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प्रोफेसर एपीएस चौहान का निधन, देश के चुनिंदा समाज शास्त्रियों में थे शामिल - Jiwaji University

जीवाजी विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर एपीएस चौहान का गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया है. प्रोफेसर एपीएस चौहान सिम्स हॉस्पिटल में पिछले 1 सप्ताह से भर्ती थे.

Professor APS Chauhan
प्रोफेसर एपीएस चौहान
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Published : Jul 1, 2020, 4:43 PM IST

ग्वालियर। जीवाजी विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर एपीएस चौहान का गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया है. प्रोफेसर एपीएस चौहान सिम्स हॉस्पिटल में पिछले 1 सप्ताह से भर्ती थे. हालत बिगड़ने पर उन्हें मंगलवार को ही गुड़गांव के मेदांता में शिफ्ट किया गया था. जहां बुधवार को अचानक हृदय गति रुकने से उनका निधन हो गया. प्रोफेसर एपीएस चौहान के निधन के बाद जीवाजी विश्वविद्यालय में शौक की लहर है.

प्रोफेसर एपीएस चौहान का निधन
प्रोफेसर एपीएस चौहान को किडनी और मधुमेह जैसी बीमारियां थी, पिछले 2 दिनों में ही उनका चार बार खून बदला गया था. उनके निधन पर विश्वविद्यालय परिवार ने गहरा शोक जताया है. प्रोफ़ेसर चौहान की गिनती देश के उन चुनिंदा लोगों में होती है, जिनका समाज के हर विषय पर समान रूप से गहरी पकड़ थी. वे शिवपुरी से ग्रेजुएशन के बाद माधव कॉलेज में पढ़े थे, जहां उन्होंने पॉलिटेक्निक साइंस में एमए किया था. बाद में उन्होंने रिसर्च संबंधित कार्य के लिए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में पढ़ाई की थी.कुछ ऐसा रहा प्रोफेसर एपीएस चौहान का सफर1981 में वे पहली बार बीनागंज कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर बने, इसके बाद एमएलबी कॉलेज जीवाजी से पीएचडी करने के बाद वे जीवाजी विश्वविद्यालय में 1994 में एसोसिएट प्रोफेसर बनें. प्रोफेसर चौहान की महात्मा गांधी और संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव अंबेडकर पर गहरी पकड़ थी. वे समाजवादी विचारधारा के थे. मार्च में एक महीने के लिए उन्होंने जीवाजी विश्वविद्यालय में कुलसचिव का पदभार ग्रहण किया था. चौहान ने 60 से ज्यादा छात्र छात्राओं को शोध कार्य कराया है. इनमें अधिकांश छात्र अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति और पिछड़ावर्ग के हैं.

ग्वालियर। जीवाजी विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर एपीएस चौहान का गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया है. प्रोफेसर एपीएस चौहान सिम्स हॉस्पिटल में पिछले 1 सप्ताह से भर्ती थे. हालत बिगड़ने पर उन्हें मंगलवार को ही गुड़गांव के मेदांता में शिफ्ट किया गया था. जहां बुधवार को अचानक हृदय गति रुकने से उनका निधन हो गया. प्रोफेसर एपीएस चौहान के निधन के बाद जीवाजी विश्वविद्यालय में शौक की लहर है.

प्रोफेसर एपीएस चौहान का निधन
प्रोफेसर एपीएस चौहान को किडनी और मधुमेह जैसी बीमारियां थी, पिछले 2 दिनों में ही उनका चार बार खून बदला गया था. उनके निधन पर विश्वविद्यालय परिवार ने गहरा शोक जताया है. प्रोफ़ेसर चौहान की गिनती देश के उन चुनिंदा लोगों में होती है, जिनका समाज के हर विषय पर समान रूप से गहरी पकड़ थी. वे शिवपुरी से ग्रेजुएशन के बाद माधव कॉलेज में पढ़े थे, जहां उन्होंने पॉलिटेक्निक साइंस में एमए किया था. बाद में उन्होंने रिसर्च संबंधित कार्य के लिए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में पढ़ाई की थी.कुछ ऐसा रहा प्रोफेसर एपीएस चौहान का सफर1981 में वे पहली बार बीनागंज कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर बने, इसके बाद एमएलबी कॉलेज जीवाजी से पीएचडी करने के बाद वे जीवाजी विश्वविद्यालय में 1994 में एसोसिएट प्रोफेसर बनें. प्रोफेसर चौहान की महात्मा गांधी और संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव अंबेडकर पर गहरी पकड़ थी. वे समाजवादी विचारधारा के थे. मार्च में एक महीने के लिए उन्होंने जीवाजी विश्वविद्यालय में कुलसचिव का पदभार ग्रहण किया था. चौहान ने 60 से ज्यादा छात्र छात्राओं को शोध कार्य कराया है. इनमें अधिकांश छात्र अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति और पिछड़ावर्ग के हैं.
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