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बिल दे रहे 'बिजली' का झटका, उपभोक्ताओं के आरोप- गलत बिल थमा रहा विभाग, अधिकारी भी नहीं कर रहे सुनवाई

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Published : Oct 18, 2021, 3:13 PM IST

Updated : Oct 18, 2021, 4:49 PM IST

इंदौर में बिजली कंपनियों की लापरवाही के चलते उपभोक्ता काफी परेशान हो रहे हैं. उनका आरोप है कि बिजली के बिल बढ़कर आ रहे हैं, उनकी समस्याओं को सुनने के लिए कोई उचुत प्लेटफॉर्म भी नहीं है.

बिल दे रहे 'बिजली' का झटका
बिल दे रहे 'बिजली' का झटका

इंदौर। पश्चिम विद्युत वितरण कंपनी में एक ओर जहां लगातार घोटाले सामने आ रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर कंपनी की विभिन्न तरह की सेवाओं से उपभोक्ता भी परेशान हैं. उचित प्लेटफॉर्म नहीं होने के कारण उपभोक्ताओं की सुनवाई नहीं हो पा रही है. उनका कहना है कि उन्हें बढ़े हुए बिल थमाए जा रहे हैं, जिसकी शिकायत करने के बाद भी कोई समाधान नहीं हो रहा है.

उपभोक्ताओं की शिकायत

सरकार ने बिजली सप्लाई के लिए मध्य प्रदेश विद्युत वितरण कंपनी का गठन किया, इसके माध्यम से प्रदेश को चार कंपनियों के हवाले कर दिया. इंदौर संभाग की बात करें तो यहां पर पश्चिम विद्युत वितरण कंपनी द्वारा बिजली सप्लाई होती है. लेकिन इंदौर के कई क्षेत्रों में उपभोक्ताओं को बढ़े हुए बिल वितरण कंपनी द्वारा थमाए जा रहे हैं. मजबूरन उपभोक्ता भी बढ़े हुए बिल भर रहे हैं.

उपभोक्ताओं का कहना है कि पहले जहां उन्हें 300 से 400 रुपए तक बिल आता था, जोकि अब बढ़कर 2500 से 5000 तक पहुंच गया है. लोगों का कहना है कि बढ़े हुए बिजली बिल के बारे में जब अधिकारियों से बात की जाती है, तो वह उचित जवाब तक नहीं देते हैं. शिकायत के लिए कोई प्लेटफार्म भी नहीं बनाया गया है, जहां उपभोक्ताओं की समस्या का समाधान हो पाए.

उपभोक्ताओं की शिकायत

करोड़ों रुपए महीना है रेवेन्यू

इंदौर में विद्युत वितरण कंपनी द्वारा 28 जोन संचालित किए जाते हैं. जिले में पांच डिवीजन बने हुए हैं, जिनमें नॉर्थ, साउथ, ईस्ट, वेस्ट शामिल है. इसी के साथ एक ग्रामीण डिवीजन भी कंपनी ने अपनी सुविधा अनुसार बनाया हुआ है. ग्रामीण डिवीजन में आसपास इंदौर के लगे हुए गांवों को शामिल किया गया है. लेकिन इंदौर जिले में जो चार डिवीजन बने हुए हैं, उन डिवीजन में रहवासी क्षेत्र के साथ ही फैक्ट्री एरिया भी आते हैं. जहां फैक्ट्री एरिया में उद्योगपति लगातार बिजली कटौती को लेकर अपनी समस्या मुख्यमंत्री को जता चुके हैं. अलग-अलग क्षेत्र के रहवासी भी बिजली कटौती और बढ़े हुए बिल की शिकायत कर चुके हैं.

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इंदौर में पश्चिम विद्युत वितरण कंपनी का करोड़ों रुपए का रेवेन्यू हर महीने का है. यदि 1 जोन की बात की जाए तो 1 जोन में ही 1 महीने में करोड़ों रुपए का रेवेन्यू विभाग को मिलता है, लेकिन उसके बाद भी विभाग के द्वारा उपभोक्ताओं को बढ़े हुए बिजली बिल थमाए जा रहे हैं.

