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अनलॉक के बावजूद अवसाद से गुजर रहे ऑटो चालक, किस्त नहीं चुका पाने पर कर रहे खुदकुशी

अनलॉक के बाद भी इंदौर के ऑटो चालकों के पास रोजगार नहीं है. जिसके चलते ऑटो चालक आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं.

indore
फाइनेंसर्स के दबाव में आत्महत्या कर रहे ऑटो चालक
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Published : Aug 11, 2020, 6:26 PM IST

इंदौर। लॉकडाउन के चलते देश भर में कई व्यापार और व्यवसाय प्रभावित हुए हैं, पर सरकार ने जैसे ही अनलॉक की प्रक्रिया शुरू की तो कई व्यापार और व्यवसाय फिर पटरी पर आने लगे हैं. लेकिन प्रदेश की आर्थिक राजधानी के तौर पर पहचान रखने वाले इंदौर में 20 हजार से अधिक ऐसे लोग हैं, जिनके ऊपर घर चलाने की चुनौतियां तो हैं ही, साथ ही ऋण अदायगी का दबाव भी है. स्थितियां इतनी बिगड़ती जा रही हैं कि इस शहर में अब ऑटो चालक भी आत्महत्या करने लगे हैं और सुसाइड नोट में बाकायदा फाइनेंसरों के दबाव की बात भी सामने आ रही है.

फाइनेंसर्स के दबाव में आत्महत्या कर रहे ऑटो चालक

इंदौर शहर में 20 हजार से अधिक ऑटो चालक हैं, जोकि रोजाना ऑटो चलाकर अपना परिवार चलाते हैं. लगभग 4 महीने से ये ऑटो चालक बिना किसी आय के बसर कर रहे हैं. पहले लॉकडाउन के चलते और अब शहर में स्कूल और सिनेमाघर बंद होने के चलते ये ऑटो चालक मुसीबत में हैं. लगभग 4 महीने से बिना किसी आय के गुजरते दिन के साथ इन ऑटो वालों की स्थिति बिगड़ती जा रही है. शहर में कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें आत्महत्या करने वाले ऑटो चालक हैं.

फाइनेंसरो का बढ़ रहा दबाव, कर्ज की वापसी बनी चुनौती

शहर के कई ऐसे ऑटो चालक हैं, जिन्होने अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए ऑटो को मासिक किस्तों पर खरीदा था. केंद्र सरकार ने बैंकों से 3 माह तक कर्ज में रियायत देने का एलान तो किया था, लेकिन जिन ऑटो चालकों ने प्राइवेट कंपनियों से कर्ज लिया था, उनके ऊपर लगातार किस्त चुकाने का दबाव बढ़ता जा रहा है. 3 महीने से आमदनी बंद होने से किस्तें नहीं भर पाने के कारण कई ऑटो चालक इन प्राइवेट बैंकों से डिफाल्टर घोषित हो चुके हैं. अब स्थिति ये है कि प्राइवेट बैंकों के एजेंट मानसिक रूप से ऑटो चालकों पर दबाव बना रहे हैं.

स्कूल-कॉलेज बंद होना सबसे बड़ी समस्या

शहर के हजारों ऑटो चालक स्कूल बंद होने की वजह से भी परेशान हैं. कई ऑटो चालकों का मुख्य व्यवसाय स्कूली बच्चों को लाना और ले जाना होता था. स्कूल पूरी तरह से बंद होने के कारण ये सभी ऑटो चालक भी बेरोजगार हो गए हैं और भविष्य में फिलहाल स्कूल नहीं खुलने की संभावनाओं के चलते नए रोजगार की तलाश में हैं, ऑटो चालक भी शहर में बड़ी संख्या में सवारियों का इंतजार कर रहे हैं. कोरोना संक्रमण से शहर में लगातार बढ़ रहे मामलों के कारण कई लोग अब अपने निजी परिवहन से आना जाना कर रहे हैं. जिसके कारण इन ऑटो चालकों को पहले की तुलना में बहुत कम यात्री मिल रहे हैं.

आत्महत्या के बढ़ रहे केस

इंदौर में लगातार बढ़ रहे आत्महत्या के मामलों में ऑटो चालकों की संख्या अधिक है. शहर के दो थाना क्षेत्रों में ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें ऑटो चालक ने आत्महत्या की है और सुसाइड नोट में ऑटो की किस्तें नहीं भर पाने का कारण लिखा है. एरोड्रम थाना क्षेत्र निवासी नीरज ठाकुर ने भी कुछ दिन पहले सुसाइड नोट लिखकर खुदकुशी की थी. सुसाइड नोट में नीरज ने लिखा कि ऑटो नहीं चल पाने के कारण किस्तें नहीं भर पा रहा है, इसी प्रकार का मामला इंदौर के हीरा नगर थाना क्षेत्र में भी सामने आया है, जहां ऑटो चालक ने किस्त नहीं दे पाने की वजह से जान दे दी.

