ETV Bharat / city

indore IISR new soybean variety किसानों को भारी नुकसान से बचाएगी सोयाबीन की नई किस्म, जाने कृषि वैज्ञानिकों की अनूठी खोज के बारे में

author img

By

Published : Sep 26, 2022, 10:59 PM IST

मध्य प्रदेश के कृषि वैज्ञानिकों ने सोयाबीन की नई पौध तैयार करके किसानों के लिए बड़ी राहत पहुंचाई है. मानसून में देरी के कारण एमपी के किसानों को कभी कभी बड़ा नुकसान उठाना पड़ता था. लेकिन सोयाबीन की यह नई किस्म उन्हें उस बड़े नुकसान से बचाएगी. इस नई पौध की खासियत यह है कि अगर मानसून में देरी भी हो जाए तो भी इसके बीजों पर उसका असर नहीं पड़ता. (Indore iisr develops drought tolerant soybean)

Indore iisr develops drought tolerant soybean
इंदौर जाने कृषि वैज्ञानिकों की अनूठी खोज के बारे में

इंदौर। भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान (आईआईएसआर) ने यहां किसानों के हित में सोयाबीन की फसल की एक अनूठी सूखा-सहिष्णु किस्म विकसित की है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि देश के सबसे बड़े सोयाबीन उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश सरकार ने नई किस्म को मंजूरी दे दी है. इसकी खेती अगले खरीफ सीजन से शुरू हो जाएगी. (indore drought tolerant soybean variety)

MP में सरकारी बीज नहीं मिलने से किसान 'स्वाहा', खतरे में सोयाबीन स्टेट का दर्जा

दस साल शोध का फल है यह किस्मः दस साल के शोध के बाद एनआरसी-136 यह किस्म विकसित हुई है. आईआईआरसी के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. ज्ञानेश कुमार सतपुते ने कहा कि मानसून अवधि के दौरान लंबे समय तक सूखे की समस्या से निपटने के लिए इसे विकसित किया गया है. देश में अपनी तरह की पहली सूखा-सहिष्णु सोयाबीन किस्म है. इस किस्म की विशेषता है कि बुवाई के बाद यदि मानसून में 20-25 दिन की देरी होती है, तब भी फसल में बीज भरने की क्रिया प्रभावित नहीं होगी और यह अच्छी उपज देगा. यह किसानों को बड़े नुकसान से बचाएगा.सिंचाई के अपर्याप्त संसाधनों के कारण, मप्र में अधिकांश सोयाबीन उत्पादक मानसून पर निर्भर हैं. राज्य में हर तीन साल में एक बार ऐसी स्थिति आती है, जिसमें किसानों को लंबे अंतराल के कारण बड़ा नुकसान होता है. यह नुकसान बुवाई और मानसून के आगमन के बीच होता है. उन्होंने कहा कि एनआरसी-136 किस्म 102 दिनों में तैयार हो जाती है. यह प्रति हेक्टेयर 17 क्विंटल उपज देती है. सतपुते ने कहा कि इसमें मूंगबीन, येलो मोजेक वायरस के हमलों के लिए मध्यम स्तर का प्रतिरोध भी है. यह किस्म बुवाई के लिए देश के पूर्वी हिस्से में पहले से ही अधिसूचित है. (know unique discovery of agricultural scientists)

इंदौर। भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान (आईआईएसआर) ने यहां किसानों के हित में सोयाबीन की फसल की एक अनूठी सूखा-सहिष्णु किस्म विकसित की है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि देश के सबसे बड़े सोयाबीन उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश सरकार ने नई किस्म को मंजूरी दे दी है. इसकी खेती अगले खरीफ सीजन से शुरू हो जाएगी. (indore drought tolerant soybean variety)

MP में सरकारी बीज नहीं मिलने से किसान 'स्वाहा', खतरे में सोयाबीन स्टेट का दर्जा

दस साल शोध का फल है यह किस्मः दस साल के शोध के बाद एनआरसी-136 यह किस्म विकसित हुई है. आईआईआरसी के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. ज्ञानेश कुमार सतपुते ने कहा कि मानसून अवधि के दौरान लंबे समय तक सूखे की समस्या से निपटने के लिए इसे विकसित किया गया है. देश में अपनी तरह की पहली सूखा-सहिष्णु सोयाबीन किस्म है. इस किस्म की विशेषता है कि बुवाई के बाद यदि मानसून में 20-25 दिन की देरी होती है, तब भी फसल में बीज भरने की क्रिया प्रभावित नहीं होगी और यह अच्छी उपज देगा. यह किसानों को बड़े नुकसान से बचाएगा.सिंचाई के अपर्याप्त संसाधनों के कारण, मप्र में अधिकांश सोयाबीन उत्पादक मानसून पर निर्भर हैं. राज्य में हर तीन साल में एक बार ऐसी स्थिति आती है, जिसमें किसानों को लंबे अंतराल के कारण बड़ा नुकसान होता है. यह नुकसान बुवाई और मानसून के आगमन के बीच होता है. उन्होंने कहा कि एनआरसी-136 किस्म 102 दिनों में तैयार हो जाती है. यह प्रति हेक्टेयर 17 क्विंटल उपज देती है. सतपुते ने कहा कि इसमें मूंगबीन, येलो मोजेक वायरस के हमलों के लिए मध्यम स्तर का प्रतिरोध भी है. यह किस्म बुवाई के लिए देश के पूर्वी हिस्से में पहले से ही अधिसूचित है. (know unique discovery of agricultural scientists)

For All Latest Updates

TAGGED:

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.