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ताई के बाद कौन करेगा इंदौर पर राज, शंकर का होगा अभिषेक या पंकज के सिर सजेगा ताज

इंदौर लोकसभा सीट देश की हाई प्रोफाइल सीट मानी जाती है. बीजेपी की सुमित्रा महाजन इस सीट से लगातार आठ लोकसभा चुनाव जीती हैं. लेकिन इस बार पार्टी ने उनकी जगह शंकर लालवानी को मैदान में उतारा है. तो कांग्रेस ने पंकज संघवी पर भरोसा जताया है. जिससे इस सीट पर इस बार कांटे का मुकाबला दिखाई दे रहा है.

बीजेपी प्रत्याशी शंकर लालवानी, कांग्रेस प्रत्याशी पंकज संघवी
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Published : May 18, 2019, 1:39 PM IST

इंदौर। राजधानी भोपाल के बाद मिनी मुंबई के नाम से मशहूर सूबे की आर्थिक राजधानी इंदौर को सत्ता का दूसरा सबसे बड़ा केंद्र माना जाता है क्योंकि मालवा अंचल के मोहरे सियासी शतरंज की चाल बदलने का माद्दा रखते हैं. यहां की सियासी कमान जिस पार्टी के हाथ होती है, मालवा-निमाड़ में उसी पार्टी की सियासी पकड़ मजबूत मानी जाती है. मालवांचल का सियासी केंद्र माने जाने वाले इंदौर संसदीय क्षेत्र को प्रदेश में बीजेपी का अभेद्य किला माना जाता है, बीजेपी यहां चार दशक से लगातार जीत दर्ज करती आ रही है, इस बार पार्टी ने यहां शंकर लालवानी को मैदान में उतारा है, जिनके सामने कांग्रेस ने पंकज संघवी को उतारा है.

इंदौर लोकसभा सीट

आजादी के बाद शुरुआती दौर में इस सीट पर कांग्रेस की मजबूत पकड़ मानी जाती थी, लेकिन बदलते वक्त के साथ धीरे-धीरे इस सीट पर कांग्रेस का वर्चस्व खत्म होता गया और बीजेपी मजबूत होती चली गई. जो अब बीजेपी का सबसे मजबूत गढ़ बन चुका है. अब तक हुए 16 आम चुनावों में आठ बार बीजेपी को जीत मिली है तो 6 बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी, जबकि एक-एक बार कम्युनिष्ट पार्टी और लोकदल के प्रत्याशी को भी जीत मिल चुकी है. 1989 में बीजेपी की सुमित्रा महाजन ने पूर्व सीएम प्रकाशचंद्र सेठी को हराकर बीजेपी की जीत का जो सिलसिला शुरु किया था, वो अब तक जारी है. ताई के नाम से मशहूर सुमित्रा महाजन इस सीट से लगातार आठ बार जीत चुकी हैं.

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इंदौर कांग्रेस

इस बार यहां कुल 23 लाख 17 हजार 335 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे, जिनमें 11 लाख 91 हजार 646 पुरुष मतदाता तो 11 लाख 25 हजार 491 महिला मतदाता शामिल हैं, जबकि थर्ड जेंडर की संख्या 180 है. इंदौर में इस बार कुल 2881 मतदान केंद्र बनाए गए हैं. जिनमें 562 संवेदनशील और 142 अतिसंवेदनशील हैं.

इंदौर संसदीय क्षेत्र में इंदौर-1, इंदौर-2, इंदौर-3, इंदौर-4, इंदौर-5, देपालपुर, राऊ और सांवेर विधानसभा सीटें आती हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में इन सीटों में चार पर बीजेपी और चार पर कांग्रेस को जीत मिली थी. 2014 के लोकसभा चुनाव में सुमित्रा महाजन ने प्रदेश की सभी 29 सीटों में सबसे बड़ी जीत हासिल की थी. उन्होंने कांग्रेस के सत्यनारायण पटेल को 4 लाख 66 हजार 901 वोटों के अंतर से हराया था. जातिगत समीकरण पर नजर डालें तो यहां मराठी, ब्राह्मण और सिंधी वोटर निर्णायक भूमिका निभाते हैं. जिससे दोनों ही पार्टियां इन वर्गों को साधने में जुटी हैं.

