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जिद करो दुनिया बदलो: 60 साल की शक्ति, रंजना पाठक ने बदल दी कई गांवों की महिलाओं की जिंदगी

इंदौर से 30 किमी दूर ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को खुद के पैरों पर खड़े करने के लिए एक संस्था के द्वारा अभियान चलाया गया और देखते ही देखते अभियान में कई गांव की (International Women Day 2022) महिलाएं शामिल हो गई. फिलहाल, सभी महिलाएं आत्मनिर्भर बनने की ओर अग्रसर हैं.

International Women Day 2022
रंजना पाठक ने बदल दी कई गांवों की महिलाओं की जिंदगी
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Published : Mar 8, 2022, 3:39 PM IST

Updated : Mar 8, 2022, 4:04 PM IST

इंदौर। केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार के द्वारा महिलाओं के उत्थान के लिए कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं, वहीं कुछ निजी संस्थान भी रोजगार को लेकर महिलाओं के प्रति काफी उदार है और कई महिलाओं को रोजगार उपलब्ध करवा रहे हैं. (International Women Day 2022) इसी कड़ी में इंदौर से 30 किमी दूर ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को खुद के पैरों पर खड़े करने के लिए एक संस्था के द्वारा अभियान चलाया गया और देखते ही देखते अभियान में कई गांव की महिलाएं शामिल हो गई. फिलहाल, सभी महिलाएं आत्मनिर्भर बनने की ओर अग्रसर हैं.

रंजना पाठक ने बदल दी कई गांवों की महिलाओं की जिंदगी

निजी संस्था द्वारा किया जा रहा नेक काम
महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए केंद्र और प्रदेश सरकार कई तरह की योजना चला रही है इसी कड़ी में इंदौर से के एक गांव की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक निजी संस्था काम कर रही है. यहां पर रहने वाली 60 वर्षीय रंजना पाठक नाम की महिला ने गांव में एक अभियान की शुरुआत की और ग्रामीण महिलाओं से बात की. ग्रामीण महिलाओं ने स्वास्थ्य संबंधित विभिन्न तरह की परेशानियों का जिक्र रंजना से किया.

पांच गांवों की महिलाएं बनी आत्मनिर्भर
महिला की समस्या को देखते हुए रंजना पाठक ने ग्रामीण महिलाओं को सेनेटरी पैड सहित स्वास्थ संबंधी विभिन्न तरह का सामान उपलब्ध उपलब्ध करवाया, धीरे-धीरे गांव की महिलाओं के संपर्क में आईं और एक समूह की स्थापना कर दी. इसी संस्था के माध्यम से आसपास के पांच गांवों की महिलाओं से संपर्क हुआ और धीरे-धीरे उनके रोजगार को लेकर एक अभियान की शुरुआत की गई. शुरुआती दिनों में दलिया फैक्ट्री से शुरुआत की गई, इसके बाद अलग-अलग तरह के रोजगार मिलते गए जो वह ग्रामीण महिलाओं को देने लगी, इस तरह आसपास के गांवों की महिलाएं खुद आत्मनिर्भर बन गई.

सतना की यह शिक्षिका महिलाओं के लिए बनी मिसाल, टीचिंग के साथ क्यूआर कोड के साथ लगाए 2000 पौधे, गौरैया संरक्षण भी किया

ऐसे हुई थी शुरुआत
रंजना पाठक बताती हैं कि, जब वह गांव में शादी कर के आई थीं तो, उस समय गांव काफी बदहाली स्थिति में था. इसके बाद उन्होंने आंगनवाड़ी से शुरुआत की, इस दौरान कई महिलाएं अपने बच्चों को लेकर आंगनवाड़ी में आने लगी और यहीं पर उनसे विभिन्न मुद्दों पर बात होने लगी. कई महिलाओं ने रंजना से आर्थिक परेशानियों का जिक्र किया था, उन महिलाओं को साथ में लेकर शुरुआत में छोटे से काम से शुरुआत की और शुरुआती तौर पर दलिया फैक्ट्री से मात्र 10 महिलाओं से शुरुआत हुई. बाद में आसपास की महिलाओं से भी संपर्क हुआ उसके बाद समय-समय पर अलग-अलग तरह के रोजगार मिलते गए तो, वह ग्रामीण महिलाओं को अपने अभियान में जोड़ती गईं.

इस और ध्यान दे सरकार
आज तकरीबन चार से पांच गांव की लगभग 500 से अधिक महिलाएं उनके साथ जुड़ी हुई हैं, इस दौरान इंदौर नगर निगम के द्वारा जो पॉलिथीन मुक्त अभियान की शुरुआत की गई तो इन्ही महिलाओं द्वारा कपड़ो की थैली बनाई गई, इसी के साथ कई कपड़ा व्यापारियों के द्वारा भी इन्हें काम दिया गया है. फिलहाल, इन महिलाओं के द्वारा बिजली की झालर बनाई जा रही है, इन झालरों को बनाने के लिए महिलाओं को एक दिन में 40 से 50 की रुपये की आमदनी हो जाती है. इन झालरों को बनाने के लिए महिलाओं को एक ट्रेनिंग दी गई थी, इस ट्रेनिंग के बाद ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं इन झालरों को बनाने में जुट गई. वहीं, झालर बनाने के कारण ग्रामीण महिलाओं की आर्थिक स्थिति में काफी कुछ सुधार हो रहा है. महिलाओं का कहना है कि यह काफी अच्छा प्रयास है, सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए जिससे कि आसानी से कई और क्षेत्रों की महिलाएं भी इस अभियान से जुड़ सकें.

