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Cheetah Project India: भूखे नामीबियाई चीतों को जल्द से जल्द कूनो पहुंचाने के लिए दी गई थी विशेष मंजूरी, कस्टम विभाग ने चैंज किया लैंडिंग डेस्टीनेशन

बीते सप्ताह नामीबिया से आठ चीतों को ला रहे विशेष विमान के लैंडिंग डेस्टिनेशन को जयपुर से ग्वालियर में बदल दिया गया था. चीतों की यात्रा को सुविधाजनक बनाने के लिए सीमा शुल्क अधिकारियों को ग्वालियर में तैनात किया गया था. जिसको लेकर एक अधिकारी ने बताया कि मंजूरी प्रक्रिया को तेजी से पूरा कर दिया गया है. MP Cheetah Project, kuno National Park, scindia bring cheetahs kuno,cheetahs Namibia to India

Cheetah Project India
नामीबिया चीता
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Published : Sep 21, 2022, 10:12 PM IST

Updated : Sep 21, 2022, 10:43 PM IST

इंदौर। पिछले सप्ताह नामीबिया से आठ चीतों को लेकर आ रहे विशेष विमान के लैंडिंग डेस्टिनेशन को राजस्थान के जयपुर से मध्य प्रदेश के ग्वालियर में बदल दिया गया था. एक अधिकारी ने कहा कि सीमा शुल्क विभाग ने मंजूरी को तेजी से ट्रैक किया ताकि ये जानवर कूनो नेशनल पार्क तक पहुंच सकें. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 सितंबर को नामीबिया से लाए गए इन आठ चीतों में से तीन को एमपी के श्योपुर जिले के केएनपी में एक बाड़े में रिहा कर दिया. जो कि 1952 में भारत में विलुप्त हो चुके चीतों की आबादी को पुनर्जीवित करने के प्रोजेक्ट का हिस्सा था. (kuno National Park) (MP Cheetah Project)

नामीबिया से 8,000 किमी से अधिक अंतरमहाद्वीपीय यात्रा शुक्रवार की रात से शुरू हुई थी जिनमें 30 से 66 महीने आयु के बीच के चीतों में पांच मादा और तीन नर चीतों को नामीबिया से विमान बोइंग 747 सुबह 7.47 बजे ग्वालियर एयरबेस पर उतरा. जिसके बाद चीतों को भारतीय वायु सेना (IAF) के दो हेलीकॉप्टरों से 165 किमी दूर कूनो पार्क ले जाया गया. (MP Cheetah Project) (Picture of special plane bringing cheetahs)

इस प्रक्रिया में शामिल सीमा शुल्क विभाग के एक अधिकारी ने बताया, "पहले की योजना के अनुसार, विशेष विमान को 17 सितंबर को राजस्थान के जयपुर में उतरना था, हालांकि, योजना बदल दी गई और विमान ग्वालियर में उतर गया." बुधवार को अधिकारी ने कहा कि उन्हें विमान के लैंडिंग डेस्टिनेशन जयपुर के बजाय ग्वालियर में उतारने के बारे में 15 सितंबर को पता चला. सीमा शुल्क विभाग ने वन विभाग और अन्य सरकारी एजेंसियों के साथ मिलकर सभी मंजूरी तेजी से दी. ताकि नामीबिया से केएनपी तक चीतों के शीघ्र आगमन को सुनिश्चित करने के लिए विशेष विमान जयपुर के बजाय ग्वालियर में उतर सके. (cheetahs Namibia to India)

अधिकारी ने कहा, "हमें पता चला है कि चीतों को नामीबिया से खाली पेट भारत लाया जा रहा है और उन्हें जल्द से जल्द केएनपी ले जाने की जरूरत है. इसलिए हमने इस प्रक्रिया को तेजी से पूरा किया." केएनपी तक चीतों की यात्रा को सुविधाजनक बनाने के लिए सीमा शुल्क अधिकारियों को ग्वालियर में तैनात किया गया था. (namibian cheetahs) केएनपी, 750 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला हुआ है, जो विंध्याचल पहाड़ों के उत्तरी किनारे पर स्थित है. देश में अंतिम चीता की मृत्यु 1947 में कोरिया जिले में हुई थी जो वर्तमान में छत्तीसगढ़ में है और प्रजातियों को 1952 में भारत से विलुप्त घोषित कर दिया गया था. 'अफ्रीकी चीता इंट्रोडक्शन प्रोजेक्ट इन इंडिया' की कल्पना 2009 में की गई थी. अधिकारियों ने कहा कि Covid-19 महामारी के कारण पिछले साल नवंबर तक केएनपी में बड़ी बिल्ली को पेश करने की योजना को झटका लगा था.

