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Shardiya Navratri 2022: विश्व विख्यात मां पीतांबरा पीठ की अनोखी कहानी, मंदिर में यज्ञ होते ही 1962 के युद्ध में चीन ने बॉर्डर से हटा लीं थी फौजे - नवरात्रि 2022

दतिया में मां पीतांबरा का मंदिर देश के शक्तिशाली शक्तिपीठों में से एक है. जहां लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ पूरे साल रहती है. यहां बड़े से बड़े मंत्री और फिल्म अभिनेता अपनी मन्नत लेके आते हैं और अनुष्ठान करवाते हैं. भक्तों को मां के दर्शन एक छोटी सी खिड़की से ही करने को मिलते हैं. Shardiya Navratri 2022, Datia Pitambara Peeth

Shardiya Navratri 2022
शारदीय नवरात्रि 2022
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Published : Sep 24, 2022, 6:10 PM IST

ग्वालियर। 26 सितंबर से नवरात्रि शुरू होने वाली है. ऐसे में पूरे देश में मां दुर्गा के अनेकों रूप देखने को मिलते हैं. ईटीवी भारत मां दुर्गा के अनोखे रूप के बारे में आपको बताएगा जो मध्यप्रदेश के दतिया में मां पीतांबरा के नाम से पूरे विश्वभर में विख्यात है. यहां राजाशाही से लेकर नौकरशाही देवी की आराधना करने के लिए उनके दर तक पहुंचते हैं. कहा जाता है कि जब हमारे देश पर संकट आता है तब तक मां ही उस संकट को अपनी शक्ति से दूर करती है. यही कारण है कि जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर देश-विदेश की तमाम बड़ी हस्तियां मां के दरबार में पहुंचकर उनका आशीर्वाद लेती हैं. कहा जाता है कि जिस व्यक्ति पर पीतांबरा माई की कृपा होती है, उस व्यक्ति का शत्रु भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता है. (Shardiya Navratri 2022)

Datia Maa Pitambara Temple
दतिया मां पीतांबरा मंदिर

कई साल पुराना यज्ञशाला पीठ आज भी मौजूद: मध्यप्रदेश के दतिया जिले में स्थित मां पीतांबरा का मंदिर देश के शक्तिशाली शक्तिपीठों में से एक है. पीतांबरा शक्तिपीठ में मां बगलामुखी का रूप रक्षात्मक है, और इन्हें राजसत्ता की देवी माना जाता है. इसी रूप में भक्त उनकी आराधना करते हैं. राजसत्ता से जुड़े नेता यहां आकर गुप्त रूप से पूजा करते हैं. पीतांबरा पीठ की शक्ति का अंदाजा ऐसे लगाया जा सकता है कि 1962 में चीन ने जब भारत पर हमला किया तो दूसरे देशों ने सहयोग देने से मना कर दिया. उस समय भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को किसी ने दतिया के पीतांबरा पीठ में यज्ञ करने की सलाह दी थी. उस समय पंडित नेहरू दतिया आए और देश की रक्षा के लिए पीतांबरा पीठ में 51 कुंडीय महायज्ञ कराया गया. इसमें कई अफसरों और फौजियों ने आहुति डाली थी. 11वें दिन अंतिम आहुति डालते ही चीन ने बार्डर से अपनी सेनाएं वापस बुला लीं थी. उस समय की बनाई गई यज्ञशाला आज भी यहां मौजूद है. (Datia Pitambara Peeth)

Datia Pitambara Peeth
दतिया पीतांबरा पीठ

शक्तिपीठ में विशेष अनुष्ठान करने से मिलती है सफलता: कहा जाता है जब भी देश के ऊपर संकट आया है, तब गोपनीय रूप में पीतांबरा पीठ में साधना और यज्ञ का आयोजन होता है. केवल भारत-चीन युद्ध ही नहीं, बल्कि 1965 और 1971 में भारत-पाक युद्ध के दौरान भी दतिया के शक्तिपीठ में विशेष अनुष्ठान किया गया था. कारगिल युद्ध के समय भी अटल बिहारी वाजपेयी ने पीठ में एक यज्ञ का आयोजन किया था और आहुति के अंतिम दिन पाकिस्तान को पीछे हटना पड़ा था. मां पीतांबरा शत्रु नाश की अधिष्ठात्री देवी है और राजसत्ता प्राप्ति में मां की पूजा का विशेष महत्व होता है.

