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Kuno National Park: शिकारियों के टारगेट पर रहता है कूनो अभ्यारण, अफ्रीकन चीतों की सुरक्षा वन विभाग के लिए बड़ी चुनौती

देश के दिल कहे जाने वाले मध्य प्रदेश में 17 सितंबर को पीएम नरेंद्र मोदी आने वाले है और इस दौरान वह चंबल के श्योपुर जिले में स्थित कूनो अभ्यारण में चीतों के पिंजरो को खोलेंगे. 70 साल बाद ऐसा पहला मौका है जब मध्य प्रदेश में फिर से चीतों को बसाया जा रहा है और इसके लिए सबसे सुरक्षित जगह श्योपुर जिले में स्थित कूनो अभ्यारण माना गया है, लेकिन अब लोगों के जहन में सबसे बड़ा सवाल यह आने लगा है कि हमेशा शिकारियों के टारगेट पर रहने वाला कुनो अभ्यारण में अफ्रीकन चीतों की सुरक्षा कैसी होगी. क्योंकि यह अभ्यारण हमेशा शिकारियों के टारगेट पर रहता है, यही वजह है कि हर साल यहां पर शिकारियों के द्वारा जंगली जानवरों का शिकार किया जाता है.

Kuno National Park
श्योपुर कूनो अभ्यारण अफ्रीकन चीतों की सुरक्षा
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Published : Sep 14, 2022, 6:56 AM IST

ग्वालियर। मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले में कूनो अभ्यारण इस समय पूरे देश भर में चर्चाओं में बना हुआ है और इसका कारण है कि 17 सितंबर को पीएम नरेंद्र मोदी चीतों को बसाने आ रहे हैं. लेकिन अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि इन चीजों को शिकारियों से कैसे बचाए जाएगा, क्योंकि कूनो अभ्यारण में जंगली जानवर हमेशा शिकारियों के टारगेट पर रहते है और हर साल आसपास के शिकारी यहां कई जंगली जानवरों का शिकार कर चुके हैं. यहां पर सुरक्षा का अभाव होने के कारण शिकारी कूनो अभ्यारण और उसके आसपास शिकार करने के लिए कई बार पकड़े गए हैं, यही वजह है कि हर साल शिकारियों के द्वारा शिकार किया जाता है. लेकिन अब जिस तरीके से कूनो अभ्यारण में चीतों को बताया जा रहा है, इसको लेकर कड़े इंतजाम किए जा रहे हैं.

अभ्यारण के आसपास किए गए हैं जंगली जानवरों के शिकार: श्योपुर जिला आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है और यहां पर सबसे ज्यादा आदिवासी पाए जाते हैं, यही कारण है कि वह अपने पेट भरने के लिए जंगली जानवरों का शिकार करते हैं. इसके साथ ही यहां शिकार करने वाली शिकारी आसपास के है, यही कारण है कि वह लगातार मौका मिलते ही कूनो अभ्यारण और उसके आसपास जंगली जानवरों का शिकार करते पकड़े गए हैं.

- साल 2017 में वन विभाग की स्पेशल टास्क फोर्स टीम ने दूसरे कार्यों को पकड़ा था, शिकारियों से तेंदुए की खाल और शिकार के लिए हथियार जप्त किए थे. दोनों शिकारी कूनो अभ्यारण में वन्यजीवों का अपना शिकार बनाते थे, जब इन दोनों की तलाशी ली गई तो बक्से में तेंदुए की खाल इसके साथ ही बंदूक, जहर की सीसी, टाइगर ट्रैप, वन्य प्राणियों के बाल और शिकार के अन्य औजार जप्त किए गए.
- साल 2018 में सिरोही के जंगल में हिरण का शिकार कर भाग रही पांच शिकारियों को वन विभाग की टीम ने पकड़ा था, शिकारियों सिमरत चिंकारा और शिकार में उपयोग होने वाले हत्यार और अन्य सामान जप्त किए थे.
- वहीं साल 2021 में वन मंडल की टीम ने चीतल का शिकार ले जाते 3 लोगों को पकड़ा था.
- इसके साथ ही साल 2022 में एक ही दिन दो अलग-अलग स्थानों से तेंदुए के शव मिलने से हड़कंप मच गया था, बुढेरा के जंगल में मिला यह तेंदुआ का शव कूनो नेशनल पार्क का बताया गया. इन दोनों मृतक तेंदुए के शरीर पर चोट के निशान पाए गए थे.
- इतना ही नहीं इसके अलावा भी कई ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिसमें शिकारियों की द्वारा तेंदुए, हिरन के साथ-साथ अन्य जानवरों को शिकार बनाया गया है.

