इंदौर। देशभर में गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के नाम पर रुपए लेकर बांटे गए प्रमाण पत्रों के घोटाले में नया खुलासा हुआ है. अब इस मामले की जांच कर रही क्राइम ब्रांच पर ही आरोपी को बचाने के आरोप लगने लगे हैं. तमाम तथ्यों के उजागर होने के बाद इंदौर क्राइम ब्रांच द्वारा आरोपी को दी जा रही क्लीन चिट को लेकर अब पूरे मामले की शिकायत मुख्यमंत्री कमलनाथ से की गई है.
दरअसल कांग्रेस के प्रदेश सचिव राकेश सिंह यादव ने इस घोटाले की शिकायत हाल ही में इंदौर की क्राइम ब्रांच को सौंपी थी, जिसमें मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की पंचायतों समेत कई संस्थाओं द्वारा गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के नाम पर फर्जी रिकॉर्ड्स के प्रमाण पत्र लाखों रुपए में खरीदने का मामला सामने आया था.
इस दौरान गोल्डन बुक के नाम पर फर्जीवाड़ा करने वाले मनीष बिश्नोई के खिलाफ पर्याप्त सबूत भी इंदौर की क्राइम ब्रांच को सौंपे गए थे. क्राइम ब्रांच ने भी अपनी जांच में अनेक बिंदुओं पर गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड एवं मनीष विश्नोई को फर्जी करार दिया, बावजूद इसके आरोपी के खिलाफ पुलिस ने प्रकरण दर्ज नहीं किया.
पुलिस की जांच में पाए गए यह बिंदु
- गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड का डोमेन 1 अगस्त 2012 को वेबसाइट तैयार करने के लिए लिया गया इसके बाद नवंबर 2016 में फिर यही डोमेन लिया गया इसका जवाब पुलिस जांच में नहीं है.
- भारत में यह संस्था अमेरिका की बताई गई लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि गुमास्ता लाइसेंस के आधार पर इस संस्था का चलना यहां बता दिया गया, जिसने ना तो विदेश मंत्रालय से अनुमति ली ना ही कोई ट्रेड मार्ग या जीएसटी है.
- गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की जो वेबसाइट तैयार कराई गई उसके पते भी फर्जी हैं. 4 देशों के जो पते दिए गए वहां भी संस्था से संबंधित कोई न हीं कोई व्यक्ति है और ना ही कोई कार्यालय.
- गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के संस्थापक का 2013 में ही निधन हो गया था. इसके बाद लगातार शेरा नामक इसी संस्था के संस्थापक के फर्जी हस्ताक्षर से लगातार कई प्रमाण पत्र जारी किए गए, इसका जवाब भी जांच रिपोर्ट में नहीं है.
इसके अलावा क्राइम ब्रांच ने कोई कार्रवाई नहीं कि और एक हास्यास्पद रिपोर्ट तैयार की, जिसके बाद इस संदर्भ में सभी तथ्यों और पुलिस जांच रिपोर्ट से मुख्यमंत्री कमलनाथ को अवगत कराया गया है. साथ ही कांग्रेस के प्रदेश सचिव राकेश सिंह यादव द्वारा कमलनाथ से मांग की गई है कि, इस तरह की लीपापोती करके करोड़ों के घोटाले के आरोपी को संरक्षण देने वाले पुलिस अधिकारियों की वेतन वृद्धि रोककर उन्हें शासन स्तर पर दंडित किया जाए, साथ ही उनके खिलाफ विभागीय जांच प्रस्तावित की जाए.