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फर्जी विकलांग सर्टिफिकेट से नौकरी हासिल करने वालों के खिलाफ हाईकोर्ट में PIL, 4 सप्ताह में मांगा जवाब

ग्वालियर चंबल संभाग सहित प्रदेश के अलग-अलग जिलों में फर्जी विकलांगता प्रमाण पत्र हासिल कर नौकरी पाने वालो के खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर, लोकायुक्त पुलिस, संगठन गृह विभाग, परिवार कल्याण विभाग और राज्य शासन सहित 14 लोगों को पक्षकार बनाया गया, हाईकोर्ट ने 4 सप्ताह में मांगा जवाब

ग्वालियर हाईकोर्ट
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Published : Apr 26, 2019, 11:10 PM IST

ग्वालियर। चंबल संभाग सहित प्रदेश के अलग-अलग जिलों में फर्जी विकलांगता प्रमाण पत्र हासिल कर नौकरी पाने का मामला सामने आया है. ऐसे लोगों के खिलाफ ग्वालियर की एक छात्रा ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है. उसने कई नौकरी पेशा लोगों का स्टिंग कर हाईकोर्ट में प्रमाण भी पेश किए हैं. इसमें लोकायुक्त पुलिस, संगठन गृह विभाग, परिवार कल्याण विभाग और राज्य शासन सहित 14 लोगों को पक्षकार बनाया गया है. जिनके दस्तावेज कोर्ट में जनहित याचिका के जरिए पेश किए गए हैं.

ग्वालियर की रहने वाली छात्रा हिमाचली मिश्रा ने अपने अधिवक्ता के जरिए हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. जिसमें कहा गया है कि जो लोग वास्तविक रूप से विकलांग है उनके प्रमाण पत्र नहीं बनाए जा रहे हैं बल्कि जो लोग स्वस्थ्य हैं उनके विकलांग प्रमाण पत्र एक रैकेट के जरिए लंबे अरसे से बनाए जा रहे हैं. ऐसे लोग सरकारी नौकरियां भी हासिल कर रहे हैं. हिमाचली मिश्रा ने 14 लोगों के प्रमाण और दस्तावेज भी कोर्ट में पेश किए हैं इनमें से ज्यादातर पटवारी हैं और प्रदेश के अलग-अलग जिलों में पदस्थ हैं.

ग्वालियर हाईकोर्ट

लोकायुक्त पुलिस संगठन ने हाईकोर्ट में जवाब देकर कहा है कि किसी सरकारी अधिकारी अथवा कर्मचारी की शिकायत नहीं की गई है इसलिए वह किसी निजी व्यक्ति के खिलाफ जांच करने के लिए उपयुक्त नहीं है. वहीं 14 में से 11 लोगों ने अपने जवाब हाईकोर्ट में पेश कर दिए हैं. इनमें राजू शर्मा, शिशुपाल सिंह जादौन, भारत सिंह राजपूत, अमित श्रीवास्तव, विजय श्रीवास्तव, शुभम गौर आदि शामिल है. वहीं एक पक्षकार को नोटिस की तामिली नहीं हो सकी है जिसे दोबारा नोटिस भिजवाने के निर्देश दिए हैं. सरकार ने इस मामले में 4 सप्ताह में जवाब देने की बात कही है.

ग्वालियर। चंबल संभाग सहित प्रदेश के अलग-अलग जिलों में फर्जी विकलांगता प्रमाण पत्र हासिल कर नौकरी पाने का मामला सामने आया है. ऐसे लोगों के खिलाफ ग्वालियर की एक छात्रा ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है. उसने कई नौकरी पेशा लोगों का स्टिंग कर हाईकोर्ट में प्रमाण भी पेश किए हैं. इसमें लोकायुक्त पुलिस, संगठन गृह विभाग, परिवार कल्याण विभाग और राज्य शासन सहित 14 लोगों को पक्षकार बनाया गया है. जिनके दस्तावेज कोर्ट में जनहित याचिका के जरिए पेश किए गए हैं.

