ETV Bharat / city

भारत के वैज्ञानिकों ने तैयार की चीन की बुलेट ट्रेन से भी बेहतर ट्रेन, लिक्विड नाइट्रोजन गैस से चलेगी मैग्नेटिक ट्रेन

इंदौर के वैज्ञानिक आरएस शिंदे ने कठोर परिश्रम कर कम खर्च में दुनिया की सबसे तेज और सुरक्षित मैग्नेटिक ट्रेन तैयार की है.

इंदौर के वैज्ञानिकों की टीम
author img

By

Published : Feb 24, 2019, 3:34 PM IST

इंदौर। अरबों रुपए खर्च कर जहां मोदी सरकार जापान और चाइना से बुलेट ट्रेन खरीदने जा रही है वहीं देश के वैज्ञानिकों ने भारत में ही 600 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली मेट्रों ट्रेन की कार्यप्रणाली विकसित कर ली है. यही नहीं, मैग्नेटिक एनर्जी से चलने वाली देश की यह पहली ट्रेन इंदौर के परमाणु प्रौद्योगिकी केंद्र में तैयार कर प्रायोगिक तौर पर चलाई भी जा रही है.

वैज्ञानिक आरएस शिंदे ने कठोर परिश्रम और सूझबूझ के साथ दुनिया की सबसे तेज, सुरक्षित और कम खर्च में इस ट्रेन को तैयार की है. वैज्ञानिकों की मानें तो भविष्य में जमीनी सतह के ऊपर चलने वाली यह दुनिया की पहली प्रदूषण और ध्वनि रहित सुरक्षित ट्रेन साबित होगी. राधा रमन्ना प्रगत परमाणु प्रौद्योगिकी केंद्र में मैग्नेटिक पटरी पर चलती यह छोटी सी बोगी भविष्य के सबसे आधुनिक और तेज रेल यातायात की कार्यप्रणाली का आगाज है.

इंदौर के वैज्ञानिकों की टीम

शिंदे ने अपनी 50 वैज्ञानिकों की टीम के साथ दिन-रात मेहनत कर एक ऐसी ट्रेन का मॉडल तैयार कर लिया है, जिसमें मैग्नेटिक फील्ड पर जमीनी सतह के ऊपर यानी हवा में चलती नजर आ रही है. साथ ही यह ट्रेन जापान की बुलेट ट्रेन की तुलना में 50 फीसदी सस्ती है. वैज्ञानिकों की मानें तो मजबूत मैग्नेटिक क्षेत्र जमीन के तल से जुड़ा होने के कारण दुर्घटना की भी कोई गुंजाइश नहीं है. मैग्नेटिक ट्रेन को जल्दी कंट्रोल भी किया जा सकता है.

लिक्विड नाइट्रोजन गैस से चलेगी ट्रेन
आज परमाणु प्रौद्योगिकी केंद्र में आयोजित विज्ञान प्रदर्शनी के अवसर पर ट्रेन की कार्यप्रणाली आम जनता की जानकारी के लिए सार्वजनिक की गई. ट्रेन की सबसे बड़ी खूबी भी है कि इस ट्रेन में पेट्रोल डीजल या बिजली नहीं लगती बल्कि इसकी कार्यप्रणाली लिक्विड नाइट्रोजन गैस पर आधारित है. जिसमें न्यूनतम 116 डिग्री ठंडा कर मैग्नेटिक फील्ड तैयार किया जाता है. जिसके बाद इसे गति में तब्दील कर दिया जाता है.

undefined

वैज्ञानिकों की मानें तो जापान और चाइना के पास भी यह टेक्नोलॉजी नहीं है. फिलहाल अमेरिका भी इस टेक्नोलॉजी के प्रयोग से काफी दूर है. इसकी सफलता के बाद भारत रेल प्रणाली को विकसित करने के काफी करीब है. यही वजह है कि अब यह प्रणाली विकसित करने वाले इंदौर के वैज्ञानिकों को अब जापान सहित अन्य देशों से इस कार्य के लिए बुलाया जा रहा है.

indore scientist team
इंदौर के वैज्ञानिकों की टीम

इस सिद्धांत पर करती है काम
परमाणु ऊर्जा से तैयार होने वाले सुपरकंडक्टर को न्यूनतम 166 डिग्री ठंडा करने पर इसमें मैग्नेटिक फील्ड जनरेट किए जाता है. इसके बाद उसके प्रतिरोधक का उपयोग करते हुए रेल की पूरी यूनिट को मूवमेंट दिया जाता है. क्योंकि मैग्नेटिक फील्ड तैयार होने से क्षेत्र तैयार होने के कारण पटरी के तौर पर लगाई गई चुंबक से यह जमीनी सतह से करीब 2 इंच तक ऊपर उठी रहती है और इसी ऊंचाई पर यह दौड़ती भी नजर आती है.

