ग्वालियर। जीवाजी विश्वविद्यालय के बहुचर्चित पीएचडी घोटाले की जांच शुरू हो गई है. न्यायिक जांच आयोग के अध्यक्ष डीके पालीवाल बुधवार दोपहर को विश्वविद्यालय पहुंचे, जहां कुछ देर बाद उन्होंने विश्वविद्यालय प्रबंधन को निर्देश दिए कि उन छात्रों को नोटिस जारी करें, जिनकी पीएचडी उपाधि संदेहास्पद है. वहीं न्यायिक जांच आयोग के लिए मुख्य भवन में एक कक्ष आवंटित किया गया है जिसमें आयोग सुनवाई करेगा.
दरअसल, हाईकोर्ट में लगी एक जनहित याचिका में 7 कश्मीरी छात्रों और भोपाल के एक अधिकारी के बारे में दस्तावेजी साक्ष्य पेश किए गए थे जिसमें बताया गया था कि पीएचडी की उपाधि हासिल करने के लिए इन लोगों ने गड़बड़ियां की है. नौकरी पर रहते हुए और बिना कोर्स वर्क पूरा किए मिलीभगत से पीएचडी की उपाधि ले ली गई. जिसके बाद हाई कोर्ट ने 28 मार्च को इसे गंभीर मानते हुए न्यायिक जांच आयोग का गठन किया था जिसका अध्यक्ष सेवानिवृत्त हाईकोर्ट जज डीके पालीवाल को बनाया गया है.
खास बात यह है कि हाईकोर्ट ने 1 महीने में आयोग से जांच रिपोर्ट तलब की है लेकिन 15 दिन से ज्यादा का वक्त बीत चुका है ऐसे में आयोग के पास 15 दिन का समय बचा है. वहीं जिन लोगों ने पीएचडी की डिग्री हासिल की है वह दूरदराज इलाकों में हैं. इसलिए आयोग के अध्यक्ष डीके पालीवाल ने विश्वविद्यालय प्रबंधन को निर्देश जारी किए है कि संबंधित पक्षों को 22 अप्रैल को विश्वविद्यालय में रिपोर्ट करने के लिए जानकारी भिजवाएं, ताकि आयोग अपनी जांच शुरू कर सके.