इंदौर। केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार के द्वारा महिलाओं के उत्थान के लिए कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं, वहीं कुछ निजी संस्थान भी रोजगार को लेकर महिलाओं के प्रति काफी उदार है और कई महिलाओं को रोजगार उपलब्ध करवा रहे हैं. (International Women Day 2022) इसी कड़ी में इंदौर से 30 किमी दूर ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को खुद के पैरों पर खड़े करने के लिए एक संस्था के द्वारा अभियान चलाया गया और देखते ही देखते अभियान में कई गांव की महिलाएं शामिल हो गई. फिलहाल, सभी महिलाएं आत्मनिर्भर बनने की ओर अग्रसर हैं.

रंजना पाठक ने बदल दी कई गांवों की महिलाओं की जिंदगी

निजी संस्था द्वारा किया जा रहा नेक काम
महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए केंद्र और प्रदेश सरकार कई तरह की योजना चला रही है इसी कड़ी में इंदौर से के एक गांव की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक निजी संस्था काम कर रही है. यहां पर रहने वाली 60 वर्षीय रंजना पाठक नाम की महिला ने गांव में एक अभियान की शुरुआत की और ग्रामीण महिलाओं से बात की. ग्रामीण महिलाओं ने स्वास्थ्य संबंधित विभिन्न तरह की परेशानियों का जिक्र रंजना से किया.

पांच गांवों की महिलाएं बनी आत्मनिर्भर
महिला की समस्या को देखते हुए रंजना पाठक ने ग्रामीण महिलाओं को सेनेटरी पैड सहित स्वास्थ संबंधी विभिन्न तरह का सामान उपलब्ध उपलब्ध करवाया, धीरे-धीरे गांव की महिलाओं के संपर्क में आईं और एक समूह की स्थापना कर दी. इसी संस्था के माध्यम से आसपास के पांच गांवों की महिलाओं से संपर्क हुआ और धीरे-धीरे उनके रोजगार को लेकर एक अभियान की शुरुआत की गई. शुरुआती दिनों में दलिया फैक्ट्री से शुरुआत की गई, इसके बाद अलग-अलग तरह के रोजगार मिलते गए जो वह ग्रामीण महिलाओं को देने लगी, इस तरह आसपास के गांवों की महिलाएं खुद आत्मनिर्भर बन गई.

सतना की यह शिक्षिका महिलाओं के लिए बनी मिसाल, टीचिंग के साथ क्यूआर कोड के साथ लगाए 2000 पौधे, गौरैया संरक्षण भी किया

ऐसे हुई थी शुरुआत
रंजना पाठक बताती हैं कि, जब वह गांव में शादी कर के आई थीं तो, उस समय गांव काफी बदहाली स्थिति में था. इसके बाद उन्होंने आंगनवाड़ी से शुरुआत की, इस दौरान कई महिलाएं अपने बच्चों को लेकर आंगनवाड़ी में आने लगी और यहीं पर उनसे विभिन्न मुद्दों पर बात होने लगी. कई महिलाओं ने रंजना से आर्थिक परेशानियों का जिक्र किया था, उन महिलाओं को साथ में लेकर शुरुआत में छोटे से काम से शुरुआत की और शुरुआती तौर पर दलिया फैक्ट्री से मात्र 10 महिलाओं से शुरुआत हुई. बाद में आसपास की महिलाओं से भी संपर्क हुआ उसके बाद समय-समय पर अलग-अलग तरह के रोजगार मिलते गए तो, वह ग्रामीण महिलाओं को अपने अभियान में जोड़ती गईं.

इस और ध्यान दे सरकार
आज तकरीबन चार से पांच गांव की लगभग 500 से अधिक महिलाएं उनके साथ जुड़ी हुई हैं, इस दौरान इंदौर नगर निगम के द्वारा जो पॉलिथीन मुक्त अभियान की शुरुआत की गई तो इन्ही महिलाओं द्वारा कपड़ो की थैली बनाई गई, इसी के साथ कई कपड़ा व्यापारियों के द्वारा भी इन्हें काम दिया गया है. फिलहाल, इन महिलाओं के द्वारा बिजली की झालर बनाई जा रही है, इन झालरों को बनाने के लिए महिलाओं को एक दिन में 40 से 50 की रुपये की आमदनी हो जाती है. इन झालरों को बनाने के लिए महिलाओं को एक ट्रेनिंग दी गई थी, इस ट्रेनिंग के बाद ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं इन झालरों को बनाने में जुट गई. वहीं, झालर बनाने के कारण ग्रामीण महिलाओं की आर्थिक स्थिति में काफी कुछ सुधार हो रहा है. महिलाओं का कहना है कि यह काफी अच्छा प्रयास है, सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए जिससे कि आसानी से कई और क्षेत्रों की महिलाएं भी इस अभियान से जुड़ सकें.

Last Updated : Mar 8, 2022, 4:04 PM IST
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