इंदौर। अरबों रुपए खर्च कर जहां मोदी सरकार जापान और चाइना से बुलेट ट्रेन खरीदने जा रही है वहीं देश के वैज्ञानिकों ने भारत में ही 600 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली मेट्रों ट्रेन की कार्यप्रणाली विकसित कर ली है. यही नहीं, मैग्नेटिक एनर्जी से चलने वाली देश की यह पहली ट्रेन इंदौर के परमाणु प्रौद्योगिकी केंद्र में तैयार कर प्रायोगिक तौर पर चलाई भी जा रही है.

वैज्ञानिक आरएस शिंदे ने कठोर परिश्रम और सूझबूझ के साथ दुनिया की सबसे तेज, सुरक्षित और कम खर्च में इस ट्रेन को तैयार की है. वैज्ञानिकों की मानें तो भविष्य में जमीनी सतह के ऊपर चलने वाली यह दुनिया की पहली प्रदूषण और ध्वनि रहित सुरक्षित ट्रेन साबित होगी. राधा रमन्ना प्रगत परमाणु प्रौद्योगिकी केंद्र में मैग्नेटिक पटरी पर चलती यह छोटी सी बोगी भविष्य के सबसे आधुनिक और तेज रेल यातायात की कार्यप्रणाली का आगाज है.

इंदौर के वैज्ञानिकों की टीम

शिंदे ने अपनी 50 वैज्ञानिकों की टीम के साथ दिन-रात मेहनत कर एक ऐसी ट्रेन का मॉडल तैयार कर लिया है, जिसमें मैग्नेटिक फील्ड पर जमीनी सतह के ऊपर यानी हवा में चलती नजर आ रही है. साथ ही यह ट्रेन जापान की बुलेट ट्रेन की तुलना में 50 फीसदी सस्ती है. वैज्ञानिकों की मानें तो मजबूत मैग्नेटिक क्षेत्र जमीन के तल से जुड़ा होने के कारण दुर्घटना की भी कोई गुंजाइश नहीं है. मैग्नेटिक ट्रेन को जल्दी कंट्रोल भी किया जा सकता है.

लिक्विड नाइट्रोजन गैस से चलेगी ट्रेन
आज परमाणु प्रौद्योगिकी केंद्र में आयोजित विज्ञान प्रदर्शनी के अवसर पर ट्रेन की कार्यप्रणाली आम जनता की जानकारी के लिए सार्वजनिक की गई. ट्रेन की सबसे बड़ी खूबी भी है कि इस ट्रेन में पेट्रोल डीजल या बिजली नहीं लगती बल्कि इसकी कार्यप्रणाली लिक्विड नाइट्रोजन गैस पर आधारित है. जिसमें न्यूनतम 116 डिग्री ठंडा कर मैग्नेटिक फील्ड तैयार किया जाता है. जिसके बाद इसे गति में तब्दील कर दिया जाता है.

undefined

वैज्ञानिकों की मानें तो जापान और चाइना के पास भी यह टेक्नोलॉजी नहीं है. फिलहाल अमेरिका भी इस टेक्नोलॉजी के प्रयोग से काफी दूर है. इसकी सफलता के बाद भारत रेल प्रणाली को विकसित करने के काफी करीब है. यही वजह है कि अब यह प्रणाली विकसित करने वाले इंदौर के वैज्ञानिकों को अब जापान सहित अन्य देशों से इस कार्य के लिए बुलाया जा रहा है.

indore scientist team
इंदौर के वैज्ञानिकों की टीम

इस सिद्धांत पर करती है काम
परमाणु ऊर्जा से तैयार होने वाले सुपरकंडक्टर को न्यूनतम 166 डिग्री ठंडा करने पर इसमें मैग्नेटिक फील्ड जनरेट किए जाता है. इसके बाद उसके प्रतिरोधक का उपयोग करते हुए रेल की पूरी यूनिट को मूवमेंट दिया जाता है. क्योंकि मैग्नेटिक फील्ड तैयार होने से क्षेत्र तैयार होने के कारण पटरी के तौर पर लगाई गई चुंबक से यह जमीनी सतह से करीब 2 इंच तक ऊपर उठी रहती है और इसी ऊंचाई पर यह दौड़ती भी नजर आती है.