शहर के 20 हजार से अधिक ऑटो चालकों के जीवन-यापन को लेकर लगातार प्रशासन से गुहार लगाई जा रही है, लेकिन पब्लिक ट्रांसपोर्ट शहर में पूरी तरह बंद होने के बावजूद इन ऑटो चालकों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है.

इंदौर। लॉकडाउन के चलते देश भर में कई व्यापार और व्यवसाय प्रभावित हुए हैं, पर सरकार ने जैसे ही अनलॉक की प्रक्रिया शुरू की तो कई व्यापार और व्यवसाय फिर पटरी पर आने लगे हैं. लेकिन प्रदेश की आर्थिक राजधानी के तौर पर पहचान रखने वाले इंदौर में 20 हजार से अधिक ऐसे लोग हैं, जिनके ऊपर घर चलाने की चुनौतियां तो हैं ही, साथ ही ऋण अदायगी का दबाव भी है. स्थितियां इतनी बिगड़ती जा रही हैं कि इस शहर में अब ऑटो चालक भी आत्महत्या करने लगे हैं और सुसाइड नोट में बाकायदा फाइनेंसरों के दबाव की बात भी सामने आ रही है.

फाइनेंसर्स के दबाव में आत्महत्या कर रहे ऑटो चालक

इंदौर शहर में 20 हजार से अधिक ऑटो चालक हैं, जोकि रोजाना ऑटो चलाकर अपना परिवार चलाते हैं. लगभग 4 महीने से ये ऑटो चालक बिना किसी आय के बसर कर रहे हैं. पहले लॉकडाउन के चलते और अब शहर में स्कूल और सिनेमाघर बंद होने के चलते ये ऑटो चालक मुसीबत में हैं. लगभग 4 महीने से बिना किसी आय के गुजरते दिन के साथ इन ऑटो वालों की स्थिति बिगड़ती जा रही है. शहर में कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें आत्महत्या करने वाले ऑटो चालक हैं.

फाइनेंसरो का बढ़ रहा दबाव, कर्ज की वापसी बनी चुनौती

शहर के कई ऐसे ऑटो चालक हैं, जिन्होने अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए ऑटो को मासिक किस्तों पर खरीदा था. केंद्र सरकार ने बैंकों से 3 माह तक कर्ज में रियायत देने का एलान तो किया था, लेकिन जिन ऑटो चालकों ने प्राइवेट कंपनियों से कर्ज लिया था, उनके ऊपर लगातार किस्त चुकाने का दबाव बढ़ता जा रहा है. 3 महीने से आमदनी बंद होने से किस्तें नहीं भर पाने के कारण कई ऑटो चालक इन प्राइवेट बैंकों से डिफाल्टर घोषित हो चुके हैं. अब स्थिति ये है कि प्राइवेट बैंकों के एजेंट मानसिक रूप से ऑटो चालकों पर दबाव बना रहे हैं.

स्कूल-कॉलेज बंद होना सबसे बड़ी समस्या

शहर के हजारों ऑटो चालक स्कूल बंद होने की वजह से भी परेशान हैं. कई ऑटो चालकों का मुख्य व्यवसाय स्कूली बच्चों को लाना और ले जाना होता था. स्कूल पूरी तरह से बंद होने के कारण ये सभी ऑटो चालक भी बेरोजगार हो गए हैं और भविष्य में फिलहाल स्कूल नहीं खुलने की संभावनाओं के चलते नए रोजगार की तलाश में हैं, ऑटो चालक भी शहर में बड़ी संख्या में सवारियों का इंतजार कर रहे हैं. कोरोना संक्रमण से शहर में लगातार बढ़ रहे मामलों के कारण कई लोग अब अपने निजी परिवहन से आना जाना कर रहे हैं. जिसके कारण इन ऑटो चालकों को पहले की तुलना में बहुत कम यात्री मिल रहे हैं.

आत्महत्या के बढ़ रहे केस

इंदौर में लगातार बढ़ रहे आत्महत्या के मामलों में ऑटो चालकों की संख्या अधिक है. शहर के दो थाना क्षेत्रों में ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें ऑटो चालक ने आत्महत्या की है और सुसाइड नोट में ऑटो की किस्तें नहीं भर पाने का कारण लिखा है. एरोड्रम थाना क्षेत्र निवासी नीरज ठाकुर ने भी कुछ दिन पहले सुसाइड नोट लिखकर खुदकुशी की थी. सुसाइड नोट में नीरज ने लिखा कि ऑटो नहीं चल पाने के कारण किस्तें नहीं भर पा रहा है, इसी प्रकार का मामला इंदौर के हीरा नगर थाना क्षेत्र में भी सामने आया है, जहां ऑटो चालक ने किस्त नहीं दे पाने की वजह से जान दे दी.

शहर के 20 हजार से अधिक ऑटो चालकों के जीवन-यापन को लेकर लगातार प्रशासन से गुहार लगाई जा रही है, लेकिन पब्लिक ट्रांसपोर्ट शहर में पूरी तरह बंद होने के बावजूद इन ऑटो चालकों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है.

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