भोपाल। कैलाश विजयवर्गीय के घर जाकर ज्योतिरादित्य सिंधिया का मिलना क्या महज शिष्टाचार भेंट थी. बेटे महाआर्यमन की मुलाकात और कैलाश से आशीर्वाद लेना क्या महज इत्तेफाक है. शायद नहीं जानकार इसे सियासत का जांचा परखा दांव बताते हैं. जिसके पीछे की वजह है जल्द ही होने वाला MPCA मध्य प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन का चुनाव. केंद्रीय मंत्री सिंधिया अपने बेटे महाआर्यमन को सक्रिय राजनीति की सीढ़ी मध्य प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के माध्यम से चढ़ाना चाहते हैं. सिंधिया पहले ही यह बात साफ कर चुके हैं कि राजघराने से एक ही समय एक ही व्यक्ति सक्रिय राजनीति में रहता है. ऐसे में महाआर्यमन के लिए राजनीति की सीढ़ियां तो उन्हें ही तैयार करनी होगीं.
सिंधिया का कैलाश से मिलना सरप्राइज विजिट नहीं: जानकार मानते हैं कि राजनीति में हर बयान और हर मुलाकात का एक उद्देश होता है. कब क्या कहना है और किससे मिलना है, इसके अपने मायने होते हैं. इंदौर में कैलाश विजयवर्गीय के घर ज्योतिरादित्य सिंधिया का पहुंचना कोई सरप्राइज नहीं है, इसके पीछे 4 सितंबर को होने वाला मध्य प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन का चुनाव है. इस मुलाकात में सिंधिया कैलाश विजयवर्गीय से जब मिले, तो सिंधिया ने महाआर्यमन को कैलाश विजयवर्गीय का आशीर्वाद लेने के लिए बोला और उनका बेटा कैलाश विजयवर्गीय के पांव छूता हुआ भी नजर आया. इसपर कांग्रेस ने भी चुटकी ली, लेकिन सिंधिया यहां कुछ और ही कहानी लिखने पहुंचे थे.
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“ बेटा ये भाजपा है , आशीर्वाद लेना पड़ेगा…” pic.twitter.com/Lf5PDDXNPH
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महज 10 वोटों से जीते थे पिछला चुनाव:
ज्योतिरादित्य सिंधिया के सियासी सफर के पीछे भी मध्य प्रदेश में क्रिकेट की पृष्ठभूमि ही रही है. वे एमपीसीए के प्रेसिडेंट भी रहे हैं. 2010 में मध्यप्रदेश के क्रिकेट में ज्योतिरादित्य सिंधिया उस समय जब कांग्रेस में थे तब इनका मुकाबला बीजेपी के कैलाश विजयवर्गीय से था. तब ज्योतिरादित्य सिंधिया महज 10 वोटों से विजय हुए थे और कैलाश विजयवर्गीय MPCA का चुनाव हार गए थे. यही हार दोनों नेताओं के बीच राजनीति के अलावा व्यक्तिगत विरोध का सबब भी बनी. अलग अलग पार्टियों में होने के चलते दोनों कई बार आमने सामने भी आए, लेकिन अब दोनों एक ही पार्टी में है और सियासी कद भी समान ही है.
मजबूत करना चाहते हैं महाआर्यमन की दावेदारी: ज्योतिरादित्य सिंधिया क्रिकेट में अपना वर्चस्व बनाए रखना चाहते हैं. यही वजह है कि सिंधिया अपने बेटे महाआर्यमन को मध्य प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन का सदस्य बनवा कर भविष्य में उनकी अध्यक्ष पद की दावेदारी मज़बूत करवा सकते हैं.लेकिन इसके लिए कैलाश विजयवर्गीय का साथ बेहद जरूरी है. इसी लिहाज से ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने साथ महाआर्यमन की सरप्राइस विजिट कराते हुए कैलाश विजयवर्गीय से अपने बेटे को आशीर्वाद दिलवाया है. वरिष्ठ पत्रकार राजनीतिक विश्लेषक अरुण पटेल का कहना है कि एक समय आपसी विरोधी रहे सिंधिया का कैलाश विजयवर्गीय के घर महाआर्यमन को लेकर जाना, सितंबर में होने वाले एमपीसीए के चुनावों से जोड़ कर देखा जा सकता है, क्योंकि सिंधिया के बेटे को भी आगे चलकर अपना राजनीतिक सफर करना है, जिसकी शुरुआत वह एमपीसीएस से कर सकते हैं.
इसी साल होना है MPCA का चुनाव: मध्य प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन यानी एमपीसीए का चुनाव इसी साल 4 सितंबर को होना है. इसके पहले 2019 में चुनाव हुए थे, जिसमें सिंधिया समर्थक अभिलाष खांडेकर को मध्य प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन का अध्यक्ष बनाया गया था. इंदौर डिवीजन कैलाश विजयवर्गीय के अंडर है जबकि ग्वालियर डिवीजन ज्योतिरादित्य सिंधिया के पास है. जिसमें महाआर्यमन उपाध्यक्ष हैं. मध्य प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन में 260 से अधिक सदस्य हैं, जिसमें हर साल 5 नए सदस्यों को शामिल किया जा सकता है. इसी के चलते ज्योतिरादित्य और कैलाश विजयवर्गीय की मुलाकात कई चीजों को तय कर सकती है. महाआर्यमन को कैलाशजी का आशीर्वाद दिला चुके ज्योतिरादित्य सिंधिया महाआर्यमन को भी MPCA KE सदस्य बनवा दें. सबकुछ ठीक रहा तो आगे चलकर अध्यक्ष पद पर भी दावेदारी हो सकती है. इसीलिए जानकार इस मुलाकात को कैलाश की पिच पर सिंधिया की गुगली बता रहे हैं. क्योंकि एमपी क्रिकेट एसोसिएशन की पिच पर बैटिंग करने के लिए लिए कैलाश विजयवर्गीय का फील्डिंग करना जरूरी है.