ETV Bharat / city

नहीं थम रहा सम्राट मिहिर भोज प्रतिमा विवाद, अब ग्वालियर जिला कोर्ट में पेश हुआ इस्तगासा, जिम्मेदारों पर एक्शन की मांग - ग्वालियर कोर्ट न्यूज

मिहिर भोज विवाद (mihir bhoj vivad)में नगर निगम के प्रस्ताव के विपरीत पट्टिका में विवादित शब्द का प्रयोग करने से संबंधित इस्तगासा कोर्ट में दायर हुआ है. इसमें जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की गई है. कोर्ट ने पुलिस से स्टेटस रिपोर्ट तलब की है.

gwalior court
नहीं थम रहा सम्राट मिहिर भोज प्रतिमा विवाद
author img

By

Published : Oct 8, 2021, 7:28 PM IST

Updated : Oct 8, 2021, 8:51 PM IST

ग्वालियर। सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा और उनकी जाति (mihir bhoj statue vivad) को लेकर उपजा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. गुर्जर और क्षत्रिय समाज के बीच राजा मिहिर भोज को अपने से जोड़ने को लेकर कई बार टकराव की स्थिति पैदा हो चुकी है. ताजा मामला जिला न्यायालय में पेश एक इस्तगासे को लेकर है.

मिहिर भोज प्रतिमा को लेकर कोर्ट में इस्तगासा

मिहिर भोज प्रतिमा को लेकर जिला न्यायालय में एक इस्तगासा पेश किया गया है, इसमें कहा गया है कि दिसंबर 2015 में जब नगर निगम ने सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा की स्थापना का प्रस्ताव पारित किया था, तब विवादित शब्द का उसमें उल्लेख नहीं था. लेकिन बाद में नगर निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों ने इस शब्द को राजा मिहिर भोज की पट्टिका के साथ जोड़ दिया.इसी वजह से ग्वालियर ही नहीं देश प्रदेश के अन्य इलाकों में टकराव की स्थिति बनी. इसलिए नगर निगम के ठहराव के विपरीत काम करने वाले जिम्मेदार लोगों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए. (Gwalior district court )जिला कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए पुलिस से स्टेटस रिपोर्ट तलब की है. अब इस मामले पर सुनवाई एक नवंबर को होगी.

इस तरह शुरू हुआ जाति पर विवाद

सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा के नीचे लगे शिलालेख पर लिखे गुर्जर शब्द पर ही ये विवाद शुरू हुआ, गुर्जर समाज का मानना है कि सम्राट मिहिर भोज गुर्जर शासक थे, जबकि राजपूत समाज का कहना है कि वो प्रतिहार (mihir bhoj statue vivad) वंश के शासक थे. सम्राट मिहिर भोज के नाम से पहले गुर्जर शब्द लगाने को लेकर ठाकुर समाज के लोगों ने जगह-जगह महापंचायत की थी, जबकि गुरुवार को ही राजपूत करणी सेना ने सम्राट मिहिर भोज की जाति को लेकर एतेहासिक तथ्यों को सामने लाने के लिए गौतमबुद्ध नगर के डीएम सुहास एलवाई से मिलकर इतिहासकारों की कमेटी गाठित करने की मांग की थी.

अंधविश्वास में महिला के साथ बर्बरता: निर्वस्त्र कर मारपीट की, वीडियो भी बनाया, पुलिस ने 3 आरोपियों को किया गिरफ्तार

'कन्नौज' थी सम्राट मिहिर भोज की राजधानी

सम्राट मिहिर भोज (836-885 ई) या प्रथम भोज, गुर्जर-प्रतिहार राजवंश के राजा थे, जिन्होंने भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी हिस्से में लगभग 49 वर्षों तक शासन किया, उस वक्त उनकी राजधानी कन्नौज (वर्तमान में उत्तर प्रदेश) थी. इनके राज्य (mihir bhoj statue vivad)का विस्तार नर्मदा के उत्तर से लेकर हिमालय की तराई तक था, जबकि पूर्व में वर्तमान पश्चिम बंगाल की सीमा तक माना जाता है. इनके पूर्ववर्ती राजा इनके पिता रामभद्र थे, इनके काल के सिक्कों पर आदिवाराह की उपाधि मिलती है, जिससे यह अनुमान लगाया जाता है कि ये विष्णु के उपासक थे, इनके बाद इनके पुत्र प्रथम महेंद्रपाल राजा बने. ग्वालियर किले के समीप तेली का मंदिर में स्थित मूर्तियां मिहिर भोज द्वारा बनवाया गया था, ऐसा माना जाता है

