नई दिल्ली : क्या क्रिकेट मैदान की पिच खतरनाक हो सकती है. क्या पांच दिवसीय टेस्ट मैच मात्र 66 मिनट और 62 गेंदों में पूरा किया जा सकता है. क्या मैच में गेंद बल्ले से नहीं बल्कि बल्लेबाज की हड्डियों से प्रतिस्पर्धा कर सकती है. तो इन सभी सवालों का जवाब हां होगा. क्योंकि ऐसा 1998 में हुए एक मैच में देखने को मिला था. पिच थी जमैका का सबीना पार्क मैदान, इस ऐतिहासिक खतरनाक मैच में भाग लेने वाली टीमें वेस्टइंडीज और इंग्लैंड थीं. हालांकि यह न तो पहली और न ही आखिरी बार था जब कोई मैच खराब पिचिंग के कारण रद्द किया गया था. लेकिन 29 जनवरी 1998 को इस मैच में जो हुआ वो कम ही देखने को मिलता है.
मैदान छोड़ने को तैयार बल्लेबाज
दरअसल, इस मैच में इंग्लैंड के कप्तान माइक अर्थन ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया. इसके बाद अर्थटन को ओपनर के तौर पर आना पड़ा और उनके साथ विकेटकीपर बल्लेबाज एलेक स्टीवर्ट भी मैदान में उतरे. लेकिन पिच पर पहुंचने के बाद असली जंग शुरू होनी थी. जहां कर्टली एम्ब्रोज़ और कर्टनी वॉल्श हाथ में गेंद लेकर तैयार थे. लेकिन जब मैच शुरू हुआ तो गेंद पिच पर टकराने लगी तो बल्लेबाज मैदान से भागने को तैयार हो गए. क्योंकि इस पिच से बिजली की गति से आ रही गेंदों से हड्डियां टूट रही थीं.
बल्लेबाज का शरीर चोटों से भरा
मैच वेस्टइंडीज और इंग्लैंड के बीच था. लेकिन उनका नाता भारत से भी था. जैसे ही गेंदबाज घबरा गए और बल्लेबाजों का दर्द असहनीय हो गया, वेस्टइंडीज के अंपायर स्टीव बकनर और भारतीय अंपायर श्रीनिवास वेंकटराघवन ने मैच खत्म करने का साहसी फैसला लिया. जब अंपायरों के हस्तक्षेप के बाद 62 गेंदों का क्रम रोक दिया गया तो अन्य बल्लेबाजों के साथ अर्थटन और स्टीवर्ट को चोटें आईं. कई जगहों पर खून के थक्के देखे गए. इस 62 गेंदों में इंग्लैंड ने 3 विकेट के नुकसान पर 17 रन बनाए. इस दौरान दर्जनों बार फिजियो को बल्लेबाजों की जांच के लिए मैदान पर आना पड़ा. अर्थटन, मार्क बुचर और नासिर हुसैन आउट हो गए. सलामी बल्लेबाज स्टीवर्ट के साथ ग्राहम थोर्प नाबाद रहे.