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इंदौर बीजेपी

भले ही इंदौर लोकसभा सीट बीजेपी का सबसे मजबूत गढ़ है, लेकिन विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने इंदौर में शानदार प्रदर्शन किया है. इसलिए इस बार इस सीट पर मुकाबला कांटे का होने की उम्मीद है. बीजेपी ने ताई की बजाय शंकर लालवानी पर भरोसा जताया है, बीजेपी का पूरा संगठन यहां जोर अजामाइश कर रहा है तो कांग्रेस के तीन-तीन मंत्री कार्यकर्ताओं की फौज के साथ मैदान में हैं. अब वोटरों के ऊपर है कि वो शंकर को महादेव बनाते हैं, या पंकज को लोकतंत्र के मंदिर में पहुंचाते हैं.

इंदौर। राजधानी भोपाल के बाद मिनी मुंबई के नाम से मशहूर सूबे की आर्थिक राजधानी इंदौर को सत्ता का दूसरा सबसे बड़ा केंद्र माना जाता है क्योंकि मालवा अंचल के मोहरे सियासी शतरंज की चाल बदलने का माद्दा रखते हैं. यहां की सियासी कमान जिस पार्टी के हाथ होती है, मालवा-निमाड़ में उसी पार्टी की सियासी पकड़ मजबूत मानी जाती है. मालवांचल का सियासी केंद्र माने जाने वाले इंदौर संसदीय क्षेत्र को प्रदेश में बीजेपी का अभेद्य किला माना जाता है, बीजेपी यहां चार दशक से लगातार जीत दर्ज करती आ रही है, इस बार पार्टी ने यहां शंकर लालवानी को मैदान में उतारा है, जिनके सामने कांग्रेस ने पंकज संघवी को उतारा है.

इंदौर लोकसभा सीट

आजादी के बाद शुरुआती दौर में इस सीट पर कांग्रेस की मजबूत पकड़ मानी जाती थी, लेकिन बदलते वक्त के साथ धीरे-धीरे इस सीट पर कांग्रेस का वर्चस्व खत्म होता गया और बीजेपी मजबूत होती चली गई. जो अब बीजेपी का सबसे मजबूत गढ़ बन चुका है. अब तक हुए 16 आम चुनावों में आठ बार बीजेपी को जीत मिली है तो 6 बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी, जबकि एक-एक बार कम्युनिष्ट पार्टी और लोकदल के प्रत्याशी को भी जीत मिल चुकी है. 1989 में बीजेपी की सुमित्रा महाजन ने पूर्व सीएम प्रकाशचंद्र सेठी को हराकर बीजेपी की जीत का जो सिलसिला शुरु किया था, वो अब तक जारी है. ताई के नाम से मशहूर सुमित्रा महाजन इस सीट से लगातार आठ बार जीत चुकी हैं.

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इंदौर कांग्रेस

इस बार यहां कुल 23 लाख 17 हजार 335 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे, जिनमें 11 लाख 91 हजार 646 पुरुष मतदाता तो 11 लाख 25 हजार 491 महिला मतदाता शामिल हैं, जबकि थर्ड जेंडर की संख्या 180 है. इंदौर में इस बार कुल 2881 मतदान केंद्र बनाए गए हैं. जिनमें 562 संवेदनशील और 142 अतिसंवेदनशील हैं.

