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सर्दियां शुरू होते ही बढ़ी कड़कनाथ मुर्गे की डिमांड, ग्वालियर के कृषि विज्ञान केंद्र में 10 हजार तक पहुंची वेटिंग

बीते एक महीने में कृषि विज्ञान केंद्र के पास कड़कनाथ मुर्गों की डिमांड पांच गुना ज्यादा आने लगी है. जिसे कृषि विज्ञान केंद्र कड़कनाथ मुर्गा की डिमांड को पूरा नहीं कर पा रहा है. हालात ये है कि कृषि विज्ञान केंद्र के पास कड़कनाथ के 10 हजार चूजों और मुर्गों की वेटिंग चल रही है.

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सर्दियां शुरू होते ही बढ़ी कड़कनाथ मुर्गे की डिमांड
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Published : Nov 19, 2021, 10:12 PM IST

Updated : Nov 20, 2021, 8:50 AM IST

ग्वालियर। प्रदेश के साथ-साथ पूरे देश भर में सर्दी बढ़ने के कारण कड़कनाथ मुर्गों की मांग तेज हो गई है. ग्वालियर के कृषि विज्ञान केंद्र में पैदा होने वाले कक्कड़ नाथ मुर्गों की डिमांड लगातार तेजी से बढ़ रही है और यही वजह है कि बीते एक महीने में कृषि विज्ञान केंद्र के पास कड़कनाथ मुर्गों की डिमांड पांच गुना ज्यादा आने लगी है. जिसे कृषि विज्ञान केंद्र कड़कनाथ मुर्गा की डिमांड को पूरा नहीं कर पा रहा है. हालात ये है कि कृषि विज्ञान केंद्र के पास कड़कनाथ के 10 हजार चूजों और मुर्गों की वेटिंग चल रही है.

सर्दियां शुरू होते ही बढ़ी कड़कनाथ मुर्गे की डिमांड

सर्दी बढ़ते ही बढ़ी 'कड़कनाथ' की डिमांड

इस समय पूरे देश भर में कड़कनाथ मुर्गा की भारी डिमांड है. सर्दियों के मौसम में यह डिमांड 4 से 5 गुना बढ़ जाती है. क्योंकि यह कडकनाथ मुर्गे का चिकन तासीर में काफी गर्म होता है और सर्दियों के समय इसका चिकन खाना शरीर के लिए काफी फायदेमंद होता है. ग्वालियर कृषि विज्ञान केंद्र के साथ-साथ अलग-अलग राज्यों से भी कड़कनाथ मुर्गे की काफी डिमांड है, यही वजह है कि कृषि विज्ञान केंद्र इस डिमांड को पूरी नहीं कर पा रहा है. आपको बता दें कि ग्वालियर कृषि विज्ञान केंद्र देश का तीसरा ऐसा सेंटर है जहां पर कड़कनाथ मुर्गा की हेचिंग की जाती है. मतलब कड़कनाथ के अंडे से चूजे तैयार किए जाते हैं और उन्हें बेचा जाता है. यहां तैयार चूजे प्रदेश के साथ-साथ देश के अलग-अलग हिस्सो में जाते सप्लाई किए जाते हैं.यहां से मध्यप्रदेश के साथ साथ उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात ,महाराष्ट्र और हैदराबाद से भी लोग कड़कनाथ की चूजे और मुर्गा- मुर्गी लेने पहुंचते हैं. खासकर सर्दियों के मौसम में इनकी मांग काफी ज्याद हो जाती है.

लगातार बढ़ाया जा रहा है उत्पादन

कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ साइंटिस्ट डॉ राजसिंह कुशवाह का कहना है कि ग्वालियर के कृषि विज्ञान केंद्र में साल 2016 में कड़कनाथ का उत्पादन शुरू हुआ था. यहां पर झाबुआ से लाकर 200 चूजे की हेचरी बनाई गई थी. इसके बाद से लगातार इसकी उत्पादन क्षमता बढ़ाई जा रही है. कड़कनाथ का उत्पादन बढ़ाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में मुर्गी पालन करने वाले ग्रामीणों को ट्रेनिंग देकर इसका उत्पादन बढ़ाया जा रहा है बावजूद इसके सर्दियों के सीजन में कड़कनाथ मुर्गों की डिमांड इतनी बढ़ गई है कि इनकी पूर्ति नहीं हो पा रही है.

कड़कनाथ के पालन से किसान को भी फायदा

ग्वालियर कृषि विज्ञान केंद्र में इस बार जिले के 45 किसानों ने कड़कनाथ पालन के लिए आवेदन दिया है. कृषि विज्ञान केंद्र का कहना है कि अंचल में कड़कनाथ का उत्पादक किसानों के लिए एक आय अच्छा जरिया साबित हो रहा है. किसान कड़कनाथ का उत्पादन कर इसे अच्छे मुनाफे में बेच कर अपनी आमदनी बढ़ा रहे हैं. खासकर कोरोना संक्रमण काल में कड़कनाथ मुर्गे की भारी डिमांड थी.

इसलिए डिमांड में है कड़कनाथ

  • रिसर्च के मुताबिक कड़कनाथ प्रजाति के मुर्गे की सामान्य प्रजाति के मुर्गे से अच्छी मेडिकेशन वैल्यू होती है.
  • कड़कनाथ में प्रोटीन तत्व 25%, फैट 0.73 से 1.03 प्रतिशत रहता है.
  • इसके साथ ही लिनोलिक एसिड 24% और कैस्ट्रॉल 184 मिलीग्राम होता है.
  • कड़कनाथ के चिकिन में प्रोटीन मुर्गे की अन्य प्रजातियों से ज्यादा जबकि फैट और कैस्ट्रोल कम होता है.
  • अच्छी मेडिसिनल वैल्यू की वजह से इसमें बीमारियां भी नहीं होती है.
  • कड़कनाथ मुर्गे की प्रजाति का खून काले रंग का होता है, इसके अलावा मांस और हड्डियां भी काली होती है.
  • कड़कनाथ गर्म तासीर का होता है इसी वजह से सर्दियों में इसके मांस का सेवन लाभकारी माना जाता है.