दिल्ली और महाराष्ट्र में भी होती है सप्लाई

प्रदेश सरकार भारी तादाद में बिजली को बनाती है, और सुविधा अनुसार इसे दिल्ली और महाराष्ट्र में भी सप्लाई किया जाता है. यह भी बताया जाता है कि मध्य प्रदेश में जो बिजली रहवासी क्षेत्रों और फैक्ट्री एरिया में सप्लाई की जाती है उसके दाम भी अलग-अलग होते हैं. रहवासियों को तीन कैटेगरी में विद्युत वितरण कंपनी ने डिवाइड किया हुआ है. जिसमें गरीब परिवार को प्रति यूनिट 1 से दो रुपए चुकाना होता है, तो वहीं आम उपभोक्ता जिसमें मिडिल क्लास लोग शामिल होते हैं उन्हें 5 से 6 रुपए प्रति यूनिट चुकाना पड़ता है. फैक्ट्री संचालकों को 8 से 10 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली दी जाती है.

सुविधा अनुसार विद्युत वितरण कंपनी ने कुछ टैरिफ भी बनाए हुए हैं. कंपनी उन टैरिफ में समय अनुसार अपनी सुविधा के मुताबिक चेंज भी करती रहती है. टैरिफ प्लानों में जिस तरह से बढ़ोतरी और गिरावट आती है, उसका सीधा असर विद्युत वितरण कंपनी के विभिन्न तरह के उपभोक्ताओं का पड़ता है.

बिजली विभाग के अधिकारी

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बकायदारों से वसूली में जुटी कंपनी

कोरोना के बाद से लगातार विद्युत वितरण कंपनी द्वारा इंदौर शहर के उपभोक्ताओं से बढ़े हुए बिजली के बिलों की वसूली को लेकर विभाग रेवेन्यू में जुटा हुआ है. विभिन्न क्षेत्रों में सुबह से ही कंपनी के आला अधिकारी बकायदारों से वसूली में जुट जाते हैं. इस दौरान जो लोग बिल नहीं भरते हैं उनकी संपत्ति कुर्क करने के साथ ही उनकी लाइट डिस्कनेक्ट कर दी जाती है.

मामले में अधिकारियों का बयान

कंपनी के अधिकारियों से जब इस विषय में बात हुई तो उनका भी कहना है कि कंपनी द्वारा विभिन्न तरह के टैरिफ जारी किए गए हैं. उन टैरिफ के मुताबिक ही उपभोक्ताओं से वसूली की जाती है, और इस दौरान किसी महीने टैरिफ में बढ़ोतरी आ जाती है तो उन टैरिफों के मुताबिक उपभोक्ता के बिलों की राशि में बढ़ोतरी अंकित हो जाती है. अगर किसी महीने टैरिफ में गिरावट आती है तो उस टैरिफ के मुताबिक, उपभोक्ता से वसूली की जाती है.

इंदौर। पश्चिम विद्युत वितरण कंपनी में एक ओर जहां लगातार घोटाले सामने आ रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर कंपनी की विभिन्न तरह की सेवाओं से उपभोक्ता भी परेशान हैं. उचित प्लेटफॉर्म नहीं होने के कारण उपभोक्ताओं की सुनवाई नहीं हो पा रही है. उनका कहना है कि उन्हें बढ़े हुए बिल थमाए जा रहे हैं, जिसकी शिकायत करने के बाद भी कोई समाधान नहीं हो रहा है.

उपभोक्ताओं की शिकायत

सरकार ने बिजली सप्लाई के लिए मध्य प्रदेश विद्युत वितरण कंपनी का गठन किया, इसके माध्यम से प्रदेश को चार कंपनियों के हवाले कर दिया. इंदौर संभाग की बात करें तो यहां पर पश्चिम विद्युत वितरण कंपनी द्वारा बिजली सप्लाई होती है. लेकिन इंदौर के कई क्षेत्रों में उपभोक्ताओं को बढ़े हुए बिल वितरण कंपनी द्वारा थमाए जा रहे हैं. मजबूरन उपभोक्ता भी बढ़े हुए बिल भर रहे हैं.

उपभोक्ताओं का कहना है कि पहले जहां उन्हें 300 से 400 रुपए तक बिल आता था, जोकि अब बढ़कर 2500 से 5000 तक पहुंच गया है. लोगों का कहना है कि बढ़े हुए बिजली बिल के बारे में जब अधिकारियों से बात की जाती है, तो वह उचित जवाब तक नहीं देते हैं. शिकायत के लिए कोई प्लेटफार्म भी नहीं बनाया गया है, जहां उपभोक्ताओं की समस्या का समाधान हो पाए.