इंदौर संसदीय क्षेत्र में इंदौर-1, इंदौर-2, इंदौर-3, इंदौर-4, इंदौर-5, देपालपुर, राऊ और सांवेर विधानसभा सीटें आती हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में इन सीटों में चार पर बीजेपी और चार पर कांग्रेस को जीत मिली थी. 2014 के लोकसभा चुनाव में सुमित्रा महाजन ने प्रदेश की सभी 29 सीटों में सबसे बड़ी जीत हासिल की थी. उन्होंने कांग्रेस के सत्यनारायण पटेल को 4 लाख 66 हजार 901 वोटों के अंतर से हराया था. जातिगत समीकरण पर नजर डालें तो यहां मराठी, ब्राह्मण और सिंधी वोटर निर्णायक भूमिका निभाते हैं. जिससे दोनों ही पार्टियां इन वर्गों को साधने में जुटी हैं.

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इंदौर बीजेपी

भले ही इंदौर लोकसभा सीट बीजेपी का सबसे मजबूत गढ़ है, लेकिन विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने इंदौर में शानदार प्रदर्शन किया है. इसलिए इस बार इस सीट पर मुकाबला कांटे का होने की उम्मीद है. बीजेपी ने ताई की बजाय शंकर लालवानी पर भरोसा जताया है, बीजेपी का पूरा संगठन यहां जोर अजामाइश कर रहा है तो कांग्रेस के तीन-तीन मंत्री कार्यकर्ताओं की फौज के साथ मैदान में हैं. अब वोटरों के ऊपर है कि वो शंकर को महादेव बनाते हैं, या पंकज को लोकतंत्र के मंदिर में पहुंचाते हैं.

