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एक ही मरीज में मिले ब्लैक और व्हाइट फंगस, सुनिए डॉक्टरों ने कैसे किया सफल ऑपरेशन - युवक में ब्लैक और व्हाइट फंगस मिले

ब्लैक और व्हाइट फंगस से इस वक्त सभी में खौफ है. मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसमे एक ही मरीज में ब्लैक और व्हाइट फंगस पाये गये हैं.

man infected black and white fungus
डॉक्टरों ने कैसे किया सफल ऑपरेशन
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Published : May 23, 2021, 3:13 PM IST

ग्वालियर। जिले में ब्लैक फंगस के बाद अब व्हाइट फंगस ने भी दस्तक दे दी है. शहर में व्हाइट फंगस का पहला केस आया है, जिसमे एक ही मरीज में ब्लैक और व्हाइट फंगस पाये गये हैं. जयारोग्य अस्पताल में एक 25 वर्षीय युवक ब्लैक फंगस की शिकायत लेकर अस्पताल पहुंचा था. जब डॉक्टरों ने इनकी जांच की तो मरीज में व्हाइट फंगस भी पाया गया, हालांकि अस्पताल के डॉक्टरों की टीम ने दोनों फंगस का सफल ऑपरेशन कर दिया है.

बताया जा रहा है मरीज को कुछ दिन पहले कोरोना हुआ था. ठीक होने के बाद उसकी आंखों मे दर्द और सूजन आने लगी थी उसके बाद उसके डॉक्टरों को दिखाया. जयारोग्य अस्पताल के ईएनटी विभाग के अध्यक्ष डॉ बीपी नार्वे ने जांच की तो उसमें ब्लैक फंगस के लक्षण दिखाई दिए. इसके बाद जांच की गई तो पता चला कि उसे व्हाइट फंगस भी है.

डॉक्टरों ने कैसे किया सफल ऑपरेशन

ग्वालियर में ब्लैक और व्हाइट फंगस का पहला मरीज

जिले में लगातार ब्लैक फंगस के कई मरीज सामने आ रहे हैं. लेकिन यह पहला मरीज है जिसमें ब्लैक और व्हाइट फंगस दोनों एक साथ मिले हैं. इनके लक्षण एक जैसे होते हैं. डॉक्टर के मुताबिक अगर किसी मरीज में ब्लैक फंगस है तो उसमें व्हाइट फंगस भी पाया जा सकता है. यह व्हाइट फंगस ज्यादातर कान में पाया जाता है और नाक की अपेक्षा कान में ज्यादा खतरनाक नहीं होता है.

ब्लैक और व्हाइट फंगस लक्षण होते हैं सामान

जयारोग्य अस्पताल के ईएनटी विभाग के अध्यक्ष डॉ बीपी नार्वे का कहना है कि ब्लैक फंगस के समान ही व्हाइट फंगस होता है और इसके लक्षण भी समान होते हैं. शुरुआती लक्षणों में मरीज की आंखों के सामने सूजन आना, सुन्न होना, आंखे लाल होना है. अगर यह नाक में होता है तो इसके लक्षण शुरुआती तौर पर नाक बंद होना, नाक में पानी आना है. इसके साथ जैसे यह लक्षण ब्रेन में पहुंचता है तो सिर दर्द के साथ साथ मरीज बेहोश भी हो सकता है.

बच्चे में ब्लैक फंगस संक्रमण का पहला मामला गुजरात में मिला

लगातार बढ़ रहे है ब्लैक फंगस के मामले

जिले में ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या 80 के ऊपर पहुंच चुकी है और लगातार यह संख्या तेजी से बढ़ रही है. इनमें से 35 मरीजों के ऑपरेशन हो चुके हैं। डॉ नार्वे के मुताबिक डायबिटीज, कैंसर, किडनी रोगी और अंग प्रत्यारोपण करा चुके मरीजों में व्हाइट फंगस की ज्यादा संभावना रहती है.

ग्वालियर। जिले में ब्लैक फंगस के बाद अब व्हाइट फंगस ने भी दस्तक दे दी है. शहर में व्हाइट फंगस का पहला केस आया है, जिसमे एक ही मरीज में ब्लैक और व्हाइट फंगस पाये गये हैं. जयारोग्य अस्पताल में एक 25 वर्षीय युवक ब्लैक फंगस की शिकायत लेकर अस्पताल पहुंचा था. जब डॉक्टरों ने इनकी जांच की तो मरीज में व्हाइट फंगस भी पाया गया, हालांकि अस्पताल के डॉक्टरों की टीम ने दोनों फंगस का सफल ऑपरेशन कर दिया है.

बताया जा रहा है मरीज को कुछ दिन पहले कोरोना हुआ था. ठीक होने के बाद उसकी आंखों मे दर्द और सूजन आने लगी थी उसके बाद उसके डॉक्टरों को दिखाया. जयारोग्य अस्पताल के ईएनटी विभाग के अध्यक्ष डॉ बीपी नार्वे ने जांच की तो उसमें ब्लैक फंगस के लक्षण दिखाई दिए. इसके बाद जांच की गई तो पता चला कि उसे व्हाइट फंगस भी है.

डॉक्टरों ने कैसे किया सफल ऑपरेशन

ग्वालियर में ब्लैक और व्हाइट फंगस का पहला मरीज

जिले में लगातार ब्लैक फंगस के कई मरीज सामने आ रहे हैं. लेकिन यह पहला मरीज है जिसमें ब्लैक और व्हाइट फंगस दोनों एक साथ मिले हैं. इनके लक्षण एक जैसे होते हैं. डॉक्टर के मुताबिक अगर किसी मरीज में ब्लैक फंगस है तो उसमें व्हाइट फंगस भी पाया जा सकता है. यह व्हाइट फंगस ज्यादातर कान में पाया जाता है और नाक की अपेक्षा कान में ज्यादा खतरनाक नहीं होता है.

ब्लैक और व्हाइट फंगस लक्षण होते हैं सामान

जयारोग्य अस्पताल के ईएनटी विभाग के अध्यक्ष डॉ बीपी नार्वे का कहना है कि ब्लैक फंगस के समान ही व्हाइट फंगस होता है और इसके लक्षण भी समान होते हैं. शुरुआती लक्षणों में मरीज की आंखों के सामने सूजन आना, सुन्न होना, आंखे लाल होना है. अगर यह नाक में होता है तो इसके लक्षण शुरुआती तौर पर नाक बंद होना, नाक में पानी आना है. इसके साथ जैसे यह लक्षण ब्रेन में पहुंचता है तो सिर दर्द के साथ साथ मरीज बेहोश भी हो सकता है.

बच्चे में ब्लैक फंगस संक्रमण का पहला मामला गुजरात में मिला

लगातार बढ़ रहे है ब्लैक फंगस के मामले

जिले में ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या 80 के ऊपर पहुंच चुकी है और लगातार यह संख्या तेजी से बढ़ रही है. इनमें से 35 मरीजों के ऑपरेशन हो चुके हैं। डॉ नार्वे के मुताबिक डायबिटीज, कैंसर, किडनी रोगी और अंग प्रत्यारोपण करा चुके मरीजों में व्हाइट फंगस की ज्यादा संभावना रहती है.

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