केंद्रीय वन मंत्री बोले- नामीबिया के बाद साउथ अफ्रीका से भी आएंगे चीते, 25 तक होगी संख्या

कूनो अभ्यारण में अफ्रीकन चीतों की सुरक्षा के इंतजाम: कूनो अभ्यारण में अफ्रीकन चीजों की सुरक्षा के लिए विशेष इंतजाम किए जा रहे हैं. बताया जा रहा है कि हाई सिक्योरिटी 24 घंटे तैनात रहेगी, जिससे शिकारी आसपास भी ना भटक सकें. इनकी सुरक्षा को लेकर न सिर्फ कूनो प्रशासन बल्कि भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून के विशेषज्ञ भी नजर रखेंगे. वहीं 8000 किलोमीटर दूर साउथ अफ्रीका की सरकार और वन्य जीव विशेषज्ञ पल पल इन पर नजर रखेंगे, इसके लिए हर किसी की गली में एक सेटेलाइट कलर आईडी लगी होगी. इसके साथ ही कूनो अभ्यारण में वाच टावर के जरिए निगरानी रखी जाएगी, चार वॉच टावरों पर हाई सिक्योरिटी के कैमरे लगे होंगे जो अफ्रीकन चीतों के साथ-साथ शिकारियों पर पूरी तरह नजर रखेंगे.

चीतों की सुरक्षा के लिए वनकर्मियों को मिलेंगे आधुनिक हथियार: श्योपुर कूनो वन मंडल के डीएफओ पीके वर्मा ने बताया है कि, " कूनो अभ्यारण में लाए जा रहे चीतों की पहरेदारी के लिए भूतपूर्व सैनिक और वनकर्मी मौजूद रहेंगे. बाड़ों की सुरक्षा करने वाले वनकर्मियों और भूतपूर्व सैनिकों को आधुनिक हथियार दिए जाएंगे, इसके लिए प्रबंधन ने सरकार को प्रस्ताव भेज दिया है." इसके साथ ही उन्होंने बताया कि, "भूतपूर्व सैनिकों को प्रशिक्षण जलाया जा रहा है, इसके साथ ही आस-पास के गांव में युवाओं को भी सुरक्षा की जिम्मेदारी देने की प्लानिंग चल रही है. वहीं कूनो अभ्यारण के आसपास मुखबिर तंत्र को मजबूत किया जा रहा है, इसके साथ ही पार्क में लगभग 20 पॉइंट बनाए गए हैं जहां से शिकारी सहित अन्य असामाजिक तत्व प्रवेश कर सकते हैं. ऐसे पॉइंट पर विशेष सुरक्षा बल के द्वारा निगरानी की जाएगी.

ग्वालियर। मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले में कूनो अभ्यारण इस समय पूरे देश भर में चर्चाओं में बना हुआ है और इसका कारण है कि 17 सितंबर को पीएम नरेंद्र मोदी चीतों को बसाने आ रहे हैं. लेकिन अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि इन चीजों को शिकारियों से कैसे बचाए जाएगा, क्योंकि कूनो अभ्यारण में जंगली जानवर हमेशा शिकारियों के टारगेट पर रहते है और हर साल आसपास के शिकारी यहां कई जंगली जानवरों का शिकार कर चुके हैं. यहां पर सुरक्षा का अभाव होने के कारण शिकारी कूनो अभ्यारण और उसके आसपास शिकार करने के लिए कई बार पकड़े गए हैं, यही वजह है कि हर साल शिकारियों के द्वारा शिकार किया जाता है. लेकिन अब जिस तरीके से कूनो अभ्यारण में चीतों को बताया जा रहा है, इसको लेकर कड़े इंतजाम किए जा रहे हैं.

अभ्यारण के आसपास किए गए हैं जंगली जानवरों के शिकार: श्योपुर जिला आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है और यहां पर सबसे ज्यादा आदिवासी पाए जाते हैं, यही कारण है कि वह अपने पेट भरने के लिए जंगली जानवरों का शिकार करते हैं. इसके साथ ही यहां शिकार करने वाली शिकारी आसपास के है, यही कारण है कि वह लगातार मौका मिलते ही कूनो अभ्यारण और उसके आसपास जंगली जानवरों का शिकार करते पकड़े गए हैं.