Datia Maa Pitambara Temple
दतिया पीतांबरा पीठ

Shardiya Navratri 2022 : 26 सितंबर से नवरात्र प्रारंभ, लाल रंग से माता रानी क्यों होती हैं प्रसन्न, देखें Video

कई दिग्गज नेता और फिल्म स्टार यहां पूजा करने आते हैं: पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी या अटल बिहारी वाजपेयी हो या फिर राजमाता विजयाराजे सिंधिया सभी ने हमेशा पीतांबरा पीठ में पूजा किया है. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह, राजनाथ सिंह, रक्षा मंत्री अमित शाह सहित देश के अलग-अलग राज्यों के मुख्यमंत्री मां के दरबार में आकर पूजा अर्चना करते हैं. यह सिलसिला निरंतर चालू रहता है. राजस्थान की पूर्व सीएम वंसुधरा राजे सिंधिया तो कई बार पीतांबरा पीठ में अनुष्ठान करने आती रहती हैं. इसी प्रकार एमपी के सीएम शिवराज सिंह के अलावा उमा भारती, दिग्विजय सिंह, साथ ही कई फिल्म अभिनेता यहां अनुष्ठान करने आते रहते हैं.

मां के दर्शन से भक्तों की मनोकामना होती है पूरी: इस सिद्धपीठ की स्थापना स्वामीजी महाराज ने 1935 में की थी. ये चमत्कारी धाम स्वामीजी महाराज के जप और तप के कारण ही सिद्धपीठ के रूप में जाना गया है. भक्तों को मां के दर्शन एक छोटी सी खिड़की से ही करने को मिलते हैं. मंदिर प्रांगण में एक शिवलिंग भी स्थित है वनखंडेश्वर महादेव इस शिवलिंग को महाभारत काल का बताया जाता है. यहां किसी भी प्रकार की फोटोग्राफी करना मना है. कहा जाता है कि मां पीतांबरा देवी एक दिन में तीन बार अपना रुप बदलती है. मां के दशर्न से सभी भक्तों की मनोकामना पूरी होती है. (Datia Maa Pitambara Temple) (Datia Pitambara Peeth Devotees Crowd Gathered)

ग्वालियर। 26 सितंबर से नवरात्रि शुरू होने वाली है. ऐसे में पूरे देश में मां दुर्गा के अनेकों रूप देखने को मिलते हैं. ईटीवी भारत मां दुर्गा के अनोखे रूप के बारे में आपको बताएगा जो मध्यप्रदेश के दतिया में मां पीतांबरा के नाम से पूरे विश्वभर में विख्यात है. यहां राजाशाही से लेकर नौकरशाही देवी की आराधना करने के लिए उनके दर तक पहुंचते हैं. कहा जाता है कि जब हमारे देश पर संकट आता है तब तक मां ही उस संकट को अपनी शक्ति से दूर करती है. यही कारण है कि जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर देश-विदेश की तमाम बड़ी हस्तियां मां के दरबार में पहुंचकर उनका आशीर्वाद लेती हैं. कहा जाता है कि जिस व्यक्ति पर पीतांबरा माई की कृपा होती है, उस व्यक्ति का शत्रु भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता है. (Shardiya Navratri 2022)