Intro:अरबों रुपए खर्च कर जहां मोदी सरकार जापान और चाइना से बुलेट ट्रेन खरीदने जा रही है वही देश के वैज्ञानिकों ने भारत में ही 600 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली मेट्रो ट्रेन की कार्य प्रणाली विकसित कर ली है यही नहीं मैग्नेटिक एनर्जी से चलने वाली देश की यह पहली ट्रेन इंदौर के परमाणु प्रौद्योगिकी केंद्र में तैयार कर प्रायोगिक तौर पर चलाई भी जा रही है वैज्ञानिकों की मानें तो भविष्य में जमीनी सता के ऊपर चलने वाली यह दुनिया की पहली प्रदूषण और ध्वनि रहित सबसे सुरक्षित ट्रेन साबित होगी


Body:इंदौर के राधा रमन्ना प्रगत परमाणु प्रौद्योगिकी केंद्र मैं मैग्नेटिक पटरी पर चलती यह छोटी सी बोगी भविष्य के सबसे आधुनिक और तेज रेल यातायात की कार्यप्रणाली का आगाज है दरअसल दुनिया भर में सबसे तेज और सुरक्षित तरीके से आधे खर्च में तैयार की जा सकने वाली इस ट्रेन की कल्पना को इंदौर के वैज्ञानिक आर एस शिंदे ने कठोर परिश्रम और सूझबूझ से साकार कर दिया है यहां श्री शिंदे ने अपनी 50 वैज्ञानिकों की टीम के साथ दिन रात मेहनत कर एक ऐसी ट्रेन का मॉडल तैयार कर लिया है जो मैग्नेटिक फील्ड पर जमीनी सतह के ऊपर यानी हवा में चलती नजर आ रही है इस ट्रेन की खासियत यह है कि जापान की बुलेट ट्रेन की तुलना में यह सुपरकंडक्टिंग मैग्नेटिक ट्रेन 50 फ़ीसदी सस्ती है इसके अलावा भारत में बड़ी संख्या में तैयार भी की जा सकती हैं वैज्ञानिकों की मानें तो इसमें मजबूत मैग्नेटिक क्षेत्र जमीन के तल से जुड़ा होने के कारण दुर्घटना की भी कोई गुंजाइश नहीं है मैग्नेटिक ट्रेन को जल्दी कंट्रोल भी किया जा सकता है आज पहली बार परमाणु प्रौद्योगिकी केंद्र में आयोजित विज्ञान प्रदर्शनी के अवसर पर ट्रेन की कार्यप्रणाली आम जनता की जानकारी के लिए सार्वजनिक की गई जिसका उद्देश्य खाकी दुनिया भर के लोग इसे जाने और वैज्ञानिक भविष्य में आम लोगों को परिवहन के लिहाज से उपलब्ध करा सके ट्रेन की सबसे बड़ी खूबी भी है कि इस ट्रेन में पेट्रोल डीजल या बिजली नहीं लगती बल्कि इसकी कार्यप्रणाली लिक्विड नाइट्रोजन गैस पर आधारित है जिसमें न्यूनतम 116 डिग्री ठंडा कर मैग्नेटिक फील्ड तैयार किया जाता है इसके बाद इसे गति में तब्दील कर दिया जाता है वैज्ञानिकों की मानें तो फिलहाल जापान और चाइना के पास भी यह टेक्नोलॉजी नहीं है और अमेरिका भी इस टेक्नोलॉजी के प्रयोग से काफी दूर है इस की सफलता के बाद भारत रेल प्रणाली को विकसित करने के काफी करीब है यही वजह है कि अब यह प्रणाली विकसित करने वाले इंदौर के वैज्ञानिकों को अब जापान सहित अन्य देशों से इस कार्य के लिए बुलाया जा रहा है


इस सिद्धांत पर करती है काम
परमाणु ऊर्जा से तैयार होने वाले सुपरकंडक्टर को न्यूनतम 166 डिग्री ठंडा करने पर इसमें मैग्नेटिक फील्ड जनरेट किए जाता है इसके बाद उसके प्रतिरोधक का उपयोग करते हुए रेल की पूरी यूनिट को मूवमेंट दिया जाता है क्योंकि मैग्नेटिक फील्ड तैयार होने से क्षेत्र तैयार होने के कारण पटरी के तौर पर लगाई गई चुंबक से यह जमीनी सतह से करीब 2 इंच तक ऊपर उठी रहती है और इसी ऊंचाई पर यह दौड़ती भी नजर आती है


Conclusion:बाइट डॉक्टर आर एस शिंदे वैज्ञानिक आरआर कैट इंदौर
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.