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वकील, जिसकी दलील पर कर्नाटक HC ने सुनाया हिजाब पर फैसला, सुनिए क्या था शिराज कुरैशी का तर्क - karnataka high court accept arguments of gwalior muslim lawyer

कर्नाटक हाईकोर्ट ने स्कूल-कॉलेज में हिजाब पहनने पर पाबंदी लगाने का फैसला सुनाया है. कोर्ट ने छात्राओं को स्कूल ड्रेस में आने के आदेश दिए हैं. इस मामले में जब कर्नाटक हाई कोर्ट में सुनवाई हो रही थी उस वक्त अधिकांश तथ्य ग्वालियर के एडवोकेट शीराज कुरैशी ने कोर्ट में रखे थे. इस संबंध में 8 याचिका लगी थी. जिनमें स्कूल, कॉलेज सहित कर्नाटक सरकार को भी पार्टी बनाया गया था.

karnataka high court accept arguments of gwalior muslim lawyer
हाईकोर्ट ने स्वीकार की मुस्लिम वकील की याचिका
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Published : Mar 16, 2022, 8:40 PM IST

ग्वालियर। कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) ने मंगलवार को हिजाब पहनकर स्कूल कॉलेज आने के मामले पर अपना फैसला सुनाया था. फैसले में कहा गया कि हिजाब इस्लाम धर्म में आवश्यक नहीं है यह धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है. कोर्ट ने हिजाब पहनने पर पाबंदी लगाने के साथ ड्रेसकोड के मुताबिक ही स्कूल कॉलेज आने के आदेश दिए हैं. इस पूरे मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट ने 21 वकीलों में से एकमात्र मुस्लिम एडवोकेट शीराज कुरैशी की पिटीशन को कर्नाटक हाईकोर्ट ने स्वीकार किया था.

हाईकोर्ट ने स्वीकार की मुस्लिम वकील की याचिका

मामले में दायर थी 8 याचिकाएं
हिजाब विवाद के बाद इस पूरे मामले में 8 याचिकाएं दायर की गई. जिनमें स्कूल, कॉलेज और कर्नाटक सरकार को पार्टी बनाया गया था. दायर याचिकाओं पर 21 वकील पैरवी कर रहे थे. जिनमें ग्वालियर के इकलौते मुस्लिम वकील शिराज कुरैशी भी शामिल थे. उन्होंने 22 फरवरी को इस केस में इंटरवेंशन पिटीशन दाखिल की थी. शिराज कुरैशी की पिटीशन को कर्नाटक हाइकोर्ट ने स्वीकार किया था और इस्लाम, कुरान व हदीस में कहीं भी हिजाब की अनिवार्यता न होने की उनकी दलीलों को माना था.

मध्यप्रदेश में बढ़ा हिजाब पर विवाद: कांग्रेस विधायक की दलील, फैसले को सुप्रीम कोर्ट में करेंगे चैलेंज, महिलाएं बोलीं गलत राजनीति हो रही है

संविधान के अनुसार चलेगा देश
शिराज कुरैशी भारत फर्स्ट मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के राष्ट्रीय संयोजक हैं. कुरैशी ने कोर्ट में दलील दी थी कि देश संविधान के अनुसार चलेगा नाकि शरिया कानून के मुताबिक. उनकी इस्लाम में हिजाब की अनिवार्यता न होने की दलील को भी कोर्ट ने स्वीकार किया. कोर्ट ने अपने फैसले में भी इस बात का उल्लेख किया है कि हिजाब इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है. छात्र-छात्राएं स्कूल कॉलेज आने के लिए निर्धारित यूनिफॉर्म पहनने से इंकार नहीं कर सकती हैं.

हिजाब को लेकर फैलाई जा रही भ्रांतियां

एडवोकेट शिराज कुरैशी की मानें तो हिजाब को लेकर भ्रांतियां फैलाई जा रही हैं. मुस्लिम महिलाओं को बरगलाया जा रहा है. इस्लाम और कुरान के मुताबिक हिजाब पहनना मुस्लिम फर्ज में शामिल नहीं है. शिराज का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट में की गई अपील में भी वह इंटरवेंशन पिटिशन दाखिल करेंगे.

