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पर्ची दे दी, दवा लिख दी, अब जाओ घर : कोरोना का जाल, आम मरीजों का बुरा हाल - hospitals full of covid patients

ग्वालियर शहर के ज्यादातर अस्पताल कोरोना मरीजों से फुल हो गए हैं. आम मरीजों के लिए यहां अब जगह नहीं बची है. कई मरीजों की हालत वाकई गंभीर है. उन्हें भी इलाज के लिए भटकना पड़ रहा है.

no treatment for other patients
आम मरीजों का बुरा हाल
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Published : Apr 21, 2021, 6:41 PM IST

ग्वालियर। कोरोना का कहर दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है. गंभीर मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है.अस्पतालों में बेड फुल हैं. ऐसे में कोरोना के अलावा दूसरे बीमारियों के मरीजों की भी जान पर बन आई है. अस्पतालों ने कोरोना को छोड़कर सामान्य रोगियों को भर्ती करने पर पूरी तरह से रोक लगा दी है.

आम मरीजों की जान पर बन आई

ग्वालियर के जिला अस्पताल में सभी बेड कोविड-19 मरीजों के लिए आरक्षित कर दिए गए हैं. OPD चल रही है, लेकिन मरीजों को दवाइयां देकर घर पर रहकर इलाज करने की सलाह दी जा रही है. जयारोग्य अस्पताल की OPD पहले ही बंद हो चुकी है. सामान्य मरीजों को सरकारी अस्पतालों में जगह नहीं मिल रही है.

कोरोना का जाल, आम मरीजों का बुरा हाल: पर्ची दे दी, दवा लिख दी, अब जाओ घर

कोरोना के दबाव में आम मरीज पिसे

कोरोना महामारी के कारण अस्पतालों में अतिरिक्त सतर्कता बरती जा रही है. चिकित्सक, नर्स और अस्पताल के अन्य स्टाफ पर भार बढ़ गया है. डॉक्टरों और कई कर्मियों की ड्यूटी कोरोना में लगा दी गई हैं. इस कारण दूसरी बीमारियों के मरीजों की भी मुश्किल बढ़ गई है. महामारी के डर से छोटी-मोटी बीमारियों के मरीज अस्पताल जाने से कतरा रहे हैं. लेकिन गंभीर बीमारियों के मरीजों का अस्पताल में आना मजबूरी है.

पर्ची दे दी, दवा लिख दी और कहा चले जाओ यहां से

अपने दादा को दिखाने के लिए आए अनिल शर्मा ने बताया कि अस्पताल भर्ती नहीं कर रहे हैं. वो कहते हैं अस्पताल में जगह नहीं है. पर्ची दे दी, दवा लिख दी और कहा चले जाओ यहां से. बाहर किसी को दिखा सको, तो दिखा दो, हमारे यहां जगह नहीं है.

'अस्पताल वालों ने हाथ जोड़ लिए'

जिले के सबसे बड़े जयारोग्य अस्पताल को कोविड अस्पताल में बदल दिया गया है. जिला अस्पताल को भी कोविड अस्पताल बना दिया गया है. कोरोना को छोड़कर बाकी मरीजों का नंबर नहीं आ रहा है. किसी को ऑपरेशन कराना है तो वो भी नहीं हो पा रहा है. जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने ऐसी कोई व्यवस्था नहीं की , जिससे सामान्य बीमारी वाले गंभीर मरीजों को भर्ती किया जा सके. उन्हें सिर्फ पर्ची पर दवाई लिखकर घर भेजा जा रहा है.

सुनील के भाई को दमे की शिकायत है. उन्होंने बताया कि अस्पताल वालों ने हाथ जोड़ लिए. अस्पताल के कर्मचारी ने कहा, भैया घर की सलाह दे रहा हूं. यहां मत आओ, यहां सभी कोरोना के मरीज हैं. आपको इलाज तो नहीं मिलेगा. हां, कोरोना लेकर घर मत चले जाना.

'सामान्य मरीज कहां जाएंगे, ये कलेक्टर साहब जानें'

जिला अस्पताल के प्रभारी डॉक्टर आलोक पुरोहित ने बताया, कि सामान्य मरीज को हम दवा दे देते हैं, लेकिन भर्ती नहीं कर पा रहे हैं. सामान्य मरीजों को कहां भर्ती करना है, ये कलेक्टर जानें. हमें ये ऑर्डर हैं कि सामान्य मरीजों को भर्ती नहीं करें, सिर्फ कोरोना पेशेन्ट को ही भर्ती करें. OPD चालू है, वहां दवा लिख देते हैं.

घर में ही रहकर इलाज कराने की सलाह

डॉक्टर्स का कहना है कि कोरोना के अलावा दूसरी बीमारियों जैसे हाइपरटेंशन, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और डायरिया से ग्रसित मरीजों का इम्यूनिटी सिस्टम कमजोर हो जाता है. ऐसी हालत में अस्पताल आकर इलाज कराना मरीजों के लिए खतरे से खाली नहीं है.अस्पताल में संक्रमण फैलने का खतरा ज्यादा होता है. ऐसे में मरीजों को घर में ही रह कर इलाज कराने की सलाह दी जाती है.

MP में 18 वर्ष से ऊपर वालों को मुफ्त में लगेगी वैक्सीन, बीना में बनेगा 100 बेड का हाॅस्पिटल

मरीजों की चुनौतियां दोगुनी हुई

देश भर के विभिन्न सरकारी और निजी अस्पतालों में अधिकतर संसाधन कोविड-19 से निपटने में लगे हैं. कई जगहों पर ओपीडी और गंभीर बीमारियों से संबंधित विभाग बंद हैं और इमरजेंसी में पर्याप्त डॉक्टर नहीं हैं. अधिकतर निजी अस्पताल और क्लिनिक बंद हैं, जिसके चलते इन रोगों से जूझ रहे मरीजों की मुश्किलें और उनके परिजनों की चुनौतियां दोगुनी हो गई हैं.

