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वर्दी वाले मास्टर जी: इंदौर का पुलिस जवान दे रहा है गरीब बच्चों को निशुल्क शिक्षा, कई बच्चों का स्कूल में भी कराया है एडमिशन

इंदौर पुलिस के जवान संजय सांवरे समाज को जागरुक नागरिक होने का अहम संदेश दे रहे हैं. संजय कुछ ऐसे बच्चों का भविष्य संवारने की कोशिश कर रहे हैं जिनसे लोग अकसर किनारा कर लेते हैं. ऑपरेशन स्माईल के जरिए संजय गरीब और आर्थिक रूप से तंग बच्चों को पढ़ा रहे हैं.

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वर्दी वाले मास्टर जी: इंदौर का पुलिस जवान दे रहा है गरीब बच्चों को निशुल्क शिक्षा
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Published : Jul 20, 2021, 10:58 PM IST

Updated : Jul 21, 2021, 12:29 PM IST

इंदौर। युवा और कुछ करने का जोश फिर भला बंदिशें कहां किसी को रोक सकती हैं. इंदौर पुलिस के जवान संजय सांवरे कुछ ऐसा ही संदेश दे रहे हैं. संजय कुछ ऐसे बच्चों का भविष्य संवारने की कोशिश कर रहे हैं जिनसे लोग अकसर किनारा कर लेते हैं. पुलिस के जवान संजय ने ऐसे बच्चों को पढ़ाने लिखाने का बीडा उठाया जो अपने बचपन की मासूमियत खो चुके थे. छोटे मोटे काम धंधे करते थे कुछ बच्चे में ही नशे के आदि हो चुके थे, लेकिन संजय की बेहतर सोच ने इन बच्चों में उम्मीद जगाई और 4 बच्चों से शुरू हुई वर्दी वाले मास्टर जी की क्लास में आज 52 बच्चे पढ़ने आते हैं.

वर्दी वाले मास्टर जी

लालबाग में लगती है वर्दी वाले मास्टरजी की क्लास

कभी अपराध और नशे के दलदल में फंसे ये बच्चे इंदौर के लालबाग क्षेत्र में लगने वाली इस क्लास में पढ़ने लिखने आते हैं. आर्थिक तंगी और अच्छी परवरिश न मिलने की वजह से ये बच्चे छोटा मोटा काम धंधा भी करते हैं, लेकिन इंदौर पुलिस के एक जवान संजय सांवरे से इनका दर्द देखा नहीं गया और उसने इन बच्चों के लिए कुछ करने की ठान ली. पुलिस लाइन में पदस्त संजय बताते हैं कि 4 बच्चों से शुरू हुआ ये उनका ऑपरेशन स्माइल से अब 52 बच्चे जुड़ चुके हैं. संजय अपनी इस क्लास में कम से कम 100 बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं.

संजय को देखते ही दौड़े चले आते हैं बच्चे

पुलिस जवान संजय सांवरे सोचते हैं कि बच्चों का भविष्य पढ़ाई के माध्यम से ही सुधारा जा सकता हैं. यह छोटे बच्चे अच्छे संस्कार और परवरिश के अभाव में अपराध की दुनिया का रूख कर लेते हैं. इसलिए इन्हें बेहतर रास्ते पर लाने के लिए इनका शिक्षित होना बेहद जरूरी है. इसी सोच के साथ संजय अपने मिशन में लगे हुए हैं. संजय की अभी शादी नहीं हुई है. वे अपनी आधी सैलरी इन बच्चों पर ही खर्च करते हैं.पढ़ाई के अलावा बच्चों के लिए कभी कभी खाने पीने की चीजें भी संजय अपने साथ लेकर आते हैं. पढ़ाई के लिए बस मन होना चाहिए जगह बहुत ज्यादा मायने नहीं रखती इसी सोच के साथ संजय सर की क्लास एक पेड़ के नीचे ही लगती है, हालांकि बारिश का सीजन देखते हुए वे दूसरी जगह की तलाश कर रहे हैं. खास बात यह है कि संजय के पढ़ाए गए कई बच्चे अच्छे नंबरों से पास भी हुए हैं.