उपभोक्ताओं की शिकायत

करोड़ों रुपए महीना है रेवेन्यू

इंदौर में विद्युत वितरण कंपनी द्वारा 28 जोन संचालित किए जाते हैं. जिले में पांच डिवीजन बने हुए हैं, जिनमें नॉर्थ, साउथ, ईस्ट, वेस्ट शामिल है. इसी के साथ एक ग्रामीण डिवीजन भी कंपनी ने अपनी सुविधा अनुसार बनाया हुआ है. ग्रामीण डिवीजन में आसपास इंदौर के लगे हुए गांवों को शामिल किया गया है. लेकिन इंदौर जिले में जो चार डिवीजन बने हुए हैं, उन डिवीजन में रहवासी क्षेत्र के साथ ही फैक्ट्री एरिया भी आते हैं. जहां फैक्ट्री एरिया में उद्योगपति लगातार बिजली कटौती को लेकर अपनी समस्या मुख्यमंत्री को जता चुके हैं. अलग-अलग क्षेत्र के रहवासी भी बिजली कटौती और बढ़े हुए बिल की शिकायत कर चुके हैं.

रेल रोको आंदोलनः स्टेशन पर पहुंचने से पहले रास्ते से ही 100 से अधिक किसानों को उठा ले गई पुलिस

इंदौर में पश्चिम विद्युत वितरण कंपनी का करोड़ों रुपए का रेवेन्यू हर महीने का है. यदि 1 जोन की बात की जाए तो 1 जोन में ही 1 महीने में करोड़ों रुपए का रेवेन्यू विभाग को मिलता है, लेकिन उसके बाद भी विभाग के द्वारा उपभोक्ताओं को बढ़े हुए बिजली बिल थमाए जा रहे हैं.

दिल्ली और महाराष्ट्र में भी होती है सप्लाई

प्रदेश सरकार भारी तादाद में बिजली को बनाती है, और सुविधा अनुसार इसे दिल्ली और महाराष्ट्र में भी सप्लाई किया जाता है. यह भी बताया जाता है कि मध्य प्रदेश में जो बिजली रहवासी क्षेत्रों और फैक्ट्री एरिया में सप्लाई की जाती है उसके दाम भी अलग-अलग होते हैं. रहवासियों को तीन कैटेगरी में विद्युत वितरण कंपनी ने डिवाइड किया हुआ है. जिसमें गरीब परिवार को प्रति यूनिट 1 से दो रुपए चुकाना होता है, तो वहीं आम उपभोक्ता जिसमें मिडिल क्लास लोग शामिल होते हैं उन्हें 5 से 6 रुपए प्रति यूनिट चुकाना पड़ता है. फैक्ट्री संचालकों को 8 से 10 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली दी जाती है.

सुविधा अनुसार विद्युत वितरण कंपनी ने कुछ टैरिफ भी बनाए हुए हैं. कंपनी उन टैरिफ में समय अनुसार अपनी सुविधा के मुताबिक चेंज भी करती रहती है. टैरिफ प्लानों में जिस तरह से बढ़ोतरी और गिरावट आती है, उसका सीधा असर विद्युत वितरण कंपनी के विभिन्न तरह के उपभोक्ताओं का पड़ता है.

बिजली विभाग के अधिकारी

प्रचार के लिए खंडवा जा रहे कंप्यूटर बाबा सड़क हादसे में घायल, कार के उड़े परखच्चे

बकायदारों से वसूली में जुटी कंपनी

कोरोना के बाद से लगातार विद्युत वितरण कंपनी द्वारा इंदौर शहर के उपभोक्ताओं से बढ़े हुए बिजली के बिलों की वसूली को लेकर विभाग रेवेन्यू में जुटा हुआ है. विभिन्न क्षेत्रों में सुबह से ही कंपनी के आला अधिकारी बकायदारों से वसूली में जुट जाते हैं. इस दौरान जो लोग बिल नहीं भरते हैं उनकी संपत्ति कुर्क करने के साथ ही उनकी लाइट डिस्कनेक्ट कर दी जाती है.

मामले में अधिकारियों का बयान

कंपनी के अधिकारियों से जब इस विषय में बात हुई तो उनका भी कहना है कि कंपनी द्वारा विभिन्न तरह के टैरिफ जारी किए गए हैं. उन टैरिफ के मुताबिक ही उपभोक्ताओं से वसूली की जाती है, और इस दौरान किसी महीने टैरिफ में बढ़ोतरी आ जाती है तो उन टैरिफों के मुताबिक उपभोक्ता के बिलों की राशि में बढ़ोतरी अंकित हो जाती है. अगर किसी महीने टैरिफ में गिरावट आती है तो उस टैरिफ के मुताबिक, उपभोक्ता से वसूली की जाती है.

Last Updated : Oct 18, 2021, 4:49 PM IST
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