ग्वालियर की रहने वाली छात्रा हिमाचली मिश्रा ने अपने अधिवक्ता के जरिए हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. जिसमें कहा गया है कि जो लोग वास्तविक रूप से विकलांग है उनके प्रमाण पत्र नहीं बनाए जा रहे हैं बल्कि जो लोग स्वस्थ्य हैं उनके विकलांग प्रमाण पत्र एक रैकेट के जरिए लंबे अरसे से बनाए जा रहे हैं. ऐसे लोग सरकारी नौकरियां भी हासिल कर रहे हैं. हिमाचली मिश्रा ने 14 लोगों के प्रमाण और दस्तावेज भी कोर्ट में पेश किए हैं इनमें से ज्यादातर पटवारी हैं और प्रदेश के अलग-अलग जिलों में पदस्थ हैं.

ग्वालियर हाईकोर्ट

लोकायुक्त पुलिस संगठन ने हाईकोर्ट में जवाब देकर कहा है कि किसी सरकारी अधिकारी अथवा कर्मचारी की शिकायत नहीं की गई है इसलिए वह किसी निजी व्यक्ति के खिलाफ जांच करने के लिए उपयुक्त नहीं है. वहीं 14 में से 11 लोगों ने अपने जवाब हाईकोर्ट में पेश कर दिए हैं. इनमें राजू शर्मा, शिशुपाल सिंह जादौन, भारत सिंह राजपूत, अमित श्रीवास्तव, विजय श्रीवास्तव, शुभम गौर आदि शामिल है. वहीं एक पक्षकार को नोटिस की तामिली नहीं हो सकी है जिसे दोबारा नोटिस भिजवाने के निर्देश दिए हैं. सरकार ने इस मामले में 4 सप्ताह में जवाब देने की बात कही है.

Intro:ग्वालियर
ग्वालियर चंबल संभाग सहित प्रदेश के अलग-अलग जिलों में फर्जी विकलांगता प्रमाण पत्र हासिल कर नौकरी पाने वाले लोगों के खिलाफ ग्वालियर की एक छात्रा ने जनहित याचिका हाईकोर्ट में दायर की है। जिसमें उसने कई नौकरी पेशा लोगों का स्टिंग कर हाई कोर्ट में प्रमाण पेश किए हैं। पहले लोकायुक्त पुलिस संगठन गृह विभाग परिवार कल्याण विभाग और राज्य शासन को पक्षकार बनाया गया था अब 14 उन लोगों को भी पक्षकार बनाया गया है जिनके दस्तावेज कोर्ट में जनहित याचिका के जरिए पेश किए गए हैं।


Body:ग्वालियर की रहने वाली छात्रा हिमाचली मिश्रा ने अपने अधिवक्ता के जरिए हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है। जिसमें कहा गया है कि जो लोग वास्तविक रूप से विकलांग है उनके प्रमाण पत्र नहीं बनाए जा रहे हैं बल्कि जो लोग स्वस्थ्य हैं उनके अस्थि बाधित दृष्टिबाधित और श्रवण बाधित जैसे प्रमाण पत्र एक रैकेट के जरिए लंबे अरसे से बनाए जा रहे हैं और ऐसे लोग सरकारी नौकरियां भी हासिल कर रहे हैं। हिमाचली मिश्रा ने 14 लोगों के प्रमाण और दस्तावेज भी कोर्ट में पेश किए हैं इनमें से ज्यादातर पटवारी हैं और प्रदेश के अलग-अलग जिलों में पदस्थ हैं।


Conclusion:लोकायुक्त पुलिस संगठन ने हाईकोर्ट में जवाब देकर कहा है कि शिकायत में किसी सरकारी अधिकारी अथवा कर्मचारी की शिकायत नहीं की गई है इसलिए वह किसी निजी व्यक्ति के खिलाफ जांच करने के लिए उपयुक्त नहीं है। वहीं 14 में से 11 लोगों ने अपने जवाब हाई कोर्ट में पेश कर दिए हैं। इनमें राजू शर्मा शिशुपाल सिंह जादौन भारत सिंह राजपूत अमित श्रीवास्तव विजय श्रीवास्तव शुभम गौर आदि शामिल है । एक पक्षकार को नोटिस की तामिली नहीं हो सकी है हाई कोर्ट ने उसके निजी पते पर दोबारा नोटिस भिजवाने के निर्देश दिए हैं ।सरकार ने इस मामले में 4 सप्ताह में जवाब देने की बात कही है ।
बाइट जितेंद्र सिंह राठौड़... याचिका कर्ता के अधिवक्ता हाई कोर्ट ग्वालियर
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