ग्वालियर। प्रदेश के साथ-साथ पूरे देश भर में सर्दी बढ़ने के कारण कड़कनाथ मुर्गों की मांग तेज हो गई है. ग्वालियर के कृषि विज्ञान केंद्र में पैदा होने वाले कक्कड़ नाथ मुर्गों की डिमांड लगातार तेजी से बढ़ रही है और यही वजह है कि बीते एक महीने में कृषि विज्ञान केंद्र के पास कड़कनाथ मुर्गों की डिमांड पांच गुना ज्यादा आने लगी है. जिसे कृषि विज्ञान केंद्र कड़कनाथ मुर्गा की डिमांड को पूरा नहीं कर पा रहा है. हालात ये है कि कृषि विज्ञान केंद्र के पास कड़कनाथ के 10 हजार चूजों और मुर्गों की वेटिंग चल रही है.

सर्दियां शुरू होते ही बढ़ी कड़कनाथ मुर्गे की डिमांड

सर्दी बढ़ते ही बढ़ी 'कड़कनाथ' की डिमांड

इस समय पूरे देश भर में कड़कनाथ मुर्गा की भारी डिमांड है. सर्दियों के मौसम में यह डिमांड 4 से 5 गुना बढ़ जाती है. क्योंकि यह कडकनाथ मुर्गे का चिकन तासीर में काफी गर्म होता है और सर्दियों के समय इसका चिकन खाना शरीर के लिए काफी फायदेमंद होता है. ग्वालियर कृषि विज्ञान केंद्र के साथ-साथ अलग-अलग राज्यों से भी कड़कनाथ मुर्गे की काफी डिमांड है, यही वजह है कि कृषि विज्ञान केंद्र इस डिमांड को पूरी नहीं कर पा रहा है. आपको बता दें कि ग्वालियर कृषि विज्ञान केंद्र देश का तीसरा ऐसा सेंटर है जहां पर कड़कनाथ मुर्गा की हेचिंग की जाती है. मतलब कड़कनाथ के अंडे से चूजे तैयार किए जाते हैं और उन्हें बेचा जाता है. यहां तैयार चूजे प्रदेश के साथ-साथ देश के अलग-अलग हिस्सो में जाते सप्लाई किए जाते हैं.यहां से मध्यप्रदेश के साथ साथ उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात ,महाराष्ट्र और हैदराबाद से भी लोग कड़कनाथ की चूजे और मुर्गा- मुर्गी लेने पहुंचते हैं. खासकर सर्दियों के मौसम में इनकी मांग काफी ज्याद हो जाती है.

लगातार बढ़ाया जा रहा है उत्पादन

कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ साइंटिस्ट डॉ राजसिंह कुशवाह का कहना है कि ग्वालियर के कृषि विज्ञान केंद्र में साल 2016 में कड़कनाथ का उत्पादन शुरू हुआ था. यहां पर झाबुआ से लाकर 200 चूजे की हेचरी बनाई गई थी. इसके बाद से लगातार इसकी उत्पादन क्षमता बढ़ाई जा रही है. कड़कनाथ का उत्पादन बढ़ाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में मुर्गी पालन करने वाले ग्रामीणों को ट्रेनिंग देकर इसका उत्पादन बढ़ाया जा रहा है बावजूद इसके सर्दियों के सीजन में कड़कनाथ मुर्गों की डिमांड इतनी बढ़ गई है कि इनकी पूर्ति नहीं हो पा रही है.

कड़कनाथ के पालन से किसान को भी फायदा

ग्वालियर कृषि विज्ञान केंद्र में इस बार जिले के 45 किसानों ने कड़कनाथ पालन के लिए आवेदन दिया है. कृषि विज्ञान केंद्र का कहना है कि अंचल में कड़कनाथ का उत्पादक किसानों के लिए एक आय अच्छा जरिया साबित हो रहा है. किसान कड़कनाथ का उत्पादन कर इसे अच्छे मुनाफे में बेच कर अपनी आमदनी बढ़ा रहे हैं. खासकर कोरोना संक्रमण काल में कड़कनाथ मुर्गे की भारी डिमांड थी.

इसलिए डिमांड में है कड़कनाथ

  • रिसर्च के मुताबिक कड़कनाथ प्रजाति के मुर्गे की सामान्य प्रजाति के मुर्गे से अच्छी मेडिकेशन वैल्यू होती है.
  • कड़कनाथ में प्रोटीन तत्व 25%, फैट 0.73 से 1.03 प्रतिशत रहता है.
  • इसके साथ ही लिनोलिक एसिड 24% और कैस्ट्रॉल 184 मिलीग्राम होता है.
  • कड़कनाथ के चिकिन में प्रोटीन मुर्गे की अन्य प्रजातियों से ज्यादा जबकि फैट और कैस्ट्रोल कम होता है.
  • अच्छी मेडिसिनल वैल्यू की वजह से इसमें बीमारियां भी नहीं होती है.
  • कड़कनाथ मुर्गे की प्रजाति का खून काले रंग का होता है, इसके अलावा मांस और हड्डियां भी काली होती है.
  • कड़कनाथ गर्म तासीर का होता है इसी वजह से सर्दियों में इसके मांस का सेवन लाभकारी माना जाता है.
Last Updated : Nov 20, 2021, 8:50 AM IST
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