Datia Maa Pitambara Temple
दतिया मां पीतांबरा मंदिर

कई साल पुराना यज्ञशाला पीठ आज भी मौजूद: मध्यप्रदेश के दतिया जिले में स्थित मां पीतांबरा का मंदिर देश के शक्तिशाली शक्तिपीठों में से एक है. पीतांबरा शक्तिपीठ में मां बगलामुखी का रूप रक्षात्मक है, और इन्हें राजसत्ता की देवी माना जाता है. इसी रूप में भक्त उनकी आराधना करते हैं. राजसत्ता से जुड़े नेता यहां आकर गुप्त रूप से पूजा करते हैं. पीतांबरा पीठ की शक्ति का अंदाजा ऐसे लगाया जा सकता है कि 1962 में चीन ने जब भारत पर हमला किया तो दूसरे देशों ने सहयोग देने से मना कर दिया. उस समय भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को किसी ने दतिया के पीतांबरा पीठ में यज्ञ करने की सलाह दी थी. उस समय पंडित नेहरू दतिया आए और देश की रक्षा के लिए पीतांबरा पीठ में 51 कुंडीय महायज्ञ कराया गया. इसमें कई अफसरों और फौजियों ने आहुति डाली थी. 11वें दिन अंतिम आहुति डालते ही चीन ने बार्डर से अपनी सेनाएं वापस बुला लीं थी. उस समय की बनाई गई यज्ञशाला आज भी यहां मौजूद है. (Datia Pitambara Peeth)

Datia Pitambara Peeth
दतिया पीतांबरा पीठ

शक्तिपीठ में विशेष अनुष्ठान करने से मिलती है सफलता: कहा जाता है जब भी देश के ऊपर संकट आया है, तब गोपनीय रूप में पीतांबरा पीठ में साधना और यज्ञ का आयोजन होता है. केवल भारत-चीन युद्ध ही नहीं, बल्कि 1965 और 1971 में भारत-पाक युद्ध के दौरान भी दतिया के शक्तिपीठ में विशेष अनुष्ठान किया गया था. कारगिल युद्ध के समय भी अटल बिहारी वाजपेयी ने पीठ में एक यज्ञ का आयोजन किया था और आहुति के अंतिम दिन पाकिस्तान को पीछे हटना पड़ा था. मां पीतांबरा शत्रु नाश की अधिष्ठात्री देवी है और राजसत्ता प्राप्ति में मां की पूजा का विशेष महत्व होता है.

Datia Maa Pitambara Temple
दतिया पीतांबरा पीठ

Shardiya Navratri 2022 : 26 सितंबर से नवरात्र प्रारंभ, लाल रंग से माता रानी क्यों होती हैं प्रसन्न, देखें Video

कई दिग्गज नेता और फिल्म स्टार यहां पूजा करने आते हैं: पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी या अटल बिहारी वाजपेयी हो या फिर राजमाता विजयाराजे सिंधिया सभी ने हमेशा पीतांबरा पीठ में पूजा किया है. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह, राजनाथ सिंह, रक्षा मंत्री अमित शाह सहित देश के अलग-अलग राज्यों के मुख्यमंत्री मां के दरबार में आकर पूजा अर्चना करते हैं. यह सिलसिला निरंतर चालू रहता है. राजस्थान की पूर्व सीएम वंसुधरा राजे सिंधिया तो कई बार पीतांबरा पीठ में अनुष्ठान करने आती रहती हैं. इसी प्रकार एमपी के सीएम शिवराज सिंह के अलावा उमा भारती, दिग्विजय सिंह, साथ ही कई फिल्म अभिनेता यहां अनुष्ठान करने आते रहते हैं.

मां के दर्शन से भक्तों की मनोकामना होती है पूरी: इस सिद्धपीठ की स्थापना स्वामीजी महाराज ने 1935 में की थी. ये चमत्कारी धाम स्वामीजी महाराज के जप और तप के कारण ही सिद्धपीठ के रूप में जाना गया है. भक्तों को मां के दर्शन एक छोटी सी खिड़की से ही करने को मिलते हैं. मंदिर प्रांगण में एक शिवलिंग भी स्थित है वनखंडेश्वर महादेव इस शिवलिंग को महाभारत काल का बताया जाता है. यहां किसी भी प्रकार की फोटोग्राफी करना मना है. कहा जाता है कि मां पीतांबरा देवी एक दिन में तीन बार अपना रुप बदलती है. मां के दशर्न से सभी भक्तों की मनोकामना पूरी होती है. (Datia Maa Pitambara Temple) (Datia Pitambara Peeth Devotees Crowd Gathered)

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