इंदौर। बुल्ली बाई ऐप (bulli bai app) इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है. ठीक इसी तरह पिछले साल सुल्ली ऐप (sulli deals controversy) के सामने आने से भी काफी बवाल मचा था. इस ऐप के जरिये मुस्लिम महिलाओं को अपमानित करने के लिए उन्हें टारगेट किया जा रहा है. ऐप पर कम से कम सौ प्रभावशाली मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरें अपलोड की गईं थीं. खास बात ये है ये तस्वीरें उन मुस्लिम महिलाओं की थीं जो सोशल मीडिया पर एक्टिव थीं, लेकिन इनकी तस्वीरों को बिना उनकी अनुमति के ऐप पर अपलोड कर दिया गया. इतना ही नहीं इन फोटोज के साथ प्राइस टैग लगाकर डील ऑफ द डे भी लिखा गया. जिसके बाद से यह ऐप विवादों में आ गया.
Bullibai कैसे चर्चाओं में आया?
आरोप है कि ऐप के जरिए मुस्लिम महिलाओं की नीलामी के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया जा रहा था.मुस्लिम महिलाओं के सोशल मीडिया हैंडल से फोटो को डाउनलोड करके इस प्लेटफॉर्म पर नीलामी के लिए प्राइस टैग लगाकर पोस्ट की जा रही थीं. ऐप के जरिए मुस्लिम महिलाओं की कथित तौर पर सौदेबाजी की जा रही थी. इस एप्लिकेशन को Bullibai.github.io पर होस्ट किया गया था. हालांकि केंद्र सरकार के दखल के बाद इस ऐप को हटा लिया गया है.
ऐसे काम करता है Bullibai app
गिटहब नाम के प्लेटफॉर्म पर मौजूद बुल्ली बाई ऐप को जैसे ही आप खोलते हैं सामने एक मुस्लिम महिला का चेहरा आता है. इस महिला का नाम बुली बाई के नाम से शो होता है. ऐसे ही नाम वाले एक टि्वटर हैंडल से इसे प्रमोट भी किया जा रहा था. इस टि्वटर हैंडल पर खाली सपोर्टर की फोटो लगी हुई होती है. फोटो के साथ लिखा होता है कि इस एप के जरिए मुस्लिम महिलाओं को बुक किया जा सकता है.
गिटहब क्या है?
गिटहब एक ओपन-सोर्स प्लेटफॉर्म है. यह यूजर्स को एप्स क्रिएट करने और उन्हें शेयर करने की सुविधा देता है. गिटहब पर कोई भी पर्सनल या एडमिनिस्ट्रेशन नाम से अपना एप बना सकता है. बनाए गए ऐप को आप गिटहब मार्केटप्लेस पर शेयर करने के साथ बेच भी सकते हैं.
सरकार ने ब्लॉक किया बुली बाई का अकाउंट
Bullibai app के जरिए सोशल मीडिया खासकर ट्विटर पर सक्रिय मुस्लिम महिलाओं के फोटो शेयर किए गए थे. ट्विटर पर ज्यादा फॉलोअर्स वाली मुस्लिम महिलाएं इनमें कुछ मुस्लिम पत्रकार भी शामिल हैं. उनकी तस्वीरें अपलोड की गई हैं. मामले में दिल्ली और यूपी में कुछ जगहों पर शिकायत दर्ज होने के बाद सरकार ने इसका अकाउंट ब्लॉक करा दिया है. इंफॉर्मेशन एंड टेक्नोलॉजी मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव ने ट्वीट कर बताया कि बुल्ली बाई के अकाउंट को ब्लॉक कर दिया गया है. इसके अलावा इसके ट्विटर अकाउंट को भी ब्लॉक कर दिया गया है. मामले की जांच के आदेश देने के साथ ही आगे की कार्रवाई के लिए CERT और पुलिस विभाग को जिम्मेदारी दी गई है. इसके अलावा
- दिल्ली पुलिस ने ट्विटर से 'बुल्ली बाई' ऐप के डेवलपर की जानकारी मांगी है.