- साल 2017 में वन विभाग की स्पेशल टास्क फोर्स टीम ने दूसरे कार्यों को पकड़ा था, शिकारियों से तेंदुए की खाल और शिकार के लिए हथियार जप्त किए थे. दोनों शिकारी कूनो अभ्यारण में वन्यजीवों का अपना शिकार बनाते थे, जब इन दोनों की तलाशी ली गई तो बक्से में तेंदुए की खाल इसके साथ ही बंदूक, जहर की सीसी, टाइगर ट्रैप, वन्य प्राणियों के बाल और शिकार के अन्य औजार जप्त किए गए.
- साल 2018 में सिरोही के जंगल में हिरण का शिकार कर भाग रही पांच शिकारियों को वन विभाग की टीम ने पकड़ा था, शिकारियों सिमरत चिंकारा और शिकार में उपयोग होने वाले हत्यार और अन्य सामान जप्त किए थे.
- वहीं साल 2021 में वन मंडल की टीम ने चीतल का शिकार ले जाते 3 लोगों को पकड़ा था.
- इसके साथ ही साल 2022 में एक ही दिन दो अलग-अलग स्थानों से तेंदुए के शव मिलने से हड़कंप मच गया था, बुढेरा के जंगल में मिला यह तेंदुआ का शव कूनो नेशनल पार्क का बताया गया. इन दोनों मृतक तेंदुए के शरीर पर चोट के निशान पाए गए थे.
- इतना ही नहीं इसके अलावा भी कई ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिसमें शिकारियों की द्वारा तेंदुए, हिरन के साथ-साथ अन्य जानवरों को शिकार बनाया गया है.

केंद्रीय वन मंत्री बोले- नामीबिया के बाद साउथ अफ्रीका से भी आएंगे चीते, 25 तक होगी संख्या

कूनो अभ्यारण में अफ्रीकन चीतों की सुरक्षा के इंतजाम: कूनो अभ्यारण में अफ्रीकन चीजों की सुरक्षा के लिए विशेष इंतजाम किए जा रहे हैं. बताया जा रहा है कि हाई सिक्योरिटी 24 घंटे तैनात रहेगी, जिससे शिकारी आसपास भी ना भटक सकें. इनकी सुरक्षा को लेकर न सिर्फ कूनो प्रशासन बल्कि भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून के विशेषज्ञ भी नजर रखेंगे. वहीं 8000 किलोमीटर दूर साउथ अफ्रीका की सरकार और वन्य जीव विशेषज्ञ पल पल इन पर नजर रखेंगे, इसके लिए हर किसी की गली में एक सेटेलाइट कलर आईडी लगी होगी. इसके साथ ही कूनो अभ्यारण में वाच टावर के जरिए निगरानी रखी जाएगी, चार वॉच टावरों पर हाई सिक्योरिटी के कैमरे लगे होंगे जो अफ्रीकन चीतों के साथ-साथ शिकारियों पर पूरी तरह नजर रखेंगे.

चीतों की सुरक्षा के लिए वनकर्मियों को मिलेंगे आधुनिक हथियार: श्योपुर कूनो वन मंडल के डीएफओ पीके वर्मा ने बताया है कि, " कूनो अभ्यारण में लाए जा रहे चीतों की पहरेदारी के लिए भूतपूर्व सैनिक और वनकर्मी मौजूद रहेंगे. बाड़ों की सुरक्षा करने वाले वनकर्मियों और भूतपूर्व सैनिकों को आधुनिक हथियार दिए जाएंगे, इसके लिए प्रबंधन ने सरकार को प्रस्ताव भेज दिया है." इसके साथ ही उन्होंने बताया कि, "भूतपूर्व सैनिकों को प्रशिक्षण जलाया जा रहा है, इसके साथ ही आस-पास के गांव में युवाओं को भी सुरक्षा की जिम्मेदारी देने की प्लानिंग चल रही है. वहीं कूनो अभ्यारण के आसपास मुखबिर तंत्र को मजबूत किया जा रहा है, इसके साथ ही पार्क में लगभग 20 पॉइंट बनाए गए हैं जहां से शिकारी सहित अन्य असामाजिक तत्व प्रवेश कर सकते हैं. ऐसे पॉइंट पर विशेष सुरक्षा बल के द्वारा निगरानी की जाएगी.

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