Intro:मध्य प्रदेश की चर्चित सीटों में इंदौर लोकसभा सीट 26 सुमार है इंदौर को मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी भी कहा जाता है इंदौर शहर जनसंख्या की दृष्टि से राज्य का सबसे बड़ा शहर है इसे राज्य के एजुकेशन हब के रूप में भी जाना जाता है इंदौर भारत का एकमात्र शहर है जहां भारतीय प्रबंध संस्थान वह भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दोनों स्थापित हैं यह एक औद्योगिक शहर है यहां लगभग 5000 से ज्यादा छोटे-बड़े उद्योग हैं इंदौर अपने नमकीन और खानपान के लिए भी जाना जाता है 1952 में अस्तित्व में आई इस लोकसभा सीट से बीते 30 सालों से निवर्तमान लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन सुनकर आती रही हैं वर्ष 1957 में यहां पहला चुनाव हुआ और दौरान कांग्रेस के खादीवाला को इस सीट से विजय मिली इसके बाद लगातार 1957 से 1984 तक इस सीट पर ज्यादातर कांग्रेसी विजयश्री प्राप्त हुई पर 1989 में जब बीजेपी ने इंदौर लोकसभा सीट से सुमित्रा महाजन को उतारा इसके बाद से यह सीट उन्हीं की हो गई और आज भी इंदौर लोकसभा सीट उन्हीं के नाम से जानी जाती है ताई के नाम से मशहूर सुमित्रा महाजन यहां 8 बार से लोकसभा के सांसद हैं सुमित्रा से पहले 1982 में इंदौर महानगर पालिका में पार्षद रह चुकी हैं इंदौर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत विधानसभा की 9 सीटें आती हैं इंदौर क्षेत्र क्रमांक 1 2 3 4 5 देपालपुर और सांवेर है जिन पर कांग्रेस का कब्जा है पांच पर भारतीय जनता पार्टी के विधायक काबिज हैं 2011 की जनगणना के मुताबिक इंदौर की जनसंख्या 3476667 है यहां की ज्यादातर आबादी शहरी क्षेत्र में रहती है इंदौर की 82 पॉइंट 21 फीस दी आबादी शहरी और 17 पॉइंट 89 फ़ीसदी आबादी ग्रामीण क्षेत्र में रहती है यहां की 16 पॉइंट 75 फ़ीसदी जनसंख्या अनुसूचित जाति के लोगों की है जबकि 4 पॉइंट 21वीं सदी जनसंख्या अनुसूचित जनजाति की है इंदौर संसदीय क्षेत्र में 2349776 मतदाता है इनमें महू के मतदाताओं को जोड़ लिया जाए तो इनकी संख्या 2605551 हो जाती है अंबेडकर नगर महू विधानसभा क्षेत्र में 256075 मतदाता हैं लेकिन महू का संसदीय क्षेत्र धार है इंदौर संसदीय क्षेत्र में 1260000 पुरुष मतदाता और 1141000 महिला मतदाता है इसके अलावा 180 अन्य ट्रांसजेंडर मतदाता है इंदौर में सेवा मतदाताओं की संख्या 18 से 91 और n.r.i. अप्रवासी भारतीय मतदाता है इनमें 18 से 19 आयु वर्ग के युवा मतदाताओं की संख्या इस बार 66638 है जबकि दिव्यांग मतदाताओं की संख्या 14422 इस बार मतदान करने के लिए जिले में 2881 मतदान केंद्र बनाए गए हैं जिनमें 562 मतदान केंद्र संवेदनशील 142 घोषित किए गए हैं राजनीतिक पृष्ठभूमि 1952 में यहां पहली बार कांग्रेश के नंदलाल जोशी सांसद चुने गए थे 1957 में कांग्रेस के कन्हैयालाल खादीवाला विजय हुए 1962 में इस सीट को कम्युनिस्ट आंदोलन के चलते हो मिश्रा जी ने जीता था इसके बाद 1967 में यह सीट फिर प्रकाश चंद्र सेठी जीतकर कांग्रेस के खाते में ले आए थे 1971 में यहां से राम सिंह भाई को कांग्रेस के टिकट पर ही चुनाव जीतने का मौका मिला था इसके बाद 1977 में यहां से भारतीय लोक दल के प्रत्याशी कल्याण जैन विजय हुए इसके बाद 1980 में जो चुनाव हुए और 84 में चुनाव हुए उसमें राजीव और इंदिरा लहर के कारण फिर यहां से प्रकाश चंद्र सेठी विजय हुए इसके बाद 1989 के आम चुनाव में यहां से भाजपा की उम्मीदवार सुमित्रा महाजन को चुनाव लड़ने का मौका मिला तब से लेकर अब तक 8 बार की सांसद चुनी जाकर यहां 30 साल से निवर्तमान सांसद रही है सुमित्रा ताई ने इन्हें हराया चुनाव 1989 में सुमित्रा महाजन ने कांग्रेस के प्रकाश चंद्र सेठी को 111614 वोटों से हराया फिर 1991 में हुए मतदान के दौरान उन्होंने कांग्रेस के ही ललित जैन को 80594 वोटों से हराया 1996 में कांग्रेस ने यहां महापौर मधुकर वर्मा को मौका दिया जो सुमित्रा ताई से एक लाख से अधिक वोटों से हारे 1998 में यहां ताई के समक्ष वर्तमान कांग्रेसी उम्मीदवार पंकज संघवी भी चुनाव लड़े उस दौरान पंकज संघवी 49852 वोटों से हार गए 1999 में ताई को हराने के लिए कांग्रेसमें यहां स्थानीय कद्दावर नेता रहे महेश जोशी को मैदान में उतारा वह भी ताई से 131000 से अधिक वोटों से हार गए 2004 के आम चुनाव में यहां से कांग्रेस के रामेश्वर पटेल को मौका दिया गया लेकिन देवी एक लाख 93 हजार से ज्यादा वोटों से हारे 2009 के फिर आम चुनाव में यहां से रामेश्वर पटेल के पुत्र सत्यनारायण पटेल ने ताई का सामना किया लेकिन वे मात्र 11480 वोटों से पिछड़ गए 2014 में सिर कांग्रेश नेहा ताई के सामने सत्यनारायण पटेल को ही उतारा लेकिन वे 466000 से ज्यादा मतों से हारे हालांकि इस बार भाजपा ने यहां उम्र के 75 पाठ के फार्मूले के कारण टाई के स्थान पर भाजपा नेता शंकर लालवानी को मैदान में उतारा है जिनके सामने कांग्रेश के पंकज संघवी मैदान में हैं