ग्वालियर। कोरोना का कहर दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है. गंभीर मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है.अस्पतालों में बेड फुल हैं. ऐसे में कोरोना के अलावा दूसरे बीमारियों के मरीजों की भी जान पर बन आई है. अस्पतालों ने कोरोना को छोड़कर सामान्य रोगियों को भर्ती करने पर पूरी तरह से रोक लगा दी है.

आम मरीजों की जान पर बन आई

ग्वालियर के जिला अस्पताल में सभी बेड कोविड-19 मरीजों के लिए आरक्षित कर दिए गए हैं. OPD चल रही है, लेकिन मरीजों को दवाइयां देकर घर पर रहकर इलाज करने की सलाह दी जा रही है. जयारोग्य अस्पताल की OPD पहले ही बंद हो चुकी है. सामान्य मरीजों को सरकारी अस्पतालों में जगह नहीं मिल रही है.

कोरोना का जाल, आम मरीजों का बुरा हाल: पर्ची दे दी, दवा लिख दी, अब जाओ घर

कोरोना के दबाव में आम मरीज पिसे

कोरोना महामारी के कारण अस्पतालों में अतिरिक्त सतर्कता बरती जा रही है. चिकित्सक, नर्स और अस्पताल के अन्य स्टाफ पर भार बढ़ गया है. डॉक्टरों और कई कर्मियों की ड्यूटी कोरोना में लगा दी गई हैं. इस कारण दूसरी बीमारियों के मरीजों की भी मुश्किल बढ़ गई है. महामारी के डर से छोटी-मोटी बीमारियों के मरीज अस्पताल जाने से कतरा रहे हैं. लेकिन गंभीर बीमारियों के मरीजों का अस्पताल में आना मजबूरी है.

पर्ची दे दी, दवा लिख दी और कहा चले जाओ यहां से

अपने दादा को दिखाने के लिए आए अनिल शर्मा ने बताया कि अस्पताल भर्ती नहीं कर रहे हैं. वो कहते हैं अस्पताल में जगह नहीं है. पर्ची दे दी, दवा लिख दी और कहा चले जाओ यहां से. बाहर किसी को दिखा सको, तो दिखा दो, हमारे यहां जगह नहीं है.

'अस्पताल वालों ने हाथ जोड़ लिए'

जिले के सबसे बड़े जयारोग्य अस्पताल को कोविड अस्पताल में बदल दिया गया है. जिला अस्पताल को भी कोविड अस्पताल बना दिया गया है. कोरोना को छोड़कर बाकी मरीजों का नंबर नहीं आ रहा है. किसी को ऑपरेशन कराना है तो वो भी नहीं हो पा रहा है. जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने ऐसी कोई व्यवस्था नहीं की , जिससे सामान्य बीमारी वाले गंभीर मरीजों को भर्ती किया जा सके. उन्हें सिर्फ पर्ची पर दवाई लिखकर घर भेजा जा रहा है.

सुनील के भाई को दमे की शिकायत है. उन्होंने बताया कि अस्पताल वालों ने हाथ जोड़ लिए. अस्पताल के कर्मचारी ने कहा, भैया घर की सलाह दे रहा हूं. यहां मत आओ, यहां सभी कोरोना के मरीज हैं. आपको इलाज तो नहीं मिलेगा. हां, कोरोना लेकर घर मत चले जाना.

'सामान्य मरीज कहां जाएंगे, ये कलेक्टर साहब जानें'

जिला अस्पताल के प्रभारी डॉक्टर आलोक पुरोहित ने बताया, कि सामान्य मरीज को हम दवा दे देते हैं, लेकिन भर्ती नहीं कर पा रहे हैं. सामान्य मरीजों को कहां भर्ती करना है, ये कलेक्टर जानें. हमें ये ऑर्डर हैं कि सामान्य मरीजों को भर्ती नहीं करें, सिर्फ कोरोना पेशेन्ट को ही भर्ती करें. OPD चालू है, वहां दवा लिख देते हैं.

घर में ही रहकर इलाज कराने की सलाह

डॉक्टर्स का कहना है कि कोरोना के अलावा दूसरी बीमारियों जैसे हाइपरटेंशन, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और डायरिया से ग्रसित मरीजों का इम्यूनिटी सिस्टम कमजोर हो जाता है. ऐसी हालत में अस्पताल आकर इलाज कराना मरीजों के लिए खतरे से खाली नहीं है.अस्पताल में संक्रमण फैलने का खतरा ज्यादा होता है. ऐसे में मरीजों को घर में ही रह कर इलाज कराने की सलाह दी जाती है.

MP में 18 वर्ष से ऊपर वालों को मुफ्त में लगेगी वैक्सीन, बीना में बनेगा 100 बेड का हाॅस्पिटल

मरीजों की चुनौतियां दोगुनी हुई

देश भर के विभिन्न सरकारी और निजी अस्पतालों में अधिकतर संसाधन कोविड-19 से निपटने में लगे हैं. कई जगहों पर ओपीडी और गंभीर बीमारियों से संबंधित विभाग बंद हैं और इमरजेंसी में पर्याप्त डॉक्टर नहीं हैं. अधिकतर निजी अस्पताल और क्लिनिक बंद हैं, जिसके चलते इन रोगों से जूझ रहे मरीजों की मुश्किलें और उनके परिजनों की चुनौतियां दोगुनी हो गई हैं.

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