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ग्वालियर नगर निगम के पूर्व कमिश्नर को हाईकोर्ट से झटका, लोकायुक्त में दर्ज मामले निरस्त करने से किया इनकार

ग्वालियर नगर निगम के पूर्व कमिश्नर को हाईकोर्ट से झटका, लोकायुक्त में दर्ज मामले निरस्त करने से किया इनकार

पूर्व कमिश्नर को हाईकोर्ट से झटका
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Published : Mar 20, 2019, 8:48 PM IST

ग्वालियर। हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने नगर निगम के पूर्व कमिश्नर विवेक सिंह को तगड़ा झटका दिया है. विवेक सिंह और उनके कुछ साथी कर्मचारियों ने हाईकोर्ट से अपने खिलाफ दर्ज लोकायुक्त की एफआईआर को चुनौती देते हुए इसे निरस्त करने की मांग की थी. लेकिन हाईकोर्ट ने मामले को निरस्त करने से इनकार कर दिया है. लिहाजा याचिकाकर्ताओं ने अपना आवेदन वापस ले लिया है.

पूर्व निगम कमिश्नर विवेक सिंह और उनके 4 साथी कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में उनके खिलाफ लोकायुक्त दर्ज मामले को खारिज करने का आवेदन किया था लेकिन हाईकोर्ट ने मेरिट के आधार पर केस को सुनने को कहा तो याचिकाकर्ताओं ने अपना आवेदन वापस ले लिया. जानकारी के अनुसार संभागीय सतर्कता समिति ने अपनी जांच में पाया था कि 1805 प्रकरण के लिए निविदा बुलाई जानी थी लेकिन प्रत्येक कार्य को अलग-अलग बता कर दस हजार रुपए की कम सीमा में लाकर कोटेशन प्रक्रिया अपनाई गई. इसमें कोटेशन की बुलाने के संबंध में आधार स्पष्ट नहीं किया गया ना ही इंजीनियरों ने मौके पर जाकर कार्य का मौका मुआयना किया था.

पूर्व कमिश्नर को हाईकोर्ट से झटका

गौरतलब है कि लोकायुक्त को ग्वालियर के तत्कालीन नगर निगम आयुक्त विवेक सिंह के खिलाफ जल प्रदाय से संबंधित करीब 2 करोड़ के मेंटेनेंस वर्क के कोटेशन के माध्यम से कराने के लिए फर्जी फाइलें बनाए जाने की शिकायत मिली थी. जिसपर जांच के बाद करीब 2 साल पहले 11 कर्मचारियों के खिलाफ धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश का मामला दर्ज किया गया था. इनमें निगम कमिश्नर के अलावा तत्कालीन बर्खास्त कार्यपालन यंत्री केके श्रीवास्तव, तत्कालीन सहायक यंत्री अजय मांडवीय, उपयंत्री सतेंद्र सिंह भदोरिया, मानचित्र कार राजेंद्र प्रसाद दीक्षि, सेवानिवृत्त मानचित्र कार कुसुम लता शर्मा, ट्यूबवेल कंपनी के ठेकेदार मोहित जैन, रजत जैन,सुनील एंटरप्राइजेज के संचालक सुनील गुप्ता के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी.

ग्वालियर। हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने नगर निगम के पूर्व कमिश्नर विवेक सिंह को तगड़ा झटका दिया है. विवेक सिंह और उनके कुछ साथी कर्मचारियों ने हाईकोर्ट से अपने खिलाफ दर्ज लोकायुक्त की एफआईआर को चुनौती देते हुए इसे निरस्त करने की मांग की थी. लेकिन हाईकोर्ट ने मामले को निरस्त करने से इनकार कर दिया है. लिहाजा याचिकाकर्ताओं ने अपना आवेदन वापस ले लिया है.

पूर्व निगम कमिश्नर विवेक सिंह और उनके 4 साथी कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में उनके खिलाफ लोकायुक्त दर्ज मामले को खारिज करने का आवेदन किया था लेकिन हाईकोर्ट ने मेरिट के आधार पर केस को सुनने को कहा तो याचिकाकर्ताओं ने अपना आवेदन वापस ले लिया. जानकारी के अनुसार संभागीय सतर्कता समिति ने अपनी जांच में पाया था कि 1805 प्रकरण के लिए निविदा बुलाई जानी थी लेकिन प्रत्येक कार्य को अलग-अलग बता कर दस हजार रुपए की कम सीमा में लाकर कोटेशन प्रक्रिया अपनाई गई. इसमें कोटेशन की बुलाने के संबंध में आधार स्पष्ट नहीं किया गया ना ही इंजीनियरों ने मौके पर जाकर कार्य का मौका मुआयना किया था.