पीटीआई

इंदौर। पिछले सप्ताह नामीबिया से आठ चीतों को लेकर आ रहे विशेष विमान के लैंडिंग डेस्टिनेशन को राजस्थान के जयपुर से मध्य प्रदेश के ग्वालियर में बदल दिया गया था. एक अधिकारी ने कहा कि सीमा शुल्क विभाग ने मंजूरी को तेजी से ट्रैक किया ताकि ये जानवर कूनो नेशनल पार्क तक पहुंच सकें. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 सितंबर को नामीबिया से लाए गए इन आठ चीतों में से तीन को एमपी के श्योपुर जिले के केएनपी में एक बाड़े में रिहा कर दिया. जो कि 1952 में भारत में विलुप्त हो चुके चीतों की आबादी को पुनर्जीवित करने के प्रोजेक्ट का हिस्सा था. (kuno National Park) (MP Cheetah Project)

नामीबिया से 8,000 किमी से अधिक अंतरमहाद्वीपीय यात्रा शुक्रवार की रात से शुरू हुई थी जिनमें 30 से 66 महीने आयु के बीच के चीतों में पांच मादा और तीन नर चीतों को नामीबिया से विमान बोइंग 747 सुबह 7.47 बजे ग्वालियर एयरबेस पर उतरा. जिसके बाद चीतों को भारतीय वायु सेना (IAF) के दो हेलीकॉप्टरों से 165 किमी दूर कूनो पार्क ले जाया गया. (MP Cheetah Project) (Picture of special plane bringing cheetahs)

इस प्रक्रिया में शामिल सीमा शुल्क विभाग के एक अधिकारी ने बताया, "पहले की योजना के अनुसार, विशेष विमान को 17 सितंबर को राजस्थान के जयपुर में उतरना था, हालांकि, योजना बदल दी गई और विमान ग्वालियर में उतर गया." बुधवार को अधिकारी ने कहा कि उन्हें विमान के लैंडिंग डेस्टिनेशन जयपुर के बजाय ग्वालियर में उतारने के बारे में 15 सितंबर को पता चला. सीमा शुल्क विभाग ने वन विभाग और अन्य सरकारी एजेंसियों के साथ मिलकर सभी मंजूरी तेजी से दी. ताकि नामीबिया से केएनपी तक चीतों के शीघ्र आगमन को सुनिश्चित करने के लिए विशेष विमान जयपुर के बजाय ग्वालियर में उतर सके. (cheetahs Namibia to India)

अधिकारी ने कहा, "हमें पता चला है कि चीतों को नामीबिया से खाली पेट भारत लाया जा रहा है और उन्हें जल्द से जल्द केएनपी ले जाने की जरूरत है. इसलिए हमने इस प्रक्रिया को तेजी से पूरा किया." केएनपी तक चीतों की यात्रा को सुविधाजनक बनाने के लिए सीमा शुल्क अधिकारियों को ग्वालियर में तैनात किया गया था. (namibian cheetahs) केएनपी, 750 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला हुआ है, जो विंध्याचल पहाड़ों के उत्तरी किनारे पर स्थित है. देश में अंतिम चीता की मृत्यु 1947 में कोरिया जिले में हुई थी जो वर्तमान में छत्तीसगढ़ में है और प्रजातियों को 1952 में भारत से विलुप्त घोषित कर दिया गया था. 'अफ्रीकी चीता इंट्रोडक्शन प्रोजेक्ट इन इंडिया' की कल्पना 2009 में की गई थी. अधिकारियों ने कहा कि Covid-19 महामारी के कारण पिछले साल नवंबर तक केएनपी में बड़ी बिल्ली को पेश करने की योजना को झटका लगा था.

पीटीआई

Last Updated : Sep 21, 2022, 10:43 PM IST
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