ग्वालियर। ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने के बाद अब अंचल की राजनीति पूरी तरह से बदल चुकी है. पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने के बाद अब यह सवाल खड़े होने लगे हैं कि, आखिर ग्वालियर चंबल संभाग में बीजेपी का बॉस कौन है ? क्योंकि जब तक सिंधिया कांग्रेस में रहें, तब तक ग्वालियर चंबल संभाग की बागडोर उनके हाथ में थी. उनके बगैर मर्जी के इस इलाके में कांग्रेस कोई काम नहीं करती थी, लेकिन तस्वीर अब बदल चुकी है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि, क्या बीजेपी में नरेंद्र सिंह तोमर के रहते सिंधिया को पार्टी में वो स्थान मिल पाएगा.
बीजेपी के पोस्टर से सिंधिया की तस्वीर गायब
मध्य प्रदेश में बीजेपी और कांग्रेस के पॉलिटिकल वॉर के बीच अब पोस्टर में सिंधिया की तस्वीरे भी गायब होने की खबर सामने आई है. अपने ही गढ़ में लगे बीजेपी के पोस्टर से सिंधिया गायब नजर आ रहे हैं. दरअसल केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के जन्मदिन के पोस्टर लगाए गए हैं. इस बीच कांग्रेस ने बॉस शब्द पर तंज कसते हुए कहा है कि, बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने नरेंद्र सिंह तोमर की पोस्टर लगाकर यह जाहिर कर दिया है कि ग्वालियर चंबल संभाग में बीजेपी के बॉस केवल केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ही रहेंगे. सिंधिया कितनी भी कोशिश कर लें, लेकिन केंद्रीय मंत्री तोमर ग्वालियर चंबल अंचल में बीजेपी के बॉस के तौर पर रहेंगे.
'हमारे यहां कोई बॉस नहीं'
इन पोस्टर में तोमर को बॉस कह कर संबोधित किया गया है. इससे साफ जाहिर हो रहा है कि, सिंधिया समर्थक और बीजेपी समर्थक आमने-सामने हैं. दोनों ही नेताओं के समर्थक अपने-अपने नेताओं को बॉस के तौर पर स्थापित करने में लगे हुए हैं. लेकिन बीजेपी सांसद विवेक नारायण शेजवलकर का कहना है कि, बीजेपी में कोई भी बॉस नहीं होता है. केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के जन्मदिन पर उनके चाहने वाले किस तरीके से उनको देखते हैं. यह उनका नजरिया है. तोमर के जन्मदिन पर किन लोगों ने बॉस शब्द के पोस्टर लगाए हैं. इस बात की हमें कोई जानकारी भी नहीं है.
2018 विधानसभा चुनाव में सिंधिया का दबदबा
इधर 2018 के विधानसभा चुनाव में ग्वालियर चंबल संभाग की 34 सीटों में से 27 सीटें जीतकर सिंधिया ने यह साबित कर दिया था कि कांग्रेस में ग्वालियर- चंबल अंचल के बॉस ज्योतिरादित्य सिंधिया ही है, कांग्रेस पार्टी में ग्वालियर चंबल अंचल में इकलौते ऐसे नेता थे जो पूरे अंचल की कमान उनके हाथों में थी. चुनाव से लेकर टिकट तक वही फैसला करते थे, लेकिन अब क्योंकि वो बीजेपी में शामिल हो गए हैं और माना जा रहा है कि, जिन 16 विधानसभा सीटों पर चुनाव होने वाले हैं. वहां उनके समर्थकों को ही टिकट दिया जाना है.
आखिर कौन होगा चंबल का बॉस
दरअसल मध्य प्रदेश के गलियारों में भाजपा के होर्डिंग्स और विज्ञापन लग रहे हैं. जिनमें लगातार 3 दिन से सिंधिया गायब नजर आ रहे हैं. लोगों के मन में अब ये सवाल आ रहा है कि, क्या वाकई बार-बार गलती हो रही है या फिर बीजेपी नेता सिंधिया को अपनाने को ही तैयार नहीं है. ऐसे में यदि सिंधिया को पार्टी में उचित स्थान नहीं मिलता है ,तो कहीं ना कहीं बीजेपी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है, लेकिन यदि सिंधिया समर्थकों को उपचुनाव में टिकट मिलता है,और उम्मीदवार जीतकर आते हैं, तो ऐसे में चंबल में सिंधिया का कद एक बार फिर नरेंद्र सिंह तोमर से बड़ा हो जाएगा.