पूर्व कमिश्नर को हाईकोर्ट से झटका

गौरतलब है कि लोकायुक्त को ग्वालियर के तत्कालीन नगर निगम आयुक्त विवेक सिंह के खिलाफ जल प्रदाय से संबंधित करीब 2 करोड़ के मेंटेनेंस वर्क के कोटेशन के माध्यम से कराने के लिए फर्जी फाइलें बनाए जाने की शिकायत मिली थी. जिसपर जांच के बाद करीब 2 साल पहले 11 कर्मचारियों के खिलाफ धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश का मामला दर्ज किया गया था. इनमें निगम कमिश्नर के अलावा तत्कालीन बर्खास्त कार्यपालन यंत्री केके श्रीवास्तव, तत्कालीन सहायक यंत्री अजय मांडवीय, उपयंत्री सतेंद्र सिंह भदोरिया, मानचित्र कार राजेंद्र प्रसाद दीक्षि, सेवानिवृत्त मानचित्र कार कुसुम लता शर्मा, ट्यूबवेल कंपनी के ठेकेदार मोहित जैन, रजत जैन,सुनील एंटरप्राइजेज के संचालक सुनील गुप्ता के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी.

Intro:ग्वालियर
हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच ने नगर निगम के पूर्व कमिश्नर विवेक सिंह को तगड़ा झटका दिया है। विवेक सिंह और उनके कुछ साथी कर्मचारियों ने हाई कोर्ट से अपने खिलाफ दर्ज लोकायुक्त की एफ आई आर को चुनौती देते हुए इसे निरस्त करने की मांग की थी। लेकिन हाईकोर्ट ने मामले को निरस्त करने से इंकार कर दिया लिहाजा याचिकाकर्ताओं ने अपना आवेदन वापस ले लिया है।


Body:ग्वालियर के तत्कालीन नगर निगम आयुक्त विवेक सिंह के खिलाफ जल प्रदाय से संबंधित करीब 2 करोड़ के मेंटेनेंस वर्क के कोटेशन के माध्यम से कराने के लिए फर्जी फाइलें बनाए जाने की शिकायत लोकायुक्त को मिली थी। इस पर जांच की गई और बाद में करीब 2 साल पहले 11 कर्मचारियों के खिलाफ धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश का मामला दर्ज किया गया था ।इनमें निगम कमिश्नर के अलावा तत्कालीन बर्खास्त कार्यपालन यंत्री के के श्रीवास्तव सेवानिवृत्त तत्कालीन कार्यपालन यंत्री तत्कालीन सहायक यंत्री अजय मांडवीय उपयंत्री सतेंद्र सिंह भदोरिया मानचित्र का राजेंद्र प्रसाद दीक्षित सेवानिवृत्त मानचित्र कार कुसुम लता शर्मा बाबू हरि सिंह खेरवार वर्द्धमान ट्यूबवेल कंपनी के ठेकेदार मोहित जैन रजत जैन सुनील एंटरप्राइजेज के संचालक सुनील गुप्ता के खिलाफ एफ आई आर दर्ज की गई थी। पूर्व निगम कमिश्नर विवेक सिंह और उनके 4 साथी कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में उनके खिलाफ लोकायुक्त दर्ज मामले को खारिज करने का आवेदन किया था लेकिन हाईकोर्ट ने मेरिट के आधार पर केस को सुनने को कहा तो याचिकाकर्ताओं ने अपना आवेदन वापस ले लिया।


Conclusion:पता चला है कि संभागीय सतर्कता समिति ने अपनी जांच में पाया था कि 1805 प्रकरण के लिए निविदा बुलाई जानी थी लेकिन प्रत्येक कार्य को अलग-अलग बता कर दस हजार रुपए की कम सीमा में लाकर कोटेशन प्रक्रिया अपनाई गई इसमें कोटेशन की बुलाने के संबंध में आधार स्पष्ट नहीं किया गया ना ही इंजीनियरों ने मौके पर जाकर कार्य का मौका मुआयना किया। खास बात यह है कि उक्त फर्मों का भौतिक सत्यापन नहीं हो पाया क्योंकि वे अस्तित्व में ही नहीं थी। जबकि नगर में नगर निगम क्षेत्र में 200 से ज्यादा ठेकेदार पंजीकृत थे। खास बात यह है कि राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रहे विवेक सिंह भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं और उनके प्रमोशन पर भी तलवार लटक रही है।
बाइट अंकुर मोदी अतिरिक्त महाधिवक्ता हाई कोर्ट ग्वालियर
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