ग्वालियर। हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने नगर निगम के पूर्व कमिश्नर विवेक सिंह को तगड़ा झटका दिया है. विवेक सिंह और उनके कुछ साथी कर्मचारियों ने हाईकोर्ट से अपने खिलाफ दर्ज लोकायुक्त की एफआईआर को चुनौती देते हुए इसे निरस्त करने की मांग की थी. लेकिन हाईकोर्ट ने मामले को निरस्त करने से इनकार कर दिया है. लिहाजा याचिकाकर्ताओं ने अपना आवेदन वापस ले लिया है.
पूर्व निगम कमिश्नर विवेक सिंह और उनके 4 साथी कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में उनके खिलाफ लोकायुक्त दर्ज मामले को खारिज करने का आवेदन किया था लेकिन हाईकोर्ट ने मेरिट के आधार पर केस को सुनने को कहा तो याचिकाकर्ताओं ने अपना आवेदन वापस ले लिया. जानकारी के अनुसार संभागीय सतर्कता समिति ने अपनी जांच में पाया था कि 1805 प्रकरण के लिए निविदा बुलाई जानी थी लेकिन प्रत्येक कार्य को अलग-अलग बता कर दस हजार रुपए की कम सीमा में लाकर कोटेशन प्रक्रिया अपनाई गई. इसमें कोटेशन की बुलाने के संबंध में आधार स्पष्ट नहीं किया गया ना ही इंजीनियरों ने मौके पर जाकर कार्य का मौका मुआयना किया था.
गौरतलब है कि लोकायुक्त को ग्वालियर के तत्कालीन नगर निगम आयुक्त विवेक सिंह के खिलाफ जल प्रदाय से संबंधित करीब 2 करोड़ के मेंटेनेंस वर्क के कोटेशन के माध्यम से कराने के लिए फर्जी फाइलें बनाए जाने की शिकायत मिली थी. जिसपर जांच के बाद करीब 2 साल पहले 11 कर्मचारियों के खिलाफ धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश का मामला दर्ज किया गया था. इनमें निगम कमिश्नर के अलावा तत्कालीन बर्खास्त कार्यपालन यंत्री केके श्रीवास्तव, तत्कालीन सहायक यंत्री अजय मांडवीय, उपयंत्री सतेंद्र सिंह भदोरिया, मानचित्र कार राजेंद्र प्रसाद दीक्षि, सेवानिवृत्त मानचित्र कार कुसुम लता शर्मा, ट्यूबवेल कंपनी के ठेकेदार मोहित जैन, रजत जैन,सुनील एंटरप्राइजेज के संचालक सुनील गुप्ता के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी.