ग्वालियर। हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने शहर के महाराजपुरा थाना प्रभारी पर ₹25000 का जुर्माना लगाया है. एक आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पाया कि थाना प्रभारी ने जानबूझकर केस डायरी में से जरूरी कागजात इधर-उधर किए और आधी अधूरी डायरी कोर्ट में पेश की. मामले की गंभीरता देखते हुए कोर्ट ने आरोपी एंदल सिंह गुर्जर का जमानत आवेदन खारिज कर दिया. टीआई को तथ्यात्मक कागजात छिपाने के मामले में दोषी पाते हुए 25000 रुपए का जुर्माना भी लगाया.
जानकारी छिपाने पर 25 हजार जुर्माना
20 सितंबर 2021 को एंदल सिंह गुर्जर को महाराजपुरा पुलिस ने गिरफ्तार किया था. जमानत के लिए एंदल सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पुलिस को केस डायरी प्रस्तुत करने का आदेश दिया था. लेकिन जब केस डायरी हाइकोर्ट में पेश की गई तो उसमें पीड़ित धर्मवीर सिंह की एक्स-रे रिपोर्ट नहीं भेजी गई. ना ही कैफियत में इसका उल्लेख किया गया था.
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थाना प्रभारी के खिलाफ होगी कार्रवाई
इस मामले में जब कोर्ट ने टीआई से स्पष्टीकरण मांगा तो उन्होंने एक अन्य पीड़ित के संबंध में जानकारी दे दी. कोर्ट ने इसे गंभीर लापरवाही माना और थाना प्रभारी पर 25000 रुपए की कॉस्ट लगाई. कोर्ट ने यह भी कहा है कि इस आदेश की कॉपी शासन डीजीपी और एसपी को भी भेजी जाए ताकि वे थाना प्रभारी के खिलाफ समुचित कार्रवाई कर सकें.
फिर से वही याचिका लगाने पर हाईकोर्ट नाराज
भारतीय अनयुर्विज्ञान संस्थान एम्स की स्थापना जबलपुर में किये जाने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी थी. न्यायालय द्वारा याचिका का निराकरण किये जाने के बावजूद फिर उसी मुददे पर जनहित याचिका दायर की गयी है. जिसे गंभीरता से लेते हुए युगलपीठ ने पांच हजार की कॉस्ट लगाते हुए याचिका को खारिज कर दिया.
याचिकाकर्ता पर 5 हजार की कॉस्ट लगाई
याचिकाकर्ता चेरीताल निवासी दीप गुप्ता की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि प्रदेश के महाकौशल क्षेत्र के तीन जिले नक्सल प्रभावित हैं. इसके अलावा बड़ी संख्या में आदिवासी आबादी भी इस इलाके में रहती है. क्षेत्रफल और जनसंख्या सहित नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के कारण जबलपुर में एम्स हॉस्पिटल स्थापित किया जाना चाहिए. जिससे लोगों को त्वरित और उचित इलाज मिल सके. सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने पाया कि इस मुददे पर याचिकाकर्ता ने पूर्व में भी याचिका दायर की थी. जिसका निराकरण करते हुए न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि एम्स हॉस्पिटल स्थापित करने का विषय केन्द्र सरकार का है. न्यायालय ने इस बारे में केन्द्रीय स्वास्थ एवं परिवार कल्याण विभाग के समक्ष अभ्यावेदन पेश करने के निर्देश याचिकाकर्ता को दिये थे. इसके बावजूद पुनः उसी मुददे पर याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका दायर की है. युगलपीठ ने इसे जनहित याचिका का दुरूपयोग करार देते हुए पांच हजार की कॉस्ट के साथ याचिका को खारिज कर दिया.