Body:जातिगत समीकरणों प्रत्याशियों के बीच मुकाबला भोपाल के बाद इंदौर जैसी बड़ी लोकसभा सीट पर मुकाबले के रोचक होने की वजह इस बार उम्मीदवारों का चयन एवं सेक्टर बना है यह कांग्रेस के पंकज संघवी का नाम तय होते ही भाजपा ने भी यहां कैलाश विजयवर्गी पर दांव लगाने की वजह सुमित्रा महाजन के विकल्प के तौर पर भाजपा के शंकर लालवानी को उम्मीदवार घोषित किया इसके बाद भाजपा कांग्रेस दोनों खेमों ने मान लिया कि मुकाबला अब एकतरफा नहीं होगा फिलहाल शंकर लालवानी के समर्थन में खुद सुमित्रा महाजन मैदान संभल रही है वहीं कांग्रेसी उम्मीदवार के पक्ष में राज्य के मंत्री जीतू पटवारी सज्जन वर्मा तुलसी सिलावट और बाला बच्चन मैदान संभाले हुए हैं फिलहाल यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा गुजरात के सीएम विजय रुपाणी महाराष्ट्र के नेता भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में प्रचार कर चुके हैं जबकि कांग्रेस से प्रियंका गांधी मुख्यमंत्री कमलनाथ के कई बड़े नेता पार्टी के पक्ष में जोर आजमाइश कर रहे हैं लगातार प्रचार के माहौल के बावजूद हालांकि इंदौर संसदीय क्षेत्र का मतदाता फिलहाल कौन है पंकज संघवी कांग्रेस प्रत्याशी पेशे से शिक्षाविद पंकज संघवी 1983 में पहली बार भाजपा से ही पार्षद का चुनाव जीते थे इसके बाद भी कांग्रेस में शामिल हो गए 1998 में पार्टी ने लोकसभा चुनाव का टिकट दिया जिसमें सुमित्रा महाजन से वे 49852 वोट से हारे थे इसके बाद पंकज संघवी दिसंबर 2009 में महापौर का चुनाव लड़े और भाजपा के कृष्ण मुरारी मोघे से करीब 4000 वोट से हार गए थे 2013 में उन्हें इंदौर इंदौर की विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 5 से विधानसभा चुनाव लड़ने का मौका दिया गया इस सीट से वे 12500 वोटों से विधानसभा चुनाव भी हार चुके हैं शंकर लालवानी भाजपा उम्मीदवार पेशे से इंजीनियर और इंदौर के भाजपा नेता शंकर लालवानी 1993 से विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 4 से सक्रिय हैं 1996 में हुए नगर निगम चुनाव में इन्हें जयरामपुर वार्ड से टिकट मिला था इस चुनाव में जीत दर्ज करते हुए इन्होंने अपने भाई और कांग्रेस प्रत्याशी प्रकाश लाल नवानी को हराकर पार्षद बने थे इंदौर में डॉक्टर उमा शशि शर्मा के महापौर कार्यकाल में शंकर लालवानी सभापति रहे और तीन बार पार्षद रहे लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया हालांकि कुछ समय बाद पार्टी ने उन्हें नगर भाजपा अध्यक्ष बना दिया नगर भाजपा अध्यक्ष रहते हुए ही उन्हें इंदौर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष के बतौर नियुक्ति प्रदान की गई तब से शंकर लालवानी इंदौर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष रहे हैं शिवराय शासनकाल के जाने के बाद अब उन्हें सुमित्रा महाजन की विरासत के बतौर शिवराज खेमे से ही टिकट मिला है अब भाजपा नेतृत्व को इस सीट से शंकर लालवानी पर पूरी उम्मीदे हैं


Conclusion:कांग्रेस और भाजपा के शॉट्स शंकर लालवानी पंकज संघवी के फोटो शहर को एस्टेब्लिश करने वाले शॉट
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