- पुलिस ने ट्विटर से उस अकाउंट के बारे में जानकारी मांगी है, जिसने सबसे पहले 'बुल्ली बाई' ऐप के बारे में ट्वीट किया था.
सुल्ली डील्स की तरह ही है Bulli Bai App
पिछले साल ठीक इसी तरह का एक और ऐप सुल्ली डील्स में भी मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरों के दुरूपयोग का मामला सामने आया था. इसके खिलाफ देश में कई जगहें शिकायत दर्ज कराई गई थी. सुल्ली डील्स को भी गिटहब प्लेटफॉर्म पर ही पेश किया गया था.
इंदौर से अरेस्ट हुआ ऐप डेवलपर
दिल्ली पुलिस ने इंदौर न्यूयार्क सिटी एरिया से सॉफ्टवेयर डेवलपर को हिरासत में लिया है. आरोपी डेवलेपर ओमकारेश्वर इंदौर का रहने वाला है. जो ओपन सोर्स प्लेटफॉर्म गिटहब के लिए ऐप डेपलव करता है. सुल्ली डील्स एप इसी ओमकारेश्वर ने डिजाइन किया था. उसे पूरी जानकारी थी कि एप किसलिए बनाया जा रहा है. इसके बाद भी उसने पुलिस को किसी तरह की कोई जानकारी नहीं दी. इससे पहले दिल्ली पुलिस ने बुल्ली बाई ऐप मामले में दिल्ली से एक आरोपी नरेंद्र नाम के शख्स और मध्य प्रदेश के सीहीरे के वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी के दो स्टूडेंस् को भी गिरफ्तार किया है. साइबर एक्सपर्ट बताते हैं कि दिल्ली पुलिस ने ओंकारेश्वर को कैसे गिरफ्तार किया और कैसे बनता है एप. मुंबई पुलिस ने बेंगलुरु के 21 वर्षीय इंजीनियरिंग छात्र विशाल कुमार को कुछ दिन पहले ही हिरासत में लिया था. उत्तराखंड से एक महिला को भी हिरासत में लिया गया है. महिला के बारे में माना जाता है कि वह इस मामले की मुख्य आरोपी है. पुलिस के मुताबिक महिला और कुमार दोनों एक दूसरे को जानते हैं.
आसान है एप बनाना, डेवलपर को रहती है सारी जानकारी
- एप को बनाना काफी आसान होता है. कोई भी व्यक्ति किसी भी जगह से बैठकर एक अच्छे ऐप को डिजाइन कर सकता है.
- एक एप को बनाने के लिए कुछ ज्यादा पैसे खर्च नहीं करने पड़ते. मात्र 15000 रुपये में ही एक ऐप तैयार हो जाता है.
-शेयर करने के बाद इसमें सिक्योरिटी फीचर्स जोड़ने को लेकर बाद में पैसों की बढ़ोतरी होती रहती है.
- एक ऐप डेवलपर को एप में क्या मटेरियल रहेगा, इसके बारे में सभी जानकारी रहती है. उसके बाद ही डेवलपर ऐप तैयार करता है. वहीं डेवलपर कंडीशन के मुताबिक उस में विभिन्न तरह की एरर के लिए कोडिंग भी करता है.
-एक ऐप को बनाने में मात्र 15 दिनों का समय लगता है. 15 दिन उस एप्लीकेशन की चेकिंग की जाती है. यदि इस दौरान किसी तरह की खामियां आती हैं, तो उन्हें सुधारा जाता है. उसके बाद ही उसे बाजार में बेचने के लिए उतारा जाता है.
- ऐप बनाने के लिए कई लोगों ने अलग-अलग कंपनियां खोल रखी हैं. ये उपभोक्ताओं को उनकी डिमांड के मुताबिक एप्लीकेशन बनाकर उपलब्ध करवाती हैं.
- उपभोक्ता की डिमांड के मुताबिक कंपनी एप तैयार करती है. ऐप डेवलपर को ऐप के मटेरियल के बारे में हर तरह की जानकारी होती है.