ग्वालियर। शहर के नगर निगम द्वारा एक ओर जहां स्वच्छता सर्वेक्षण का ढिंढोरा पीटा जा रहा है, तो वहीं दूसरी ओर स्कूल शिक्षा विभाग बच्चों को बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराने का दावा कर रहा है. लेकिन, इन दावों की पोल ग्वालियर के किला गेट चौराहे के पास बने शासकीय प्राथमिक विद्यालय शरणार्थी स्कूल में खुलती दिख रही है. यहां देश का भविष्य टपकती छत और जर्जर दीवारों के बीच गंदगी के अंबार में पढ़ने को मजबूर है. भवन बेहद ही जर्जर हो चुका है एक ही कमरे में 5 कक्षाएं लगानी पड़ रही है.
किला गेट चौराहे का शासकीय प्राथमिक विद्यालय का सच: बता दें कि ग्वालियर विधानसभा के हजीरा इलाके के किला गेट चौराहे पर स्थित इस स्कूल में काफी संख्या में बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं और विद्यालय भवन की हालत पूरी तरह जर्जर हो चुकी है. यहां गंदगी का अंबार लगा हुआ है बावजूद इसके शिक्षा विभाग ने मामले में बच्चों से सूचना मिलने के बाद भी इस विद्यालय भवन को भगवान भरोसे छोड़ दिया. जब इस बात की जानकारी छात्रों ने अपने अभिभावकों को दी तब उनके माता-पिता स्कूल में पहुंचे तो आश्चर्यचकित हो गये. बारिश के मौसम में भवन की बिल्डिंग पूरी तरह टपक रही है. इसके साथ ही पूरे स्कूल में बड़ी-बड़ी दरारें आ गई हैं जिससे कभी भी भवन क्षतिग्रस्त हो सकता है.
अभिभावकों के विरोध के बाद पहुंचे कांग्रेसी: जब अभिभावकों ने सरकारी स्कूल में पहुंचकर विरोध किया तो, कुछ कांग्रेसी नेता भी पहुंच गए. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुनील शर्मा को जब एक अभिभावक ने अपनी व्यथा बताई तो सुनील शर्मा अपने अन्य कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ जब इस भवन का मुआयना करने पहुंचे तो हालात बेहद ही बदतर मिले. इसके बाद उन्होंने ग्वालियर कलेक्टर, निगम आयुक्त और शिक्षा अधिकारी को मामले की जानकारी दी तो शिक्षा विभाग के DO अजय कटिहार भी मौके पर पहुंचे तो उन्होंने भी माना कि गंदगी का अंबार है. ऐसे में उनका कहना है कि वे अभिभावकों से चर्चा करेंगे और अगर वह अपने बच्चे दूसरे विद्यालयों में ट्रांसफर करते हैं तो इस भवन का जीर्णोद्धार कराया जाएगा. (MP Poor Education Infrastructure) (Gwalior Students compelled to study in dilapidated building)(Gwalior News)