ग्वालियर। सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा और उनकी जाति (mihir bhoj statue vivad) को लेकर उपजा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. गुर्जर और क्षत्रिय समाज के बीच राजा मिहिर भोज को अपने से जोड़ने को लेकर कई बार टकराव की स्थिति पैदा हो चुकी है. ताजा मामला जिला न्यायालय में पेश एक इस्तगासे को लेकर है.

मिहिर भोज प्रतिमा को लेकर कोर्ट में इस्तगासा

मिहिर भोज प्रतिमा को लेकर जिला न्यायालय में एक इस्तगासा पेश किया गया है, इसमें कहा गया है कि दिसंबर 2015 में जब नगर निगम ने सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा की स्थापना का प्रस्ताव पारित किया था, तब विवादित शब्द का उसमें उल्लेख नहीं था. लेकिन बाद में नगर निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों ने इस शब्द को राजा मिहिर भोज की पट्टिका के साथ जोड़ दिया.इसी वजह से ग्वालियर ही नहीं देश प्रदेश के अन्य इलाकों में टकराव की स्थिति बनी. इसलिए नगर निगम के ठहराव के विपरीत काम करने वाले जिम्मेदार लोगों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए. (Gwalior district court )जिला कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए पुलिस से स्टेटस रिपोर्ट तलब की है. अब इस मामले पर सुनवाई एक नवंबर को होगी.

इस तरह शुरू हुआ जाति पर विवाद

सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा के नीचे लगे शिलालेख पर लिखे गुर्जर शब्द पर ही ये विवाद शुरू हुआ, गुर्जर समाज का मानना है कि सम्राट मिहिर भोज गुर्जर शासक थे, जबकि राजपूत समाज का कहना है कि वो प्रतिहार (mihir bhoj statue vivad) वंश के शासक थे. सम्राट मिहिर भोज के नाम से पहले गुर्जर शब्द लगाने को लेकर ठाकुर समाज के लोगों ने जगह-जगह महापंचायत की थी, जबकि गुरुवार को ही राजपूत करणी सेना ने सम्राट मिहिर भोज की जाति को लेकर एतेहासिक तथ्यों को सामने लाने के लिए गौतमबुद्ध नगर के डीएम सुहास एलवाई से मिलकर इतिहासकारों की कमेटी गाठित करने की मांग की थी.

अंधविश्वास में महिला के साथ बर्बरता: निर्वस्त्र कर मारपीट की, वीडियो भी बनाया, पुलिस ने 3 आरोपियों को किया गिरफ्तार

'कन्नौज' थी सम्राट मिहिर भोज की राजधानी

सम्राट मिहिर भोज (836-885 ई) या प्रथम भोज, गुर्जर-प्रतिहार राजवंश के राजा थे, जिन्होंने भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी हिस्से में लगभग 49 वर्षों तक शासन किया, उस वक्त उनकी राजधानी कन्नौज (वर्तमान में उत्तर प्रदेश) थी. इनके राज्य (mihir bhoj statue vivad)का विस्तार नर्मदा के उत्तर से लेकर हिमालय की तराई तक था, जबकि पूर्व में वर्तमान पश्चिम बंगाल की सीमा तक माना जाता है. इनके पूर्ववर्ती राजा इनके पिता रामभद्र थे, इनके काल के सिक्कों पर आदिवाराह की उपाधि मिलती है, जिससे यह अनुमान लगाया जाता है कि ये विष्णु के उपासक थे, इनके बाद इनके पुत्र प्रथम महेंद्रपाल राजा बने. ग्वालियर किले के समीप तेली का मंदिर में स्थित मूर्तियां मिहिर भोज द्वारा बनवाया गया था, ऐसा माना जाता है

Last Updated : Oct 8, 2021, 8:51 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.