ऐसे शुरू हुआ था विवाद
कर्नाटक में एजुकेशन एक्ट लागूकर स्कूल-कॉलेज में यूनिफॉर्म अनिवार्य कर दिया गया था. जनवरी 2022 में उडुपी के एक सरकारी कॉलेज में 6 छात्राएं हिजाब पहनकर कॉलेज पहुंची थी. जिसके जवाब में कुछ हिंदू स्टूडेंट्स भी भगवा स्कार्फ और गमछा डालकर स्कूल पहुंचने लगे और जयश्री राम के नारे लगाने लगे. इसके बाद से ही लगातार विवाद की स्थिति है.

ग्वालियर। कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) ने मंगलवार को हिजाब पहनकर स्कूल कॉलेज आने के मामले पर अपना फैसला सुनाया था. फैसले में कहा गया कि हिजाब इस्लाम धर्म में आवश्यक नहीं है यह धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है. कोर्ट ने हिजाब पहनने पर पाबंदी लगाने के साथ ड्रेसकोड के मुताबिक ही स्कूल कॉलेज आने के आदेश दिए हैं. इस पूरे मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट ने 21 वकीलों में से एकमात्र मुस्लिम एडवोकेट शीराज कुरैशी की पिटीशन को कर्नाटक हाईकोर्ट ने स्वीकार किया था.

हाईकोर्ट ने स्वीकार की मुस्लिम वकील की याचिका

मामले में दायर थी 8 याचिकाएं
हिजाब विवाद के बाद इस पूरे मामले में 8 याचिकाएं दायर की गई. जिनमें स्कूल, कॉलेज और कर्नाटक सरकार को पार्टी बनाया गया था. दायर याचिकाओं पर 21 वकील पैरवी कर रहे थे. जिनमें ग्वालियर के इकलौते मुस्लिम वकील शिराज कुरैशी भी शामिल थे. उन्होंने 22 फरवरी को इस केस में इंटरवेंशन पिटीशन दाखिल की थी. शिराज कुरैशी की पिटीशन को कर्नाटक हाइकोर्ट ने स्वीकार किया था और इस्लाम, कुरान व हदीस में कहीं भी हिजाब की अनिवार्यता न होने की उनकी दलीलों को माना था.

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संविधान के अनुसार चलेगा देश
शिराज कुरैशी भारत फर्स्ट मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के राष्ट्रीय संयोजक हैं. कुरैशी ने कोर्ट में दलील दी थी कि देश संविधान के अनुसार चलेगा नाकि शरिया कानून के मुताबिक. उनकी इस्लाम में हिजाब की अनिवार्यता न होने की दलील को भी कोर्ट ने स्वीकार किया. कोर्ट ने अपने फैसले में भी इस बात का उल्लेख किया है कि हिजाब इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है. छात्र-छात्राएं स्कूल कॉलेज आने के लिए निर्धारित यूनिफॉर्म पहनने से इंकार नहीं कर सकती हैं.

हिजाब को लेकर फैलाई जा रही भ्रांतियां

एडवोकेट शिराज कुरैशी की मानें तो हिजाब को लेकर भ्रांतियां फैलाई जा रही हैं. मुस्लिम महिलाओं को बरगलाया जा रहा है. इस्लाम और कुरान के मुताबिक हिजाब पहनना मुस्लिम फर्ज में शामिल नहीं है. शिराज का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट में की गई अपील में भी वह इंटरवेंशन पिटिशन दाखिल करेंगे.

ऐसे शुरू हुआ था विवाद
कर्नाटक में एजुकेशन एक्ट लागूकर स्कूल-कॉलेज में यूनिफॉर्म अनिवार्य कर दिया गया था. जनवरी 2022 में उडुपी के एक सरकारी कॉलेज में 6 छात्राएं हिजाब पहनकर कॉलेज पहुंची थी. जिसके जवाब में कुछ हिंदू स्टूडेंट्स भी भगवा स्कार्फ और गमछा डालकर स्कूल पहुंचने लगे और जयश्री राम के नारे लगाने लगे. इसके बाद से ही लगातार विवाद की स्थिति है.

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