मेधावी छात्रों का स्कूल में भी कराया एडमिशन

संजय ने अपनी क्लास के कुछ मेधावी छात्रों का प्राइवेट और सरकारी स्कूलों में एडमिशन भी कराया है. संजय चाहते हैं कि ये बच्चे भी पढ़ लिखकर ना सिर्फ अपने माता-पिता का नाम रोशन करें बल्कि समाज में अपना भी एक मुकाम बनाएं.

इंदौर। युवा और कुछ करने का जोश फिर भला बंदिशें कहां किसी को रोक सकती हैं. इंदौर पुलिस के जवान संजय सांवरे कुछ ऐसा ही संदेश दे रहे हैं. संजय कुछ ऐसे बच्चों का भविष्य संवारने की कोशिश कर रहे हैं जिनसे लोग अकसर किनारा कर लेते हैं. पुलिस के जवान संजय ने ऐसे बच्चों को पढ़ाने लिखाने का बीडा उठाया जो अपने बचपन की मासूमियत खो चुके थे. छोटे मोटे काम धंधे करते थे कुछ बच्चे में ही नशे के आदि हो चुके थे, लेकिन संजय की बेहतर सोच ने इन बच्चों में उम्मीद जगाई और 4 बच्चों से शुरू हुई वर्दी वाले मास्टर जी की क्लास में आज 52 बच्चे पढ़ने आते हैं.

वर्दी वाले मास्टर जी

लालबाग में लगती है वर्दी वाले मास्टरजी की क्लास

कभी अपराध और नशे के दलदल में फंसे ये बच्चे इंदौर के लालबाग क्षेत्र में लगने वाली इस क्लास में पढ़ने लिखने आते हैं. आर्थिक तंगी और अच्छी परवरिश न मिलने की वजह से ये बच्चे छोटा मोटा काम धंधा भी करते हैं, लेकिन इंदौर पुलिस के एक जवान संजय सांवरे से इनका दर्द देखा नहीं गया और उसने इन बच्चों के लिए कुछ करने की ठान ली. पुलिस लाइन में पदस्त संजय बताते हैं कि 4 बच्चों से शुरू हुआ ये उनका ऑपरेशन स्माइल से अब 52 बच्चे जुड़ चुके हैं. संजय अपनी इस क्लास में कम से कम 100 बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं.

संजय को देखते ही दौड़े चले आते हैं बच्चे

पुलिस जवान संजय सांवरे सोचते हैं कि बच्चों का भविष्य पढ़ाई के माध्यम से ही सुधारा जा सकता हैं. यह छोटे बच्चे अच्छे संस्कार और परवरिश के अभाव में अपराध की दुनिया का रूख कर लेते हैं. इसलिए इन्हें बेहतर रास्ते पर लाने के लिए इनका शिक्षित होना बेहद जरूरी है. इसी सोच के साथ संजय अपने मिशन में लगे हुए हैं. संजय की अभी शादी नहीं हुई है. वे अपनी आधी सैलरी इन बच्चों पर ही खर्च करते हैं.पढ़ाई के अलावा बच्चों के लिए कभी कभी खाने पीने की चीजें भी संजय अपने साथ लेकर आते हैं. पढ़ाई के लिए बस मन होना चाहिए जगह बहुत ज्यादा मायने नहीं रखती इसी सोच के साथ संजय सर की क्लास एक पेड़ के नीचे ही लगती है, हालांकि बारिश का सीजन देखते हुए वे दूसरी जगह की तलाश कर रहे हैं. खास बात यह है कि संजय के पढ़ाए गए कई बच्चे अच्छे नंबरों से पास भी हुए हैं.

मेधावी छात्रों का स्कूल में भी कराया एडमिशन

संजय ने अपनी क्लास के कुछ मेधावी छात्रों का प्राइवेट और सरकारी स्कूलों में एडमिशन भी कराया है. संजय चाहते हैं कि ये बच्चे भी पढ़ लिखकर ना सिर्फ अपने माता-पिता का नाम रोशन करें बल्कि समाज में अपना भी एक मुकाम बनाएं.

Last Updated : Jul 21, 2021, 12:29 PM IST
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