताओं के दल उस रुट का भी जायजा ले रहे है, जहां से यह गेर निकलेंगी.

सीएम ने इंदौर को दी खुशखबरी! 2 साल बाद निकलेगी होली की गेर, शिवरात्रि में उज्जैन में जलाए जाएंगे 21 लाख दीप

काफी पुराना है गेर का इतिहास

इंदौर की गेर का इतिहास काफी पुराना है. इस परंपरा की शुरूआत होलकर वंश के दौर में हुई. तब इस राजवंश के लोग अपनी प्रजा के साथ होली खेलने के लिए रंगपंचमी के मौके पर सड़कों पर निकलते थे. उस समय बैलगाड़ियों में फूलों और हर्बल सामग्री के रंग और गुलाल होता था. जो भी उन्हें रास्ते में मिलता था, उसको रंग लगा देते थे. इतना ही नहीं पिचकारियों में रंग भर लोगों के ऊपर फेंकते थे. कुल मिलाकर होली के इस पर्व पर कोई बड़ा और कोई छोटा नहीं होता था, वही अब भी है.

गेर को 'फाग यात्रा' के रूप में भी जाना जाता है

वक्त बदलने के साथ गेर में कुछ बदलाव आए हैं. वर्तमान दौर में गेर में बड़े वाहनों पर रंग और गुलाल होता है. साथ ही पानी के टेंकर भी चलते है, बड़ी-बड़ी मोटर पंपों के जरिए रंग और गुलाल को आसमान की तरफ उछाला जाता है. आलम यह होता है कि हर सड़क रंगीन हो जाती है और मोटर पंपों के जरिए उछाले जाने वाले रंग और गुलाल से कई मंजिल वाले मकानों की छत पर खड़े लोग भी नहीं बच पाते. हर तरफ होता है तो सिर्फ रंग और गुलाल. गेर को 'फाग यात्रा' के रूप में भी जाना जाता है. यह गेर रंगपंचमी के मौके पर अलग-अलग हिस्सों से निकलकर राजबाड़ा वह स्थान जहां होलकर शासकों के महल है, उसके सामने पहुंचती है और यह स्थान रंग-गुलाल की बौछारों में बदल जाता है. गीत और संगीत की धुनों पर थिरकते हुरियारे पूरे माहौल को रंगीन बना देते है. यह नजारा मनभावन और सामाजिक समरसता का संदेश देता नजर आता है.

इनपुट - आईएएनएस

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.