इंदौर। शहर में स्थापित मां कालका मंदिर (indore kalka mata mandir) हजारों भक्तों की आस्था का केंद्र बना हुआ है. जहां इन दिनों सैकड़ों श्रद्धालुओं की सुबह शाम भीड़ होती है. इसका निर्माण पेशे से इंजीनियर राधेश्याम अग्रवाल ने 1991 में करवाया था. कहा जाता है मंदिर के प्रमुख पुजारी और उपासक रहे राधेश्याम अग्रवाल को मां कालका की सिद्धि इस हद तक थी कि वह बाद में महंत के साथ तांत्रिक के रूप में ख्यात हुए थे. उनके द्वारा मंदिर में विभिन्न अनुष्ठान एवं मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं को विपत्तियों से निवृत्त होने का जो मार्ग बताया जाता वह सफल साबित होता था. धीरे-धीरे श्याम अग्रवाल को श्रद्धालु श्याम जी बापू नाम से पुकारने लगे थे.
इंजीनियर से बने तांत्रिक: पेशे से इंजीनियर राधेश्याम अग्रवाल ने सात्विक और वैदिक तरीके से तंत्र साधना करते हुए मां कालका के भक्ति स्वीकार किया. इसके लिए 4 में से अपनी तीन फैक्ट्री बेच दी इसके बाद खजराना में जमीन खरीद कर 1991 में मां कालिका का भव्य मंदिर स्थापित किया. पूजा-पाठ (durga pooja mantra) के जरिए तंत्र साधना में महारत हासिल की इसके बाद उन्होंने तंत्र और अघोरी प्रक्रिया से लोगों का डर मिटाने के लिए मंदिर के प्रांगण में ही अपना तंत्र साधना कक्ष भी स्थापित किया जो अपने श्रद्धालुओं के लिए सदैव खुला रहता है.
16 अक्टूबर 2019 को बापू के महाप्रयाण के बाद आज भी यहां धरोहर के रूप में उनकी खड़ाऊ एवं तलवार समेत अन्य पूजन सामग्री मंदिर के पास ही स्थापित है. मंदिर के भक्त मानते हैं कि महाप्रयाण यात्रा पर जाने के बावजूद बापूजी आज भी मंदिर में ही उपस्थित हैं. जिनकी आज भी पूर्व की तरह ही सेवा एवं पूजा अर्चना की जाती है. मंदिर परिसर में उनके चित्र एवं आस्था एवं त्याग संबंधी प्रमाण भी मौजूद हैं. (devi temple in mp) (mantra kali puja) (navratri puja vidhi)